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This Article is From Oct 10, 2014

दोनों देशों को एक-दूसरे की क्षमताएं पता हैं और जंग विकल्प नहीं है : पाकिस्तान

दोनों देशों को एक-दूसरे की क्षमताएं पता हैं और जंग विकल्प नहीं है : पाकिस्तान
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की फाइल तस्वीर
इस्लामाबाद:

पाकिस्तान ने परोक्ष रूप से अपनी परमाणु क्षमता का जिक्र करते हुए शुक्रवार को नियंत्रण रेखा पर फौरन तनाव खत्म करने पर बल देते हुए कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे की क्षमताओं की जानकारी है तथा जंग इसका विकल्प नहीं है।

पाकिस्तान का यह बयान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक के बाद आया जिसमें कहा गया है कि द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य करने और तनाव कम करने की उसकी गंभीर इच्छा को कमजोरी के संकेत के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए।

बैठक में चेतावनी दी गई कि पाकिस्तान की क्षेत्रीय संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने की किसी भी कोशिश का पूरी ताकत से जवाब दिया जाएगा। बैठक में उम्मीद जताई गई कि दोनों देश 2003 के संघर्ष-विराम समझौते का सम्मान करेंगे और सीमा पर अमन-चैन बनाए रखेंगे।

समिति ने परमाणु शब्द का इस्तेमाल तो नहीं किया, लेकिन कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे की क्षमताएं पता हैं और जंग विकल्प नहीं है।

इसमें कहा गया, 'हालात से तत्काल तनाव कम करने की साझा जिम्मेदारी दोनों देशों के नेताओं की है।' बैठक के बाद गृहमंत्री चौधरी निसार अली खान ने मीडिया से कहा कि पाकिस्तान सीमा पर भारत का 'अधिपत्य' स्वीकार नहीं करेगा और संघर्ष विराम उल्लंघन का करारा जवाब देने के लिए तैयार है।

बयान के अनुसार, 'समिति ने संकल्प जताया कि पाकिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देने के किसी भी प्रयास का पूरी ताकत से जवाब दिया जाएगा।' बैठक में चुनिंदा कैबिनेट सदस्य, ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष, तीनों सेनाओं के प्रमुख और आईएसआई प्रमुख समेत अन्य अधिकारियों ने शिरकत की।

पाकिस्तान में सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर असैन्य और सैन्य नेताओं के लिए चर्चा करने का महत्वपूर्ण मंच माने जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) के अनुसार, 'सशस्त्र बलों ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति को आश्वासन दिया कि वे हमारी सीमाओं पर किसी भी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।'

बैठक में उम्मीद जताई गई कि दोनों देश '2003 के संघर्षविराम समझौते का सम्मान करेंगे और आरोप-प्रत्यारोप के बिना तथा नंबर बढ़ाने में शामिल हुए बगैर नियंत्रण रेखा (एलओसी) और कामकाजी सीमा (वर्किंग बाउंड्री) पर अमन-चैन बनाकर रखेंगे।' भारत और पाकिस्तान के बीच 1 अक्तूबर से अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर भारी गोलाबारी तथा गोलीबारी हो रही है।
जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान के जवानों की गोलीबारी में आठ लोग मारे जा चुके हैं और 13 सुरक्षाकर्मी समेत 90 अन्य घायल हो गए, वहीं पाकिस्तान में 13 लोग मारे जा चुके हैं।

समिति ने कहा, 'तनाव और बढ़ने से केवल कश्मीर मुद्दे पर सार्थक बातचीत के लिए माहौल पेचीदा होगा और क्षेत्रीय सहयोग के व्यापक उद्देश्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।'

समिति ने निराशा प्रकट करते हुए कहा कि पाकिस्तान की ओर से दिखाई गई गंभीरता पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

उसने कहा, 'भारत द्वारा विदेश सचिव स्तर की बातचीत अचानक रद्द कर देना और वार्ता प्रक्रिया फिर शुरू करने से इनकार करना पड़ोसी देशों के बीच अच्छे रिश्ते बनाने के हमारे प्रयासों के लिए झटके की तरह है तथा मौजूदा हालात इन प्रयासों के लिए एक और आघात हैं।'

