बांदा:
बुंदेलखंड में गरीबों के घर 'बसनेर' कर उनके प्रति हमदर्दी जताने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को अब बुंदेलखंड के गरीब 'चटनी-रोटी' नहीं, बल्कि सिर्फ 27 रुपये नकदी पकड़ाएंगे, ताकि वह भर पेट भोजन कर सकें। यहां के गरीबों ने यह फैसला योजना आयोग द्वारा हाल ही में गरीबी का 'बेतुका' मानक तय किए जाने के विरोध में किया है।
केन्द्रीय योजना आयोग ने ग्रामीण क्षेत्र में 27 रुपये और शहरी क्षेत्र में 33 रुपये रोजाना खर्च करने वालों को गरीब नहीं माना है। उसकी नजर में इस दर्जे के लोग 'अमीर' हैं। योजना आयोग के मानक से चार कदम आगे चल कर कांग्रेस सांसद व प्रवक्ता राज बब्बर ने मुम्बई में 12 रुपये और रशीद मसूद ने दिल्ली की जामा मस्जिद के पास पांच रुपये में भर पेट भोजन का दावा किया है। केन्द्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला इनसे भी आगे निकल गए। उन्होंने महज एक रुपये में भर पेट खाना मिलने वाला बयान जारी कर गरीबों का मजाक उड़ाया।
त्रासदी और मुफलिसी का जीवन गुजार रहे बुंदेलखंड के गरीब योजना आयोग के इस बेतुके मानक के बाद कांग्रेसी नेताओं के इन बयानों से बेहद खफा हैं। उन्होंने कांग्रेसी नेताओं को उनकी कैफियत के अनुसार ही एक दिन के भोजन के लिए नकद रुपये देने का फैसला किया है।
गरीब-गुरबों की झोपड़ी में रात का 'बसनेर' करने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को 27 रुपये, राज बब्बर को 12 रुपये, मसूद को पांच रुपये और यदि फारुक अब्दुल्ला आए तो उन्हें सिर्फ 'एक' रुपये नकद दिया जाएगा।
गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'मून राइट्स ला नेटवर्क' (एचआरएनएल) और 'राइट टू फूड' के साथ बुंदेलखंड अंचल में सामाजिक कार्य करने वाले अधिवक्ता शिवकुमार मिश्र ने कहा, "योजना आयोग के अधिकारी जब गरीबी और अमीरी का यह बेतुका मानक तय किए होंगे, उस समय खुद के पेट का ध्यान न दिया होगा। अगर अपना मूल्यांकन करते तो शायद मालूम होता कि खुद दिन भर में कितने रुपये का भोजन करते हैं।" उन्होंने कहा, "कांग्रेसी नेता बुंदेलखंड की त्रासदी और मुफलिसी से परचित नहीं हैं, यह अलग बात है कि उनके उपाध्यक्ष राहुल गांधी कुछ साल पहले भूख से मरे नहरी गांव के भागवत प्रजापति के घर में 'चटनी-रोटी' खाकर रात गुजारे थे।"
बकौल शिवकुमार, "गैर सरकारी संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता समूचे बुंदेलखंड में गरीबों को लामबंद करने में जुट गए हैं, आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान बुंदेलखंड में आने वाले कांग्रेसी नेताओं को उनकी कैफियत के मुताबिक दिनभर के भोजन के हिसाब से नकद रकम भेंट की जाएगी।" उन्होंने बताया, "कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को प्रतिदिन 27 रुपये, राज बब्बर को 12 रुपये, मसूद को पांच रुपये और यदि फारुख अब्दुल्ला आए तो उन्हें सिर्फ एक रुपये दिया जाएगा, ताकि ये नेता बुंदेलखंड में भर पेट भोजन खा सकें और यदि सरकारी मशीनरी ने इनके भोजन का इंतजाम किया तो जबर्दस्त विरोध होगा।"
एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश रैकवार ने कहा, "बुंदेलखंड में 20 रुपये प्रति किलोग्राम आटा, 22 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम चावल, 60 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम दाल, 90 से 110 रुपये प्रति किलोग्राम सरसो का तेल, 32 रुपये प्रति किलोग्राम प्याज, 25 से 40 रुपये प्रति किलोग्राम हरी सब्जी मिल रही है। पता नहीं, 12 रुपये में राज बब्बर, 5 रुपये में मसूद और एक रुपये में अब्दुल्ला साहब कैसे भर पेट भोजन कर लेते हैं?" उन्होंने कहा, "कम से कम रमजान के पवित्र माह में इन नेताओं को झूठ नहीं बोलना चाहिए।"
बांदा जिले के नहरी गांव के ग्राम प्रधान और भूख से दम तोड़ चुके भागवत प्रजापति के भतीजे लाला प्रजापति ने बताया, "भूख से चाचा की मौत की खबर सुन कर जब राहुल गांधी आए और रात रुके, उस समय उन्हें दी गई 'चटनी-रोटी' का खर्च लगभग 23 रुपये आया था, वह भी भर पेट भोजन नहीं था।" लाल ने कहा, "वैसे तो राहुल के दोबारा रात गुजारने की उम्मीद नहीं है, पर यदि रुके तो अबकी बार उन्हें 27 रुपये नकद दूंगा, ताकि उनका पेट भर जाए।"
