(फाइल फोटो)
वाशिंगटन:
नासा के एक अध्ययन के मुताबिक साल 2015-16 में लंबे समय तक चले अल नीनो की वजह से बड़े पैमाने पर वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड में बढ़ोतरी हुई है. नासा के ऑर्बिटिंग कार्बन ऑब्जर्वेटरी-2 (OCO-2) उपग्रह से मिले पहले 28 महीने के आंकड़ों के विश्लेषण से अनुसंधानकर्ता इस निर्णय पर पहुंचे हैं कि दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और इंडोनेशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अल नीनो से संबंधित ताप और सूखा वैश्वविक कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा में रिकॉर्ड वृद्धि के लिए जिम्मेदार रहा. अल नीनो समुद्र के उस गर्म जल को कहा जाता है जिसका विकास प्रशांत महासागर में होता है और यह विश्वभर में तापमान और बारिश में बदलाव के लिए जिम्मेदार होता है.
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साल 2015-16 का अलनीनो काफी लंबा था और वैज्ञानिकों को संदेह है कि यह बढ़े हुए कार्बन डाई ऑक्साइड में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार था. लेकिन वैज्ञानिकों को अभी यह पता नहीं चला है कि यह कैसे हुआ.
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यह एक अनुसंधान का विषय है. अमेरिका में नासा की जेट प्रक्षेपण प्रयोगशाला और इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाली जुनजी ल्यू ने कहा, 'इन तीन उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों ने साल 2011 के मुकाबले वातावरण में 2.5 गीगा टन अधिक कार्बन उत्सर्जन किया.'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)