हिलेरी क्लिंटन (फाइल फोटो)
वाशिंगटन:
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने जलवायु परिवर्तन पर 2009 में हुए कोपेनहेगन शिखर सम्मेलन के समझौते के एक दिन पहले अपनी पत्नी एवं पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को सलाह दी थी कि गरीब देशों को चीन और भारत से कैसे दूर रखा जाए.
बिल ने 17 दिसंबर, 2009 को हिलेरी को भेजे एक ईमेल में लिखा था, ‘‘पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर गरीब देशों को भारत, चीन इत्यादि से दूर रखने के लिए तुम उन्हें यह चीज पेश कर सकती हो: चाहे वो जो भी प्रतिबद्धता रखते हों, उन्हें किसी विकल्प की उपलब्धता पर निर्भरता होनी चाहिए, जो उनकी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है.’’
हिलेरी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जलवायु परिवर्तन पर किसी समझौते पर पहुंचने की दिशा में मुहिम चलाने कोपेनहेगन में थे. चीन और भारत के नेतृत्व में कई देश इसका विरोध कर रहे थे. चीन और भारत तीसरी दुनिया का नेतृत्व करने की कोशिश कर रहे थे.
बिल ने कहा, ‘‘मेरा सुझाव है कि तुम इसकी शुरुआत यह कहकर कर सकती हो कि अगर हम सही तरीके से इसे निबटें और सही वित्तीय विकल्प उपलब्ध कराएं तो यह चुनौती एक मौका बन सकती है क्योंकि पुरानी ऊर्जा अर्थव्यवस्था को अब ऊर्जा की उपलब्धि और खपत को नए तरीकों पर बढ़त हासिल नहीं है.’’
ईमेल के मजमून से प्रतीत होता है कि जलवायु परिवर्तन पर उस वक्त चल रहे शिखर सम्मेलन में चुनौतियों के बेहतर हल की दिशा में हिलेरी ने अपने पति से सुझाव मांगा था. बिल क्लिंटन ने ईमेल में लिखा था, ‘हिलेरी, मैं दिन भर व्यस्त रहा और मेरे पास बेहद कम समय था कि मैं इन लेखों को पढ़ पाता और कोई अच्छी सलाह दे पाता.’ ये दस्तावेज एफबीआई ने विदेश विभाग को दिए थे. सार्वजनिक रूप से इसे जारी करने के लिए फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन के मानकों का इस्तेमाल कर इसकी समीक्षा की गई.
अमेरिका की विदेश मंत्री रहते हुए कुल 273 अतिरिक्त पृष्ठों के ईमेल वाले ऐसे 75 दस्तावेज हैं जिन्हें हिलेरी के आधिकारिक ईमेल से या तो भेजे गए थे या फिर आए थे. अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने एक बयान में कहा, ‘जिन 75 दस्तावेजों को हम आज जारी कर रहे हैं उनमें से तकरीबन आधे से अधिक पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और एफओआईए की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों की ‘प्रति’ है.'
बिल ने 17 दिसंबर, 2009 को हिलेरी को भेजे एक ईमेल में लिखा था, ‘‘पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर गरीब देशों को भारत, चीन इत्यादि से दूर रखने के लिए तुम उन्हें यह चीज पेश कर सकती हो: चाहे वो जो भी प्रतिबद्धता रखते हों, उन्हें किसी विकल्प की उपलब्धता पर निर्भरता होनी चाहिए, जो उनकी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है.’’
हिलेरी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जलवायु परिवर्तन पर किसी समझौते पर पहुंचने की दिशा में मुहिम चलाने कोपेनहेगन में थे. चीन और भारत के नेतृत्व में कई देश इसका विरोध कर रहे थे. चीन और भारत तीसरी दुनिया का नेतृत्व करने की कोशिश कर रहे थे.
बिल ने कहा, ‘‘मेरा सुझाव है कि तुम इसकी शुरुआत यह कहकर कर सकती हो कि अगर हम सही तरीके से इसे निबटें और सही वित्तीय विकल्प उपलब्ध कराएं तो यह चुनौती एक मौका बन सकती है क्योंकि पुरानी ऊर्जा अर्थव्यवस्था को अब ऊर्जा की उपलब्धि और खपत को नए तरीकों पर बढ़त हासिल नहीं है.’’
ईमेल के मजमून से प्रतीत होता है कि जलवायु परिवर्तन पर उस वक्त चल रहे शिखर सम्मेलन में चुनौतियों के बेहतर हल की दिशा में हिलेरी ने अपने पति से सुझाव मांगा था. बिल क्लिंटन ने ईमेल में लिखा था, ‘हिलेरी, मैं दिन भर व्यस्त रहा और मेरे पास बेहद कम समय था कि मैं इन लेखों को पढ़ पाता और कोई अच्छी सलाह दे पाता.’ ये दस्तावेज एफबीआई ने विदेश विभाग को दिए थे. सार्वजनिक रूप से इसे जारी करने के लिए फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन के मानकों का इस्तेमाल कर इसकी समीक्षा की गई.
अमेरिका की विदेश मंत्री रहते हुए कुल 273 अतिरिक्त पृष्ठों के ईमेल वाले ऐसे 75 दस्तावेज हैं जिन्हें हिलेरी के आधिकारिक ईमेल से या तो भेजे गए थे या फिर आए थे. अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने एक बयान में कहा, ‘जिन 75 दस्तावेजों को हम आज जारी कर रहे हैं उनमें से तकरीबन आधे से अधिक पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और एफओआईए की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों की ‘प्रति’ है.'
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