
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि गतिशील विश्व व्यवस्था की पृष्ठभूमि में भारत-रूस संबंध लगातार विस्तारित और प्रगाढ़ होते जा रहे हैं. मॉस्को में 'रूस और भारत: एक नए द्विपक्षीय एजेंडे की ओर' सम्मेलन में उन्होंने यह बात कही. जयशंकर ने ने कहा कि भारत और रूस के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को और बढ़ाना दोनों देशों की प्राथमिकता बनी हुई है. भारतीय दूतावास के सहयोग से रूसी अंतर्राष्ट्रीय मामलों की परिषद की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम को विदेश मंत्री ने वर्चुअली संबोधित किया.
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "भारत और रूस ने आपसी लाभ के लिए नए अवसरों को अपनाने और खोजने में योगदान करने की असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया है." विदेश मंत्री ने उल्लेख किया कि गतिशील साझेदारी और लोगों के बीच मजबूत संबंधों के साथ भारत-रूस द्विपक्षीय संबंध और भी प्रगाढ़ होंगे.
जयशंकर ने कहा कि बहुध्रुवीयता के युग में दोनों देशों के बीच अधिक सहयोग जरूरी है. उन्होंने कहा, "मैं दोहराना चाहता हूं कि भारत रूस के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व देता है. हम इस गहरी मित्रता को बढ़ाने और सहयोग के नए आयाम तलाशने के लिए प्रतिबद्ध हैं." इस कार्यक्रम को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आगामी भारत यात्रा के लिए तैयारियां की जा रही हैं.
लावरोव ने कहा, "हमारे देशों के बीच संबंधों का इतिहास बहुत पुराना है. यह कहा जा सकता है कि वे समय की कसौटी पर एक से अधिक बार खरे उतरे हैं." रूसी विदेश मंत्री ने कहा, "यह प्रतीकात्मक है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल दोबारा चुने जाने के बाद अपनी पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा पर रूस आते हैं. अब हमारी बारी है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय सरकार के प्रमुख के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है. रूसी राष्ट्र प्रमुख की भारत यात्रा की तैयारियां की जा रही हैं."
लावरोव ने कहा कि भारत- रूस के बीच राजनीतिक वार्ता 'गतिशील रूप से विकसित हो रही है', इसमें यह तथ्य प्रमुख है कि मॉस्को और नई दिल्ली 'उभरती बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था पर मिलते-जुलते विचार रखते हैं.
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