
राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने तख्तापलट की बात को नकारा है (फाइल फोटो)
- वेनेजुएला के राष्ट्रपति के विरोधियों ने लोगों से विरोध करने की अपील की
- मादुरो के कदम को ‘तख्तापलट’ करने की कोशिश करार दिया गया
- हिंसक अपराधों का सामना कर रहे संकटग्रस्त देश में अनिश्चितता जारी है
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
कराकस:
राजनीतिक एवं आर्थिक संकट का सामना कर रहे वेनेजुएला में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के विरोधियों ने लोगों से सड़क पर उतरकर विरोध करने की अपील की है. मादुरो के विरोधियों ने वेनेजुएला के लोगों को सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने और सेना से मादुरो का साथ छोड़ने की अपील की है. साथ ही अपनी शक्तियों को मजबूत करने के लिए उठाए मादुरो के कदम को ‘तख्तापलट’ करने की कोशिश करार दिया है.
भोजन की कमी और हिंसक अपराधों का सामना कर रहे संकटग्रस्त देश में अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है. 1992 से अब तक तीन बार सेना तख्तापलट की कोशिश कर चुकी है. मादुरो को अपने खेमे से कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. अटॉर्नी जनरल लुईसा ओर्तिगा ने सरकारी टेलीविजन पर इन फैसलों को संविधान तोड़ने वाला करार दिया था. इसके बाद उनके खेमे में विभााजन के संकेत दिखे थे.
देश के उच्चतम न्यायालय ने विधान मंडल से उसकी शक्तियों और सांसदों के विशेष अधिकार ले लिए थे जिसके बाद मादुरो के विरोधियों एवं राजनीतिक समीक्षकों ने तख्तापलट के आरोप लगाए थे. अंतरराष्ट्रीय शक्तियों ने भी इस कदम की आलोचना की थी. बहरहाल सरकार ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया.
समाजवादी राष्ट्रपति ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘वेनेजुएला में, संविधान, नागरिक, राजनीति और मानवाधिकार और जनसत्ता पूरे प्रभाव में है.’ मादुरो ने अपने भाषण में ओर्तिगा के बयान पर प्रतिक्रिया करते हुए संकल्प लिया कि अटॉर्नी जनरल और अदालत के बीच ‘गतिरोध का समाधान बातचीत और संविधान के जरिए किया जाएगा.’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
भोजन की कमी और हिंसक अपराधों का सामना कर रहे संकटग्रस्त देश में अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है. 1992 से अब तक तीन बार सेना तख्तापलट की कोशिश कर चुकी है. मादुरो को अपने खेमे से कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. अटॉर्नी जनरल लुईसा ओर्तिगा ने सरकारी टेलीविजन पर इन फैसलों को संविधान तोड़ने वाला करार दिया था. इसके बाद उनके खेमे में विभााजन के संकेत दिखे थे.
देश के उच्चतम न्यायालय ने विधान मंडल से उसकी शक्तियों और सांसदों के विशेष अधिकार ले लिए थे जिसके बाद मादुरो के विरोधियों एवं राजनीतिक समीक्षकों ने तख्तापलट के आरोप लगाए थे. अंतरराष्ट्रीय शक्तियों ने भी इस कदम की आलोचना की थी. बहरहाल सरकार ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया.
समाजवादी राष्ट्रपति ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘वेनेजुएला में, संविधान, नागरिक, राजनीति और मानवाधिकार और जनसत्ता पूरे प्रभाव में है.’ मादुरो ने अपने भाषण में ओर्तिगा के बयान पर प्रतिक्रिया करते हुए संकल्प लिया कि अटॉर्नी जनरल और अदालत के बीच ‘गतिरोध का समाधान बातचीत और संविधान के जरिए किया जाएगा.’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं