इस्लामाबाद:
न्यायाधीशों को बर्खास्त करने संबंधी एक मामले में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को आज उनके फार्महाउस से गिरफ्तार कर लिया गया और दो दिन के लिए हिरासत में भेज दिया गया। मुशर्रफ इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले पहले पूर्व सेना प्रमुख हैं।
गिरफ्तारी के बाद परवेज मुशर्रफ का आरोप है कि उनके खिलाफ यह सारी कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है।
एक दिन पहले ही अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत जब रद्द की थी तो गिरफ्तारी से बचने के लिए वह नाटकीय तरीके से अदालत परिसर से चलते बने थे।
पुलिस अधिकारियों ने 69 वर्षीय पूर्व सैन्य शासक को आज सुबह गिरफ्तार किया और उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट मोहम्मद अब्बास शाह की अदालत ले गए।
मुशर्रफ के वकीलों और पूर्व सैन्य शासक के खिलाफ याचिकाएं दाखिल करने वाले कई लोगों के वकील की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने पूर्व सेना प्रमुख को दो दिन की ‘ट्रांजिट हिरासत’ में भेज दिया।
न्यायाधीश ने पुलिस को यह भी आदेश दिया कि मुशर्रफ को दो दिन में आतंकवाद निरोधक अदालत में पेश किया जाए क्योंकि इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को प्राधिकारियों को आदेश दिया था कि पूर्व सैन्य शासक पर वर्ष 2007 में आपातकाल लागू करने के लिए आतंकवाद निरोधक कानून के तहत आरोप लगाए जाएं। न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ मुशर्रफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं।
वर्ष 2007 में आपातकाल के दौरान सुप्रीमकोर्ट के प्रधान न्यायमूर्ति इफ्तिखार चौधरी सहित दर्जनों न्यायाधीशों को हिरासत में रखने के लिए मुशर्रफ के खिलाफ दर्ज एक मामले की जांच में पुलिस अधिकारियों के साथ सहयोग न करने के आरोप में इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को पूर्व सैन्य शासक की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। आज उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
टेलीविजन पर दिखाए गए फुटेज में दर्जनों पुलिसकर्मी और अर्धसैनिक बल के जवान मुशर्रफ को न्यायाधीश के छोटे से कार्यालय में ले जाते नजर आ रहे हैं। फुटेज में सलवार कमीज और जैकेट पहने मुशर्रफ परेशान दिख रहे हैं।
वह न्यायाधीश के कार्यालय से निकलकर अपनी कार की ओर जाते भी नजर आ रहे हैं। कार में मुशर्रफ ने कुछ देर इंतजार किया, क्योंकि न्यायाधीश ने शुरू में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुबह 9 बजकर 15 मिनट से कुछ ही पहले न्यायाधीश ने मुशर्रफ की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया, लेकिन उससे पहले मुशर्रफ अपने सुरक्षा दस्ते के साथ फार्महाउस रवाना हो चुके थे। अधिकारियों ने बताया कि मुशर्रफ को इस्लामाबाद के बाहरी हिस्से में चक शहजाद स्थित उनके फार्म हाउस में हिरासत में रखा जाएगा। उनके अनुसार, मुशर्रफ की जान को खतरा है इसलिए उन्हें जेल नहीं भेजा जा सकता।
पूर्व में न्यायाधीश से पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उन्हें मुशर्रफ की हिरासत की जरूरत नहीं है और उन्हें न्यायिक हिरासत में रखा जा सकता है। बहरहाल, उन कई लोगों के वकीलों ने मुशर्रफ को पुलिस हिरासत में रखे जाने पर जोर दिया जिन लोगों ने वर्ष 2007 में आपातकाल लागू करने और सर्वोच्च न्यायपालिका के 60 से अधिक सदस्यों को हिरासत में रखे जाने को लेकर मुशर्रफ के खिलाफ याचिकाएं दायर की थीं।
इन वकीलों ने यह भी सवाल किया कि मुशर्रफ को पुलिस ने गिरफ्तार करने के बाद हथकड़ियां क्यों नहीं लगाईं।
मुशर्रफ के वकील कमर अफजल ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को न्यायिक हिरासत में रखा जाना चाहिए क्योंकि उनकी (मुशर्रफ की) जान को गंभीर खतरा है।
