रूस की संसद ने राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन को यूक्रेन में अपनी सेना भेजने की इजाजत दे दी है। रूस की संसद ने अमेरिका की इस चेतावनी के बावजूद यह मंजूरी दी है कि मॉस्को को ऐसी किसी तैनाती का 'खामियाजा' भुगतना पड़ेगा। पुतिन के अनुरोध को रूस की संसद ने एकमत से मान लिया।
यूक्रेन में तीन महीने से जारी राजनीतिक संकट वहां स्थित क्रीमिया नाम के रूसी प्रायद्वीप में बढ़ती अस्थिरता के बीच और गहरा गया है। रूस की नौसेना करीब 250 साल से क्रीमिया में रही हैं। करीब 20 लाख की आबादी वाले क्रीमिया पर रूस समर्थक सेना का नियंत्रण है। क्षेत्र की सरकारी इमारतों पर रूस का झंडा फहराया गया है और टेलीविजन केंद्रों के साथ-साथ हवाई अड्डों को काबू में कर लिया गया है।
यूक्रेन की संसद द्वारा रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोचिव को 22 फरवरी को अपदस्थ किए जाने के बाद से पुतिन ने चुप्पी साध रखी थी। यूक्रेन की संसद ने फिर एक पश्चिम समर्थक सरकार नियुक्त की, जिसका मकसद 4.6 करोड़ की आबादी वाले इस देश को यूरोपीय संघ के करीब लाना है।
लेकिन आज रूस की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि पुतिन ने देश की संसद के ऊपरी सदन से कहा था कि वह उन्हें यूक्रेन में उस वक्त तक बल प्रयोग की इजाजत दे, जब तक वहां राजनीतिक संकट 'सामान्य' नहीं हो जाता।
पुतिन ने यह भी कहा कि रूस को क्रीमिया में 'अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत' तैनात अपनी ब्लैक सी फ्लीट के सैनिकों का भी संरक्षण करना है। फेडरेशन काउंसिल ने एकमत से पुतिन के अनुरोध को मान लिया। ऊपरी सदन की अध्यक्ष वेलेंटीना मैटविएंको ने काउंसिल की विदेश मामलों की समिति से यह भी कहा कि वह पुतिन से कहे कि अमेरिका से रूसी राजदूत को वापस बुला लिया जाए। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पुतिन कितने सैनिकों को यूक्रेन भेजने की तैयारी कर रहे हैं।
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