समिति ने कहा, 'इन घटनाक्रमों से न केवल पाकिस्तान और भारत के लोग निराश हुए हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस निराशा को साझा किया है।' समिति ने अफसोस जताते हुए कहा कि सीमा के हालात पर भारत में राजनीतिक स्तर पर दिए जा रहे बयान 'गैर-जिम्मेदाराना' हैं।

उसने गहरी चिंता प्रकट करते हुए कहा कि 'भारतीय बलों द्वारा संघर्ष-विराम उल्लंघन जारी रहने' से कई जान चली गईं और जवानों समेत बेगुनाह लोग जख्मी हो गए।

बयान के अनुसार, 'दुख की बात है कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा बिना उकसावे के संघर्ष-विराम उल्लंघन के मामले ईद-उल-जुआ के मुबारक त्योहार के मौके का पूरी तरह अपमान है।' समिति ने कहा कि पाकिस्तान सरकार ने अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण रिश्तों की नीति अपनाई है।

इसमें कहा गया, '1990 के दशक में शांति वार्ता की शुरुआत और हाल के दिनों में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करना क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति स्थापित करने के लिए भारत को सकारात्मक रूप से शामिल करने की पाकिस्तान की गंभीर इच्छा को दर्शाते हैं।'
खान के मुताबिक सैन्य अधिकारियों ने उन्हें बताया कि भारत के सीमा सुरक्षा बल के जवान संघर्ष-विराम उल्लंघन की पहले की घटनाओं के विपरीत भारी गोला बारूद का इस्तेमाल कर रहे हैं।

खान ने भारत के इस आरोप को खारिज कर दिया कि पाकिस्तानी सेना संघर्षविराम उल्लंघन की शुरुआत कर रही है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पहले ही अपनी पश्चिमी सीमा पर आतंकवादियों के खिलाफ जंग लड़ रहा है और उसके ऐसी हरकतों में लिप्त होने की कोई वजह नहीं है।

गृहमंत्री ने कहा कि पाकिस्तानी सेना स्थानीय और विदेशी दुश्मनों से लड़ने में सक्षम है और देश की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। निसार ने कहा, 'सीमा पर हाल ही में संघर्ष बढ़ने और विवाद की वजह कश्मीर है।' उन्होंने शांति के लिए काम करने का वायदा किया और कहा कि पाकिस्तान ने भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं जिनमें मई में शरीफ की नई दिल्ली यात्रा शामिल है, जब वह मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे।

उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान की ओर से दिखाई गई सद्भावना पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देने के बजाय बेबुनियाद वजहों पर विदेश सचिव स्तर की द्विपक्षीय वार्ता रद्द कर दी।

निसार ने कहा, 'हुर्रियत के नेताओं से मुलाकात करना सामान्य बात है और इसमें कुछ असामान्य नहीं है।' उन्होंने कहा कि शरीफ ने विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज से संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून को पत्र लिखकर 'भारत द्वारा संघर्ष-विराम उल्लंघन' की जानकारी देने को कहा है।

खान के मुताबिक विदेश कार्यालय इस्लामाबाद में राजनयिकों को भी तनाव के बारे में जानकारी देगा।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक मिशन के अधिकारी को यह पता लगाने में मदद के लिए सीमा पर ले जाया जाएगा कि गोलीबारी किसने शुरू की।

खान ने कहा कि भारतीयों द्वारा गोलीबारी विशेष मकसद से की जा रही लगती है और उन्होंने भारत से यह समझने को कहा कि पाकिस्तान परमाणु शक्ति संपन्न देश है।

इससे पूर्व सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ, नौसेना प्रमुख एडमिरल जकुल्लाह तथा विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने प्रधानमंत्री से अलग-अलग मुलाकात की और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों पर चर्चा की।

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