Violence In Patiala House Court
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3 पुलिसवालों ने सब देखा, लेकिन कन्हैया पर केस टीवी फुटेज के आधार पर ही बना
- Thursday February 18, 2016
- Edited by: Sreenivasan Jain with Manas Roshan and Aishwarya Iyer
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार पर हुए हमले के घंटों बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने एनडीटीवी से कहा कि वो कन्हैया की जमानत का विरोध नहीं करेंगे।
- ndtv.in
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अब देशभक्ति के नए रूप, और उसके प्रकारों को भी देखना-समझना पड़ेगा
- Thursday February 18, 2016
- Sudhir Jain
बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट में देशभक्ति के नए रूप के सहारे भयावह नज़ारा पेश किया गया। सुप्रीम कोर्ट को फौरन दखल देकर अपने वरिष्ठ वकीलों को भेजना पड़ा, और जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर मामले की सुनवाई को रोकना पड़ा।
- ndtv.in
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कोर्ट परिसर में हिंसा : सिर्फ गाइडलाइन तय न हों, कार्रवाई भी होनी चाहिए
- Wednesday February 17, 2016
- Virag Gupta
कोर्ट परिसर में हिंसा संविधान के शासन को चुनौती है, जो सबसे बड़ा राजद्रोह है, और इसके विरुद्ध सरकार का मौन दुःखद है। देश में कानून के शासन की रक्षा अब गाइडलाइन्स से नहीं, वरन् संविधान के निष्पक्ष अनुपालन से हो पाएगी, जिसके तहत सरकार और अदालतें काम कर रही हैं।
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3 पुलिसवालों ने सब देखा, लेकिन कन्हैया पर केस टीवी फुटेज के आधार पर ही बना
- Thursday February 18, 2016
- Edited by: Sreenivasan Jain with Manas Roshan and Aishwarya Iyer
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार पर हुए हमले के घंटों बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने एनडीटीवी से कहा कि वो कन्हैया की जमानत का विरोध नहीं करेंगे।
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अब देशभक्ति के नए रूप, और उसके प्रकारों को भी देखना-समझना पड़ेगा
- Thursday February 18, 2016
- Sudhir Jain
बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट में देशभक्ति के नए रूप के सहारे भयावह नज़ारा पेश किया गया। सुप्रीम कोर्ट को फौरन दखल देकर अपने वरिष्ठ वकीलों को भेजना पड़ा, और जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर मामले की सुनवाई को रोकना पड़ा।
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कोर्ट परिसर में हिंसा : सिर्फ गाइडलाइन तय न हों, कार्रवाई भी होनी चाहिए
- Wednesday February 17, 2016
- Virag Gupta
कोर्ट परिसर में हिंसा संविधान के शासन को चुनौती है, जो सबसे बड़ा राजद्रोह है, और इसके विरुद्ध सरकार का मौन दुःखद है। देश में कानून के शासन की रक्षा अब गाइडलाइन्स से नहीं, वरन् संविधान के निष्पक्ष अनुपालन से हो पाएगी, जिसके तहत सरकार और अदालतें काम कर रही हैं।
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