बांदा शहर में हाथ ठेला चला कर अपने पांच सदस्यों का भरण-पोषण कर रहे पुसुआ रैदास बताता है, "उसके घर में रोजाना डेढ़-पौने दो सौ रुपये का राशन लगता है।" वह कहता है कि "सभी कांग्रेसी नेताओं के नाम बीपीएल और अंत्योदय राशन कार्ड बना दिए जाने चाहिए, ताकि हम गरीब जल्दी अमीर बन जाएं।"
केन्द्रीय योजना आयोग ने ग्रामीण क्षेत्र में 27 रुपये और शहरी क्षेत्र में 33 रुपये रोजाना खर्च करने वालों को गरीब नहीं माना है। उसकी नजर में इस दर्जे के लोग 'अमीर' हैं। योजना आयोग के मानक से चार कदम आगे चल कर कांग्रेस सांसद व प्रवक्ता राज बब्बर ने मुम्बई में 12 रुपये और रशीद मसूद ने दिल्ली की जामा मस्जिद के पास पांच रुपये में भर पेट भोजन का दावा किया है। केन्द्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला इनसे भी आगे निकल गए। उन्होंने महज एक रुपये में भर पेट खाना मिलने वाला बयान जारी कर गरीबों का मजाक उड़ाया।
त्रासदी और मुफलिसी का जीवन गुजार रहे बुंदेलखंड के गरीब योजना आयोग के इस बेतुके मानक के बाद कांग्रेसी नेताओं के इन बयानों से बेहद खफा हैं। उन्होंने कांग्रेसी नेताओं को उनकी कैफियत के अनुसार ही एक दिन के भोजन के लिए नकद रुपये देने का फैसला किया है।
गरीब-गुरबों की झोपड़ी में रात का 'बसनेर' करने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को 27 रुपये, राज बब्बर को 12 रुपये, मसूद को पांच रुपये और यदि फारुक अब्दुल्ला आए तो उन्हें सिर्फ 'एक' रुपये नकद दिया जाएगा।
गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'मून राइट्स ला नेटवर्क' (एचआरएनएल) और 'राइट टू फूड' के साथ बुंदेलखंड अंचल में सामाजिक कार्य करने वाले अधिवक्ता शिवकुमार मिश्र ने कहा, "योजना आयोग के अधिकारी जब गरीबी और अमीरी का यह बेतुका मानक तय किए होंगे, उस समय खुद के पेट का ध्यान न दिया होगा। अगर अपना मूल्यांकन करते तो शायद मालूम होता कि खुद दिन भर में कितने रुपये का भोजन करते हैं।" उन्होंने कहा, "कांग्रेसी नेता बुंदेलखंड की त्रासदी और मुफलिसी से परचित नहीं हैं, यह अलग बात है कि उनके उपाध्यक्ष राहुल गांधी कुछ साल पहले भूख से मरे नहरी गांव के भागवत प्रजापति के घर में 'चटनी-रोटी' खाकर रात गुजारे थे।"
बकौल शिवकुमार, "गैर सरकारी संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता समूचे बुंदेलखंड में गरीबों को लामबंद करने में जुट गए हैं, आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान बुंदेलखंड में आने वाले कांग्रेसी नेताओं को उनकी कैफियत के मुताबिक दिनभर के भोजन के हिसाब से नकद रकम भेंट की जाएगी।" उन्होंने बताया, "कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को प्रतिदिन 27 रुपये, राज बब्बर को 12 रुपये, मसूद को पांच रुपये और यदि फारुख अब्दुल्ला आए तो उन्हें सिर्फ एक रुपये दिया जाएगा, ताकि ये नेता बुंदेलखंड में भर पेट भोजन खा सकें और यदि सरकारी मशीनरी ने इनके भोजन का इंतजाम किया तो जबर्दस्त विरोध होगा।"
एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश रैकवार ने कहा, "बुंदेलखंड में 20 रुपये प्रति किलोग्राम आटा, 22 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम चावल, 60 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम दाल, 90 से 110 रुपये प्रति किलोग्राम सरसो का तेल, 32 रुपये प्रति किलोग्राम प्याज, 25 से 40 रुपये प्रति किलोग्राम हरी सब्जी मिल रही है। पता नहीं, 12 रुपये में राज बब्बर, 5 रुपये में मसूद और एक रुपये में अब्दुल्ला साहब कैसे भर पेट भोजन कर लेते हैं?" उन्होंने कहा, "कम से कम रमजान के पवित्र माह में इन नेताओं को झूठ नहीं बोलना चाहिए।"
बांदा जिले के नहरी गांव के ग्राम प्रधान और भूख से दम तोड़ चुके भागवत प्रजापति के भतीजे लाला प्रजापति ने बताया, "भूख से चाचा की मौत की खबर सुन कर जब राहुल गांधी आए और रात रुके, उस समय उन्हें दी गई 'चटनी-रोटी' का खर्च लगभग 23 रुपये आया था, वह भी भर पेट भोजन नहीं था।" लाल ने कहा, "वैसे तो राहुल के दोबारा रात गुजारने की उम्मीद नहीं है, पर यदि रुके तो अबकी बार उन्हें 27 रुपये नकद दूंगा, ताकि उनका पेट भर जाए।"
बांदा शहर में हाथ ठेला चला कर अपने पांच सदस्यों का भरण-पोषण कर रहे पुसुआ रैदास बताता है, "उसके घर में रोजाना डेढ़-पौने दो सौ रुपये का राशन लगता है।" वह कहता है कि "सभी कांग्रेसी नेताओं के नाम बीपीएल और अंत्योदय राशन कार्ड बना दिए जाने चाहिए, ताकि हम गरीब जल्दी अमीर बन जाएं।"
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