इजरायल और हिज्बुल्लाह सीजफायर (Israel-Hezbollah Ceasefire) समझौते पर सहमत हो गए हैं. इजरायल की सरकार के तहत शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट युद्धविराम पर सहमत हो गई है. यह समझौता 27 नवंबर की आधी रात (इजरायल समयानुसार) से लागू होगा. प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा, "संघर्ष विराम की अवधि इस बात पर निर्भर करती है कि लेबनान में क्या होता है. हम समझौते को लागू करेंगे और किसी भी उल्लंघन का जोरदार जवाब देंगे. हम जीत तक एकजुट रहेंगे." इस समझौते के बाद माना जा रहा है कि इस इलाके में रहने वाले आम लोग राहत की सांस लेंगे और लगातार हो रहे हमले रुक जाएंगे.
नेतन्याहू ने कहा, "हम हमास को खत्म करने का काम पूरा कर लेंगे, हम अपने सभी बंधकों को घर ले आएंगे, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि गाजा अब इजरायल के लिए खतरा न बने और हम उत्तर के निवासियों को सुरक्षित घर वापस लौटाएंगे. युद्ध तब तक खत्म नहीं होगा जब तक हम इसके सभी लक्ष्यों को हासिल नहीं कर लेते, जिसमें उत्तर के निवासियों की सुरक्षित घर वापसी भी शामिल है और मैं आपको बताता हूं कि यह वैसा ही होगा, जैसा दक्षिण में हुआ था. "
युद्धविराम के लिए गिनाए तीन कारण
इसके बाद नेतन्याहू ने इजरायल के युद्धविराम लिए सहमत होने तीन कारण गिनाए हैं. उन्होंने कहा, "पहला कारण ईरान के खतरे पर ध्यान केंद्रित करना है, और मैं इसका विस्तार से खुलासा नहीं करूंगा."
"दूसरा कारण हमारी सेनाओं को राहत देना और भंडार को फिर से भरना है. मैं इसे खुल तौर पर कहता हूं, यह कोई रहस्य नहीं है कि हथियारों और युद्ध सामग्री की डिलीवरी में बड़ी देरी हुई है. इस देरी को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा. हमें उन्नत हथियारों की आपूर्ति होगी जो हमारे सैनिकों को सुरक्षित रखेगी और हमें अपने मिशन को पूरा करने के लिए अधिक मारक बल प्रदान करेगी."
"युद्धविराम करने का तीसरा कारण मोर्चों को अलग करना और हमास को अलग-थलग करना है. युद्ध के दूसरे दिन से हमास अपने पक्ष में लड़ने के लिए हिज़्बुल्लाह पर भरोसा कर रहा था. हिज्बुल्लाह के तस्वीर से बाहर हो जाने से हमास अकेला रह गया है. हम हमास पर अपना दबाव बढ़ाएंगे और इससे हमें अपने बंधकों को छुड़ाने के पवित्र मिशन में मदद मिलेगी."
बाइडेन-मैक्रॉन का संयुक्त बयान
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने कहा कि इजरायल और लेबनान के बीच शत्रुता को समाप्त करने के लिए युद्धविराम इजरायल को ईरान समर्थित समूह हिज्बुल्लाह के खतरे से बचाएगा और "स्थायी शांति" के लिए स्थितियां बनाएगा.
दोनों नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा, "आज की घोषणा से लेबनान में लड़ाई बंद हो जाएगी और इजरायल को हिज्बुल्लाह और लेबनान से संचालित होने वाले अन्य आतंकवादी संगठनों के खतरे से सुरक्षित किया जाएगा."
बाइडेन और मैक्रॉन ने कहा कि यह समझौता "सीमा के दोनों ओर स्थायी शांति बहाल करने और दोनों देशों के निवासियों को अपने घरों में सुरक्षित लौटने की अनुमति देगा".
उन्होंने कहा, "अमेरिका और फ्रांस यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे कि यह व्यवस्था पूरी तरह से लागू हो."
इजरायल पर युद्धविराम का था दबाव
अमेरिका, यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र और जी7 ने लेबनान में एक साल से अधिक समय तक सीमापार से गोलीबारी और दो महीने के भीषण युद्ध के बाद इजरायल और ईरान समर्थित हिज्बुल्लाह के बीच लड़ाई को रोकने के लिए दबाव डाला है
प्रधानमंत्री की घोषणा बेरूत पर बड़े हमले के बाद हुई, जिसमें शहर के केंद्र में कई हमले शामिल थे. इजरायल ने जमीनी सेना भेजने से पहले सितंबर के आखिर में लेबनान में अपना हवाई अभियान तेज कर दिया था.
इजरायल पर समझौते को स्वीकार करने का दबाव लगातार बढ़ रहा था, जी7 के विदेश मंत्रियों ने मंगलवार को "तत्काल युद्धविराम" का आह्वान किया था.
नेतन्याहू के भाषण के बाद लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने एक बयान में मांग की कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय संघर्ष विराम के तत्काल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए "तेजी से कार्य करें".
कई मुद्दों पर बातचीत के बाद समझौते पर पहुंचे
नेतन्याहू ने रविवार रात इजरायली अधिकारियों के साथ सुरक्षा परामर्श के दौरान हिजबुल्लाह के साथ युद्धविराम के लिए अपनी संभावित स्वीकृति का संकेत दिया था. नेतन्याहू के प्रवक्ता ने कहा था कि इजरायली कैबिनेट मंगलवार को प्रस्तावित समझौते पर मतदान करेगी और इसके पारित होने की उम्मीद है. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया था कि इजरायल को समझौते के कुछ विवरणों पर संदेह था. कई मुद्दों को लेकर बातचीत के बाद ये समझौता फाइनल हुआ है.
इजरायल पिछले कुछ वक्त से ईरान समर्थित आतंकवादी समूह हिज्बुल्लाह के साथ कई महीनों से युद्ध में हैं. हिज्बुल्लाह ने एक साल से अधिक वक्त पहले इजरायल पर रॉकेट और प्रोजेक्टाइल से हमला करना शुरू किया था, जिसके बाद तेल अवीव ने जवाबी कार्रवाई की. हिज्बुल्लाह ईरान समर्थित आतंकवादी समूह हमास का समर्थन करता रहा है, जिसे वह अपना सहयोगी मानता है.
इजरायल और हमास अक्टूबर 2023 से युद्ध में हैं, जब हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया था और कई इजरायली नागरिकों को बंधक बना लिया था. इजरायल द्वारा आतंकवादी हमले का जवाब देने के बाद युद्ध शुरू हुआ था. उसके बाद से ही पश्चिम एशिया में युद्ध के कारण इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विनाश हुआ और हजारों लोगों की मौत हो गई थी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं