काठमांडू:
नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा देश में दशक भर चले गृह युद्ध के दौरान मानवाधिकार उल्लंघनों की छानबीन के लिए गठित एक आयोग की जांच का सामना कर सकते हैं।
गृह युद्ध में 16,000 से अधिक लोग मारे गए थे। आयोग के एक सदस्य ने बताया कि देउबा और ज्ञानेंद्र को सच्चाई एवं सुलह आयोग द्वारा दर्ज एक शिकायत में नामजद किया गया है।
शिकायतकर्ता एवं पूर्व माओवादी छापामार एवं यूसीपीएन माओवादी केन्द्र के उपाध्यक्ष राजन किराती ने शाह और देउबा को उन्हें और अन्य को सुरक्षा बलों द्वारा 1996 से 2006 के बीच चले गृहयुद्ध के दौरान चोट पहुंचाने का जिम्मेदार ठहराया है।
देश में अशांति के दौरान लगभग 1500 अन्य लोग लापता हो गए और उनका आज तक कोई अता-पता नहीं है। इस पांच सदस्यीय आयोग का गठन गृह युद्ध के दौरान मानव अधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए पिछले साल किया गया था। इसे अब तक पीड़ितों और उनके रिश्तेदारों की 15,000 से अधिक शिकायतें मिल चुकी हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
गृह युद्ध में 16,000 से अधिक लोग मारे गए थे। आयोग के एक सदस्य ने बताया कि देउबा और ज्ञानेंद्र को सच्चाई एवं सुलह आयोग द्वारा दर्ज एक शिकायत में नामजद किया गया है।
शिकायतकर्ता एवं पूर्व माओवादी छापामार एवं यूसीपीएन माओवादी केन्द्र के उपाध्यक्ष राजन किराती ने शाह और देउबा को उन्हें और अन्य को सुरक्षा बलों द्वारा 1996 से 2006 के बीच चले गृहयुद्ध के दौरान चोट पहुंचाने का जिम्मेदार ठहराया है।
देश में अशांति के दौरान लगभग 1500 अन्य लोग लापता हो गए और उनका आज तक कोई अता-पता नहीं है। इस पांच सदस्यीय आयोग का गठन गृह युद्ध के दौरान मानव अधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए पिछले साल किया गया था। इसे अब तक पीड़ितों और उनके रिश्तेदारों की 15,000 से अधिक शिकायतें मिल चुकी हैं।
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