सूत्रों ने बताया कि प्राधिकारियों ने मुशर्रफ को न्यायिक हिरासत में रखे जाने के लिए कहा था, क्योंकि ऐसा करने पर इस्लामाबाद का प्रशासन चक शहजाद स्थित उनके फार्म हाउस को ‘उप जेल’ घोषित कर वहां पूर्व सैन्य शासक को हिरासत में रख सकेगा।
प्राधिकारी इसी उपाय पर अधिक जोर दे रहे हैं, क्योंकि मुशर्रफ की जान को खतरा देखते हुए अधिकारी उन्हें जेल में नहीं रखना चाहते। गुरुवार को न्यायमूर्ति शौकत अजीज सिद्दिकी ने जैसे ही मुशर्रफ की अग्रिम जमानत रद्द की और पुलिस को उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया, उसी समय मुशर्रफ और उनके सुरक्षाकर्मी इस्लामाबाद हाईकोर्ट से निकलकर सीधे फार्महाउस की ओर रवाना हो गए थे। आज मुशर्रफ को गिरफ्तार कर लिया गया। मुशर्रफ के वकील गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर नहीं कर सके, क्योंकि सर्वोच्च अदालत के बंद होने से पहले तक वह कुछ जरूरी औपचारिकताएं पूरी नहीं कर पाए थे।
विश्लेषकों का कहना है कि मुशर्रफ की गिरफ्तारी से न्यायपालिका और शक्तिशाली सेना के बीच टकराव हो सकता है, क्योंकि सेना अपने पूर्व प्रमुख को सार्वजनिक रूप से अपमानित होते नहीं देखना चाहेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुशर्रफ के खिलाफ सुनवाई की जाती है तो सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी सहित वर्तमान सैन्य नेतृत्व के कई सदस्यों को मामले में खींचा जा सकता है। मुशर्रफ ने वर्ष 2007 में जब आपातकाल लागू किया था तब उनके करीबियों में ये लोग शामिल थे।
करीब चार साल तक आत्मनिर्वासन में रहने के बाद मुशर्रफ पिछले साल देश लौटे हैं। तब से उन्हें कई कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस सप्ताह के शुरू में मुशर्रफ, अगले माह होने जा रहे आम चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिए गए। इसी के साथ ही राजनीतिक वापसी की उनकी महत्वाकांक्षा पर भी विराम लग गया। अधिकारियों ने उनके पाकिस्तान से बाहर जाने पर रोक भी लगा दी है।
गिरफ्तारी के बाद परवेज मुशर्रफ का आरोप है कि उनके खिलाफ यह सारी कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है।
एक दिन पहले ही अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत जब रद्द की थी तो गिरफ्तारी से बचने के लिए वह नाटकीय तरीके से अदालत परिसर से चलते बने थे।
पुलिस अधिकारियों ने 69 वर्षीय पूर्व सैन्य शासक को आज सुबह गिरफ्तार किया और उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट मोहम्मद अब्बास शाह की अदालत ले गए।
मुशर्रफ के वकीलों और पूर्व सैन्य शासक के खिलाफ याचिकाएं दाखिल करने वाले कई लोगों के वकील की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने पूर्व सेना प्रमुख को दो दिन की ‘ट्रांजिट हिरासत’ में भेज दिया।
न्यायाधीश ने पुलिस को यह भी आदेश दिया कि मुशर्रफ को दो दिन में आतंकवाद निरोधक अदालत में पेश किया जाए क्योंकि इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को प्राधिकारियों को आदेश दिया था कि पूर्व सैन्य शासक पर वर्ष 2007 में आपातकाल लागू करने के लिए आतंकवाद निरोधक कानून के तहत आरोप लगाए जाएं। न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ मुशर्रफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं।
वर्ष 2007 में आपातकाल के दौरान सुप्रीमकोर्ट के प्रधान न्यायमूर्ति इफ्तिखार चौधरी सहित दर्जनों न्यायाधीशों को हिरासत में रखने के लिए मुशर्रफ के खिलाफ दर्ज एक मामले की जांच में पुलिस अधिकारियों के साथ सहयोग न करने के आरोप में इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को पूर्व सैन्य शासक की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। आज उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
