प्रतीकात्मक तस्वीर
बीजिंग:
चीन के एक सरकारी अखबार ने कहा कि भारत, रूस और इलाके के दूसरे देशों के साथ घनिष्ठ रिश्ता कायम कर चीन को घेरने की अमेरिका और जापान की भूराजनीतिक चाल से उसे चिंतित नहीं होना चाहिए और बीजिंग को एक आर्थिक और सैन्य शक्ति बनने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
हाल में भारत और अमेरिका के बीच हुए सैन्य साजोसामान आदान-प्रदान सहमति समझौते का हवाला देते हुए ग्लोबल टाइम्स ने 'जियोपॉलिटिकल गेम शुड नॉट डाइवर्ट चाइना' शीर्षक से एक संपादकीय में कहा है कि कुछ अमेरिकी मीडिया संगठन समझौते को गलत तरीके से भारत के अमेरिका के निकट जाने के संकेत के तौर पर दिखा रहे हैं.
संपादकीय में कहा गया है कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे लंबे समय से चले आ रहे कुरील द्वीप श्रृंखला से जुड़े क्षेत्र संबंधी विवाद को लेकर कोई खास प्रगति नहीं होने के बावजूद रूस के साथ आर्थिक सहयोग को प्राथमिकता देने की योजना बना रहे हैं.
इसमें कहा गया है, 'इसे रूस को लेकर जापान की नीति में आए महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा सकता है. खबरों के मुताबिक अबे रूस के सुदूर पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक में आयोजित होने वाले पूर्वी आर्थिक फोरम में हिस्सा लेने जाएंगे, जहां वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मिलेंगे.'
ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में साथ ही कहा है, 'दोनों देशों के नेताओं के आर्थिक सहयोग की आठ योजनाओं पर काम करने की संभावना है.' इसमें साथ ही कहा गया है कि रूस के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के जापान के इस कदम को सहजता से चीन पर भूराजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जाना चाहिए.
अखबार ने कहा है, 'सप्ताहांत में चीन के पूर्वी शहर हांग्जो में जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन के लिए चीन के दक्षिण में स्थित लाओस जाएंगे. लाओस की यात्रा पर जाने वाले वह पहले अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे और पद छोड़ने से पहले इसे एशिया प्रशांत क्षेत्र को महत्व देने की उनकी रणनीति की दिशा में आखिरी प्रयास के तौर पर देखा जाना चाहिए.'
संपादकीय में साथ ही कहा गया है कि चीन की सेना को इतना ताकतवर बन जाना चाहिए कि हम लोग किसी भी बाहरी सैन्य दबाव का मुकाबला कर सकें.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
हाल में भारत और अमेरिका के बीच हुए सैन्य साजोसामान आदान-प्रदान सहमति समझौते का हवाला देते हुए ग्लोबल टाइम्स ने 'जियोपॉलिटिकल गेम शुड नॉट डाइवर्ट चाइना' शीर्षक से एक संपादकीय में कहा है कि कुछ अमेरिकी मीडिया संगठन समझौते को गलत तरीके से भारत के अमेरिका के निकट जाने के संकेत के तौर पर दिखा रहे हैं.
संपादकीय में कहा गया है कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे लंबे समय से चले आ रहे कुरील द्वीप श्रृंखला से जुड़े क्षेत्र संबंधी विवाद को लेकर कोई खास प्रगति नहीं होने के बावजूद रूस के साथ आर्थिक सहयोग को प्राथमिकता देने की योजना बना रहे हैं.
इसमें कहा गया है, 'इसे रूस को लेकर जापान की नीति में आए महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा सकता है. खबरों के मुताबिक अबे रूस के सुदूर पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक में आयोजित होने वाले पूर्वी आर्थिक फोरम में हिस्सा लेने जाएंगे, जहां वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मिलेंगे.'
ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में साथ ही कहा है, 'दोनों देशों के नेताओं के आर्थिक सहयोग की आठ योजनाओं पर काम करने की संभावना है.' इसमें साथ ही कहा गया है कि रूस के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के जापान के इस कदम को सहजता से चीन पर भूराजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जाना चाहिए.
अखबार ने कहा है, 'सप्ताहांत में चीन के पूर्वी शहर हांग्जो में जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन के लिए चीन के दक्षिण में स्थित लाओस जाएंगे. लाओस की यात्रा पर जाने वाले वह पहले अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे और पद छोड़ने से पहले इसे एशिया प्रशांत क्षेत्र को महत्व देने की उनकी रणनीति की दिशा में आखिरी प्रयास के तौर पर देखा जाना चाहिए.'
संपादकीय में साथ ही कहा गया है कि चीन की सेना को इतना ताकतवर बन जाना चाहिए कि हम लोग किसी भी बाहरी सैन्य दबाव का मुकाबला कर सकें.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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