विदेशी सहायता में कटौती करके ट्रंप ने एक बार फिर आतंकवाद को मदद करने वाले देशों को कड़ा संदेश दिया है
वाशिंगटन:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मई में अपना पहला बजट पेश करेंगे. इससे पहले उन्होंने बजट की रूपरेखा पेश करते हुए जहां रक्षा मामलों के बजट में इजाफा किया है, वहीं विदेशी सहायता में कटौती के संदेश दिए हैं. यह कटौती पाकिस्तान जैसे देशों की आर्थिक कमर तोड़ने की एक पहल साबित हो सकती है
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले बजट में विदेशी सहायता में 28 प्रतिशत की कटौती का प्रस्ताव किया है. इससे पाकिस्तान जैसे उन देशों पर असर पड़ सकता है जो काफी मात्रा में अमेरिका से सहायता राशि प्राप्त करते हैं.
बजट में ओबामा शासन के दौरान जो सांस्कृतिक एवं वैचारिक आधार पर दूसरे राजनीतिक निकायों को प्रभावित करने की सांस्कृतिक एवं वैचारिक कूटनीतिक पर जोर था, उसमें बदलाव दिख रहा है. अब सैन्य और आर्थिक माध्यमों के जरिए अन्य राजनीतिक निकायों को प्रभावित करने की कूटनीतिक पर जोर है.
बजट में देश के रक्षा बजट में 54 अरब डॉलर के इजाफे का प्रस्ताव किया गया है. अमेरिका में चालू वित्त वर्ष में विदेशी सहायता पर 40 अरब डॉलर से अधिक खर्च करने का प्रस्ताव है. इसमें करीब 60 फीसदी धन आर्थिक एवं विकास सहायता तथा 40 फीसदी सुरक्षा के लिए होगा. इससे पाकिस्तान जैसे देशों को मिलने वाली अमेरिकी सहायता पर असर पड़ सकता है.
पाकिस्तान 9/11 के बाद अमेरिकी विदेशी सहायता प्राप्त करने वाले प्रमुख देशों में है. अमेरिकी सहायता प्राप्त करने वाले प्रमुख देशों में अफगानिस्तान (4.7 अरब डॉलर), इस्राइल (3.1 अरब डॉलर), मिस्र (1.4 अरब डॉलर), इराक (1.1 अरब डॉलर), जोर्डन (1.0 अरब डॉलर) तथा पाकिस्तान (74.2 करोड़ डॉलर) शामिल हैं.
अपने प्रचार अभियान के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वह विदेशों में कम धन खर्च करना चाहते हैं और अधिक धन अपने देश लाना चाहते हैं. बजट प्रस्ताव उस लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास करता है. व्हाइट हाउस में पेश किया गया बजट प्रस्ताव पूर्ण बजट नहीं है. पूर्ण बजट मई में पेश किया जाएगा.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले बजट में विदेशी सहायता में 28 प्रतिशत की कटौती का प्रस्ताव किया है. इससे पाकिस्तान जैसे उन देशों पर असर पड़ सकता है जो काफी मात्रा में अमेरिका से सहायता राशि प्राप्त करते हैं.
बजट में ओबामा शासन के दौरान जो सांस्कृतिक एवं वैचारिक आधार पर दूसरे राजनीतिक निकायों को प्रभावित करने की सांस्कृतिक एवं वैचारिक कूटनीतिक पर जोर था, उसमें बदलाव दिख रहा है. अब सैन्य और आर्थिक माध्यमों के जरिए अन्य राजनीतिक निकायों को प्रभावित करने की कूटनीतिक पर जोर है.
बजट में देश के रक्षा बजट में 54 अरब डॉलर के इजाफे का प्रस्ताव किया गया है. अमेरिका में चालू वित्त वर्ष में विदेशी सहायता पर 40 अरब डॉलर से अधिक खर्च करने का प्रस्ताव है. इसमें करीब 60 फीसदी धन आर्थिक एवं विकास सहायता तथा 40 फीसदी सुरक्षा के लिए होगा. इससे पाकिस्तान जैसे देशों को मिलने वाली अमेरिकी सहायता पर असर पड़ सकता है.
पाकिस्तान 9/11 के बाद अमेरिकी विदेशी सहायता प्राप्त करने वाले प्रमुख देशों में है. अमेरिकी सहायता प्राप्त करने वाले प्रमुख देशों में अफगानिस्तान (4.7 अरब डॉलर), इस्राइल (3.1 अरब डॉलर), मिस्र (1.4 अरब डॉलर), इराक (1.1 अरब डॉलर), जोर्डन (1.0 अरब डॉलर) तथा पाकिस्तान (74.2 करोड़ डॉलर) शामिल हैं.
अपने प्रचार अभियान के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वह विदेशों में कम धन खर्च करना चाहते हैं और अधिक धन अपने देश लाना चाहते हैं. बजट प्रस्ताव उस लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास करता है. व्हाइट हाउस में पेश किया गया बजट प्रस्ताव पूर्ण बजट नहीं है. पूर्ण बजट मई में पेश किया जाएगा.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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