
न्यूयॉर्क:
अमेरिका के तीन विश्वविद्यालयों के अध्ययन में यह बात कही गई है कि धरती पर जीवन ख़ात्मे के एक नए दौर में प्रवेश कर गई है और इसमें कहा गया है कि सबसे पहले ख़त्म होने वाली प्रजातियों में इंसान हो सकते हैं।
स्टैनफर्ड, प्रिंसटन और बर्कली यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन में यह भी कहा गया है कि जीवों की प्रजातियां सामान्य से 114 गुना ज्यादा तेज़ी से विलुप्त हो रही हैं। इस नई स्टडी ने पिछले साल आई ड्यूक विश्वविद्यालय की रिपोर्ट की पुष्टि की है।
इस नए अध्ययन में शामिल एक शोधकर्ता का कहना है, 'हम अब लुप्त होने के छठे बड़े दौर में प्रवेश कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर विलुप्त होने की ऐसी ही घटना अभी से साढ़े छह करोड़ साल पहले हुई थी, जब धरती से डायनासॉर्स विलुप्त हो गए थे।
इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता गेरार्डो सेबालोस कहते हैं, 'अगर ऐसा ही चलता रहा तो धरती पर जीवन फिर से आने में कई लाख साल लग जाएंगे और इंसानों के भी शुरुआती दौर में ही लुप्त होने की संभावना है।'
वैज्ञानिकों ने रीढ़ वाले जानवारों के विलुप्त होने के अध्ययन में पाया कि अभी जो विलुप्त होने की रफ्तार है, वह सामान्य के मुकाबले 100 गुणा ज्यादा है। वर्ष 1900 से लेकर अब तक 400 से ज्यादा जीव लुप्त हो गए हैं। इस तरह का नुकसान सामान्य तौर पर 10,000 साल में होता है।
स्टैनफर्ड, प्रिंसटन और बर्कली यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन में यह भी कहा गया है कि जीवों की प्रजातियां सामान्य से 114 गुना ज्यादा तेज़ी से विलुप्त हो रही हैं। इस नई स्टडी ने पिछले साल आई ड्यूक विश्वविद्यालय की रिपोर्ट की पुष्टि की है।
इस नए अध्ययन में शामिल एक शोधकर्ता का कहना है, 'हम अब लुप्त होने के छठे बड़े दौर में प्रवेश कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर विलुप्त होने की ऐसी ही घटना अभी से साढ़े छह करोड़ साल पहले हुई थी, जब धरती से डायनासॉर्स विलुप्त हो गए थे।
इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता गेरार्डो सेबालोस कहते हैं, 'अगर ऐसा ही चलता रहा तो धरती पर जीवन फिर से आने में कई लाख साल लग जाएंगे और इंसानों के भी शुरुआती दौर में ही लुप्त होने की संभावना है।'
वैज्ञानिकों ने रीढ़ वाले जानवारों के विलुप्त होने के अध्ययन में पाया कि अभी जो विलुप्त होने की रफ्तार है, वह सामान्य के मुकाबले 100 गुणा ज्यादा है। वर्ष 1900 से लेकर अब तक 400 से ज्यादा जीव लुप्त हो गए हैं। इस तरह का नुकसान सामान्य तौर पर 10,000 साल में होता है।
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