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Joint Taxation: क्या पति-पत्नी टैक्स बचाने के लिए फाइल कर सकते हैं ज्वाइंट इनकम टैक्स ? जानें इसके फायदे

Income Tax Returns for Married Couples: ज्वाइंट टैक्सेशन का फायदा खास तौर पर उन दंपत्तियों को होगा, जिसमें एक की इनकम दूसरे की तुलना में काफी ज्यादा है. अपनी इनकम को मिलाकर रिटर्न फाइल करने से उनकी टैक्स लायबिलिटी कम हो जाएगी. क्योंकि टैक्स लायबिलिटी दोनों की औसत आय के आधार पर तय की जाएगी.

Joint Taxation: क्या पति-पत्नी टैक्स बचाने के लिए फाइल कर सकते हैं ज्वाइंट इनकम टैक्स ? जानें इसके फायदे
Filing of Income Tax Returns for Married Couples: ICAI ने विवाहित जोड़ों के लिए एक ज्वाइंट टैक्सेशन स्कीम शुरू करने का सुझाव दिया है. इससे जहां परिवारों पर टैक्‍स का बोझ कम होगा, वहीं टैक्स चोरी पर भी लगाम लगेगी.
नई दिल्ली:

Joint Taxation: प्री-बजट मेमोरेंडम 2025 में इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि विवाहित जोड़ों को संयुक्त रूप से आयकर रिटर्न ( Joint Taxation of Married Couples) दाखिल करने की इजाजत दी जाए. ICAI के इस प्रस्ताव का मकसद परिवारों पर बढ़ते टैक्स बोझ को कम करना है. आपको बता दें कि ज्वाइंट टैक्सेशन सिस्टम अमेरिका और इंग्लैंड सहित कई देशों में लागू है.

वर्तमान में, आप या तो सेक्शन 115BAC के तहत डिफॉल्ट टैक्स रिजीम का विकल्प चुन सकते हैं या टैक्सेशन के लिए सामान्य प्रावधान (Normal Provision) चुन सकते हैं. इसके अलावा, इंडीविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए डिफॉल्ट स्कीम के तहत बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट (Basic Exemption Limit) 2.5 लाख रुपये है, और नई/डिफॉल्ट रिजीम के तहत, यह 3 लाख रुपये तक जा सकती है.

मौजूदा टैक्स छूट काफी नहीं

भारत में ज्यादातर परिवारों में एक ही सदस्य कमाने वाला होता है, ऐसे में बढ़ती महंगाई को देखते हुए मौजूदा एग्जम्प्शन लिमिट काफी नहीं है. यहां तक कि अगर सिर्फ चार लोगों का परिवार है तो भी मौजूदा टैक्स छूट कम नजर आती है. जिसके चलते लोग अपनी इनकम को परिवार में स्प्लिट करके अपना टैक्स बचाने की कोशिश करते हैं.

इसलिए ICAI ने विवाहित जोड़ों के लिए एक ज्वाइंट टैक्सेशन स्कीम शुरू करने का सुझाव दिया है. इससे जहां परिवारों पर टैक्‍स का बोझ कम होगा, वहीं टैक्स चोरी पर भी लगाम लगेगी.

ICAI  के इस प्रस्ताव के मुताबिक, विवाहित जोड़ों को ज्वाइंट इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की इजाजत होनी चाहिए. ऐसा होने पर उनकी टैक्स छूट की सीमा दोगुनी होकर 6 लाख रुपये प्रति परिवार हो जाएगी. ICAI ने यह भी बताया कि दंपत्ति के लिए इनकम टैक्स की दरें क्या होनी चाहिए.

टोटल टैक्सेबल इनकम और टैक्स की दरें

ICAI के मुताबिक 6 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगना चाहिए. 6-14 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स रेट 5%, 14-20 लाख रुपये तक की इनकम पर 10%, 20-24 लाख रुपये तक की इनकम पर 15%, 24-30 लाख रुपये तक की इनकम पर 20% और 30 लाख रुपये से ज्यादा की इनकम पर 30% लगना चाहिए. यदि पति पत्नी दोनों नौकरी करते हैं, तो स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन का फायदा दोनों को मिलना चाहिए.

इसके अलावा ICAI ने सरचार्ज लिमिट (Surcharge Limit) को बढ़ाने की भी सिफारिश की है. उन्होंने प्रस्ताव रखा है कि 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की इनकम पर खास दरें लागू की जाएं, जो इस प्रकार होनी चाहिए:

  • 1 करोड़ रुपये से 2 करोड़ रुपये तक की इनकम पर - 10% सरचार्ज
  • 2 करोड़ रुपये से 4 करोड़ रुपये तक की इनकम पर - 15% सरचार्ज
  • 4 करोड़ रुपये से ज्यादा की इनकम पर- 25% सरचार्ज

ज्वाइंट टैक्सेशन का फायदा

ज्वाइंट टैक्सेशन का फायदा खास तौर पर उन दंपत्तियों को होगा, जिसमें एक की इनकम दूसरे की तुलना में काफी ज्यादा है. अपनी इनकम को मिलाकर रिटर्न फाइल करने से उनकी टैक्स लायबिलिटी कम हो जाएगी. क्योंकि टैक्स लायबिलिटी दोनों की औसत आय के आधार पर तय की जाएगी.

इस तरह अलग-अलग रिटर्न फाइल करने की तुलना में साथ में रिटर्न फाइल करने से उन पर टैक्स का बोझ कम हो सकता है. अब देखना होगा कि बजट 2025 ICAI की इस सिफारिश को स्वीकार किया जाता है या नहीं.


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