Zara Hatke | Written by: संज्ञा सिंह |शुक्रवार अप्रैल 15, 2022 10:54 AM IST “उसकी कहानी सुनने के बाद, उन्होंने हर तरह से मदद करने का वादा किया. लेकिन वह भी उस मदद की सीमा का अंदाजा नहीं लगा सकती थी. जिस दिन उनकी उस जगह ड्यूटी लगाई जाती है, उस दिन सार्जेंट घोष लड़के को पढ़ाते भी हैं."