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This Article is From Sep 11, 2016

भारत-नेपाल संबंधों में आई खटास मेरी यात्रा से दूर होगी : नेपाल के पीएम प्रचंड

भारत-नेपाल संबंधों में आई खटास मेरी यात्रा से दूर होगी : नेपाल के पीएम प्रचंड
नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड (फाइल फोटो)
काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा कि वह इस सप्ताह होने वाली अपनी भारत यात्रा के दौरान किसी विवादित समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, लेकिन वह दोनों देशों के बीच परस्पर विश्वास की 'मजबूत नींव' रखेंगे. दरअसल, उनके पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के शासन के दौरान मधेशी समुदाय के आंदोलन के चलते दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी.

केपी शर्मा ओली से देश की बागडोर 4 अगस्त को दूसरी बार अपने हाथों में संभालने वाले माओवादी प्रमुख ने कहा कि वह 15 सितंबर से शुरू हो रही चार-दिवसीय यात्रा को एक चुनौतीपूर्ण अवसर के रूप में देखते हैं.

उन्होंने शनिवार को संसद के अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं श्रम समिति को बताया कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि भारत यात्रा से संबंध सामान्य होंगे, जिनमें हाल के समय में खटास आ गई थी. साथ ही, पारस्परिक विश्वास के लिए एक मजबूत बुनियाद भी बनेगी.

प्रचंड ने कहा, 'भूकंप के बाद पुनर्निर्माण, पनबिजली व्यापार समझौते और पोस्टल हाईवे के लिए अधिक समर्थन जुटाना दिल्ली में उच्च स्तरीय यात्रा के दौरान उनका मुख्य एजेंडा होगा.' बाद में भारत-नेपाल संबंधों पर एक बातचीत में प्रचंड ने कहा कि वह सभी से यह अनुरोध करना चाहेंगे कि उन्हें बतौर नेता 'जोखिम' लेने दिया जाए.

उन्होंने कहा, 'मैं देश में सभी लोगों से अनुरोध करता हूं कि मुझे निर्देशित न किया जाए और हमारे राष्ट्रीय हित के पक्ष में मुझे जोखिम उठाने दिया जाए.' हालांकि, नेताओं, अर्थशास्त्रियों और बुद्धिजीवियों ने भी कहा है कि भारत के साथ संबंधों में आए खटास को सुधारने की जरूरत है.

शीर्ष अर्थशास्त्री विश्वम्भर प्याकुरेल ने कहा कि नेपाल को भारत से कहना चाहिए कि नेपाली उत्पादों को भारत में मुक्त पहुंच दी जाए और गैर-शुल्क बाधाओं के मुद्दों का हल किया जाए. उन्होंने नेपाली प्रधानमंत्री को भारत से और अधिक एफडीआई की मांग करने की भी सलाह दी. नेपाली कांग्रेस के सदस्य बाल बहादुर केसी ने कहा कि विश्वास बहाली का कोई कदम उठाने से पहले भारत और नेपाल को अपने संबंधों के खराब होने के कारणों की पहचान करनी चाहिए.

प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद प्रचंड ने भारत और चीन के साथ संबंधों में सुधार के लिए दोनों देशों में विशेष राजदूत भेजे थे.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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