विज्ञापन
This Article is From Oct 07, 2018

भीड़तंत्र का बढ़ता दबदबा भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरा: अरुधंति रॉय

लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुधंति रॉय ने भारत में भीड़तंत्र के बढ़ते दबदबे को लेकर भय प्रकट किया और कहा कि यह देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए यह एक बहुत बड़ा खतरा है

भीड़तंत्र का बढ़ता दबदबा भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरा: अरुधंति रॉय
लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुधंति रॉय. (फाइल फोटो)
लंदन: बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुधंति रॉय ने भारत में भीड़तंत्र के बढ़ते दबदबे को लेकर भय प्रकट किया और कहा कि यह देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए यह एक बहुत बड़ा खतरा है. वर्ष 1997 में अपने पहले उपन्यास 'द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स' को लेकर विश्व के इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को जीतने वाली रॉय को उनके लेखन को लेकर कानूनी रुप से अदालत में घसीटा गया था.

यह भी पढ़ें : भीमा-कोरेगांव हिंसा में 5 लोगों की गिरफ्तारी पर बोलीं अरुंधति रॉय, 'इमरजेंसी की घोषणा होने वाली है'

उन्होंने नूर इनायत खान स्मारक व्याख्यान देते हुए कहा, 'लगाम कसने का काम अब भीड़ के जिम्मे है. हमारे यहां कई समूह हैं जो अपने ढंग से अपनी पहचान पेश करते हैं, अपना प्रवक्ता नियुक्त करते हैं, अपना इतिहास झुठलाते हैं और फिर सिनेमाघरों को जलाना, लोगों पर हमला करना, किताबें जलाना और लोगों की हत्या करना शुरू कर देते हैं.'

VIDEO : घट रही है पीएम मोदी और बीजेपी की लोकप्रियता : अरुंधति राय


दिल्ली की इन लेखिका ने कहा कि साहित्य और कला के अन्य रूपों पर भीड़ की हिंसा और हमले उन अदालती मामलों के चक्र से ज्यादा भयावह है, जिससे वह गुजरी हैं. नूर इनायत खान द्वितीय विश्व युद्ध में एक अहम किरदार थीं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे: