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पाकिस्तान के मंत्रिमंडल ने तय किया है कि प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उन्हें आपराधिक आरोप के तहत दोषी नहीं ठहराया गया है।
पाकिस्तान के मंत्रिमंडल ने तय किया है कि प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उन्हें आपराधिक आरोप के तहत दोषी नहीं ठहराया गया है।
अदालत की 10 मिनट से भी कम चली कार्यवाही के दौरान न्यायमूर्ति नासिर-उल- मुल्क की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय पीठ ने यह फैसला सुनाया और गिलानी से कहा कि उनकी सजा अदालत के उठने तक यानी सुनवाई खत्म होने तक कायम रहेगी। फैसला सुनाने के बाद न्यायाधीश अदालत कक्ष से बाहर चले गए, जिससे 56 साल के गिलानी को मिली सजा खत्म हो गई।
हालांकि, कानूनी विशेषज्ञ इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं कि गिलानी को दोषी करार दिए जाने से उनके प्रधानमंत्री पद पर कोई खतरा पैदा होगा और वह इसके अयोग्य होंगे या नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि अदालत का विस्तृत फैसला इस बारे में तस्वीर साफ करेगा। अदालत से बाहर निकलते हुए गिलानी ने मीडिया से कहा, ‘‘हमने न्याय की गुहार लगाई थी। फैसला उचित नहीं था।’’
पाकिस्तान के कानून के मुताबिक अदालत की अवमानना के दोषी को छह महीने की अधिकतम सजा दी जा सकती है। इससे पहले, गिलानी अपने काफिले के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जहां उनके मंत्रिमंडल के सदस्य उनका इंतजार कर रहे थे। इसके बाद प्रधानमंत्री गृहमंत्री रहमान मलिक के साथ अदालत के अंदर गए। इस दौरान प्रधानमंत्री के समर्थकों ने उन पर गुलाब के फूल बरसाए। अदालत की इमारत के अंदर जाने से पहले उन्होंने दरवाजे पर रुककर और अपने समर्थकों की ओर रुख कर हाथ हिलाया।
खचाखच भरे अदालत कक्ष में कार्यवाही की शुरुआत करीब साढ़े नौ बजे हुई। न्यायाधीश जब कक्ष के अंदर दाखिल हुए, तो गिलानी कानून मंत्री फारूक नाइक और अपने वकील ऐतजाज अहसन के साथ चबूतरे पर खड़े हुए। अवमानना मामले में तीसरी दफा प्रधानमंत्री की पेशी के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया गया था।
पाकिस्तान की कैबिनेट दोपहर दो बजे अगली रणनीति तय करने के लिए एक अहम बैठक करने जा रही है। गिलानी ने इससे पहले कहा था कि कोर्ट ने मुझे तीसरी बार बुलाया है और मैंने गुरुवार को कोर्ट में पेश होने का निर्णय किया है। मैं ऐसा कर रहा हूं क्योंकि मैं न्यायपालिका और कोर्ट का सम्मान करता हूं।’ उन्होंने कहा कि सरकार ने न्यायपालिका का हमेशा सम्मान किया है, उसके आदेशों का पालन किया है और आगे भी करेगी।
न्यायमूर्ति नसीर उल मुल्क की अगुवाई वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने गिलानी के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
गिलानी के खिलाफ यह मामला राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन न करने की वजह से शुरू किया गया था।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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