टेलीविजन पर दिखाए गए फुटेज में दर्जनों पुलिसकर्मी और अर्धसैनिक बल के जवान मुशर्रफ को न्यायाधीश के छोटे से कार्यालय में ले जाते नजर आ रहे हैं। फुटेज में सलवार कमीज और जैकेट पहने मुशर्रफ परेशान दिख रहे हैं।
वह न्यायाधीश के कार्यालय से निकलकर अपनी कार की ओर जाते भी नजर आ रहे हैं। कार में मुशर्रफ ने कुछ देर इंतजार किया, क्योंकि न्यायाधीश ने शुरू में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुबह 9 बजकर 15 मिनट से कुछ ही पहले न्यायाधीश ने मुशर्रफ की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया, लेकिन उससे पहले मुशर्रफ अपने सुरक्षा दस्ते के साथ फार्महाउस रवाना हो चुके थे। अधिकारियों ने बताया कि मुशर्रफ को इस्लामाबाद के बाहरी हिस्से में चक शहजाद स्थित उनके फार्म हाउस में हिरासत में रखा जाएगा। उनके अनुसार, मुशर्रफ की जान को खतरा है इसलिए उन्हें जेल नहीं भेजा जा सकता।
पूर्व में न्यायाधीश से पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उन्हें मुशर्रफ की हिरासत की जरूरत नहीं है और उन्हें न्यायिक हिरासत में रखा जा सकता है। बहरहाल, उन कई लोगों के वकीलों ने मुशर्रफ को पुलिस हिरासत में रखे जाने पर जोर दिया जिन लोगों ने वर्ष 2007 में आपातकाल लागू करने और सर्वोच्च न्यायपालिका के 60 से अधिक सदस्यों को हिरासत में रखे जाने को लेकर मुशर्रफ के खिलाफ याचिकाएं दायर की थीं।
इन वकीलों ने यह भी सवाल किया कि मुशर्रफ को पुलिस ने गिरफ्तार करने के बाद हथकड़ियां क्यों नहीं लगाईं।
मुशर्रफ के वकील कमर अफजल ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को न्यायिक हिरासत में रखा जाना चाहिए क्योंकि उनकी (मुशर्रफ की) जान को गंभीर खतरा है।
सूत्रों ने बताया कि प्राधिकारियों ने मुशर्रफ को न्यायिक हिरासत में रखे जाने के लिए कहा था, क्योंकि ऐसा करने पर इस्लामाबाद का प्रशासन चक शहजाद स्थित उनके फार्म हाउस को ‘उप जेल’ घोषित कर वहां पूर्व सैन्य शासक को हिरासत में रख सकेगा।
प्राधिकारी इसी उपाय पर अधिक जोर दे रहे हैं, क्योंकि मुशर्रफ की जान को खतरा देखते हुए अधिकारी उन्हें जेल में नहीं रखना चाहते। गुरुवार को न्यायमूर्ति शौकत अजीज सिद्दिकी ने जैसे ही मुशर्रफ की अग्रिम जमानत रद्द की और पुलिस को उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया, उसी समय मुशर्रफ और उनके सुरक्षाकर्मी इस्लामाबाद हाईकोर्ट से निकलकर सीधे फार्महाउस की ओर रवाना हो गए थे। आज मुशर्रफ को गिरफ्तार कर लिया गया। मुशर्रफ के वकील गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर नहीं कर सके, क्योंकि सर्वोच्च अदालत के बंद होने से पहले तक वह कुछ जरूरी औपचारिकताएं पूरी नहीं कर पाए थे।
विश्लेषकों का कहना है कि मुशर्रफ की गिरफ्तारी से न्यायपालिका और शक्तिशाली सेना के बीच टकराव हो सकता है, क्योंकि सेना अपने पूर्व प्रमुख को सार्वजनिक रूप से अपमानित होते नहीं देखना चाहेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुशर्रफ के खिलाफ सुनवाई की जाती है तो सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी सहित वर्तमान सैन्य नेतृत्व के कई सदस्यों को मामले में खींचा जा सकता है। मुशर्रफ ने वर्ष 2007 में जब आपातकाल लागू किया था तब उनके करीबियों में ये लोग शामिल थे।
करीब चार साल तक आत्मनिर्वासन में रहने के बाद मुशर्रफ पिछले साल देश लौटे हैं। तब से उन्हें कई कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस सप्ताह के शुरू में मुशर्रफ, अगले माह होने जा रहे आम चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिए गए। इसी के साथ ही राजनीतिक वापसी की उनकी महत्वाकांक्षा पर भी विराम लग गया। अधिकारियों ने उनके पाकिस्तान से बाहर जाने पर रोक भी लगा दी है।
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