आर्थिक गलियारा ग्वादर से काशगर तक लगभग 2442 किलोमीटर लंबा है
वाशिंगटन:
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) पर अमेरिका की चिंताओं को खारिज करते हुए पाकिस्तान के गृह मंत्री एहसान इकबाल ने कहा कि वाशिंगटन को इस बहु-अरब परियोजना को भारत के नजरिए से नहीं देखना चाहिए क्योंकि यह एक ऐसा मंच सुलभ करायेगा जो सबको फायदा पहुंचाएगा.
इकबाल ने अपने बयान में कहा कि सीपीईसी दक्षिण और मध्य एशिया, पश्चिमी और अफ्रीकी देशों को आर्थिक गलियारे के माध्यम से भौगोलिक तौर पर जोड़ने के लिए एक मंच उपलब्ध कराएगा. 50 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत वाला सीपीईसी, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरेगा जिसको लेकर भारत ने चीन को अपने विरोध के बारे में बता दिया है. इसमें सियाचिन ग्लेशियर समेत काराकोरम पर्वत शृंखला का क्षेत्र भी शामिल होगा.
यह भी पढ़ें: पीओके की जमीन पर गलियारा बनाएगा चीन-पाक, भारत के ऐतराज को किया नजरअंदाज
भारत इस गलियारे का एक कड़ा आलोचक रहा है और उसका मानना है कि यह परियोजना उसके प्रभुता का उल्लंघन करती है क्योंकि यह पीओके से गुजर रही है.
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अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने पिछले हफ्ते कहा था कि सीपीईसी विवादित क्षेत्र से गुजरता है और अमेरिका इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर सकता. हालांकि इकबाल ने कहा कि सीपीईसी को लेकर अमेरिका की चिंता निराधार है. उन्होंने कहा कि यह सबको फायदा पहुंचाएगा और एक ऐसा मंच है जो दक्षिण और मध्य एशिया, पश्चिमी और अफ्रीकी देशों को आर्थिक गलियारे के माध्यम से भौगोलिक तौर पर जोड़ने के लिए एक मंच उपलब्ध कराएगा.
उन्होंने कहा कि अमेरिका को सीपीईसी को भारत के नजरिए से नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धता के स्रोत के तौर पर देखना चाहिए. सीपीईसी इस क्षेत्र में बहुप्रतिक्षित स्थिरता ला सकता है जो पिछले कई दशकों से युद्ध से प्रभावित रहा है. उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका इस क्षेत्र को भारत के नजरिए से देखेगा तो इससे क्षेत्र के साथ ही अमेरिकी हितों को भी नुकसान होगा. इसलिए जरूरी है कि अमेरिका इस स्थिति को स्वतंत्र दृष्टिकोण से देखे, किसी और के नजरिए से नहीं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इकबाल ने अपने बयान में कहा कि सीपीईसी दक्षिण और मध्य एशिया, पश्चिमी और अफ्रीकी देशों को आर्थिक गलियारे के माध्यम से भौगोलिक तौर पर जोड़ने के लिए एक मंच उपलब्ध कराएगा. 50 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत वाला सीपीईसी, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरेगा जिसको लेकर भारत ने चीन को अपने विरोध के बारे में बता दिया है. इसमें सियाचिन ग्लेशियर समेत काराकोरम पर्वत शृंखला का क्षेत्र भी शामिल होगा.
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भारत इस गलियारे का एक कड़ा आलोचक रहा है और उसका मानना है कि यह परियोजना उसके प्रभुता का उल्लंघन करती है क्योंकि यह पीओके से गुजर रही है.
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अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने पिछले हफ्ते कहा था कि सीपीईसी विवादित क्षेत्र से गुजरता है और अमेरिका इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर सकता. हालांकि इकबाल ने कहा कि सीपीईसी को लेकर अमेरिका की चिंता निराधार है. उन्होंने कहा कि यह सबको फायदा पहुंचाएगा और एक ऐसा मंच है जो दक्षिण और मध्य एशिया, पश्चिमी और अफ्रीकी देशों को आर्थिक गलियारे के माध्यम से भौगोलिक तौर पर जोड़ने के लिए एक मंच उपलब्ध कराएगा.
उन्होंने कहा कि अमेरिका को सीपीईसी को भारत के नजरिए से नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धता के स्रोत के तौर पर देखना चाहिए. सीपीईसी इस क्षेत्र में बहुप्रतिक्षित स्थिरता ला सकता है जो पिछले कई दशकों से युद्ध से प्रभावित रहा है. उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका इस क्षेत्र को भारत के नजरिए से देखेगा तो इससे क्षेत्र के साथ ही अमेरिकी हितों को भी नुकसान होगा. इसलिए जरूरी है कि अमेरिका इस स्थिति को स्वतंत्र दृष्टिकोण से देखे, किसी और के नजरिए से नहीं.
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