Sunday Special Programme On Doordarshan
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1989 का संडे स्पेशल होता था बेहद खास, सुबह 7 बजे से शुरू होता था एंटरटेनमेंट का वो दौर, रात साढ़े 10 तक टकटकी लगाकर देखते थे लोग
आज भले ही दूरदर्शन को कम ही लोग देखते हैं और कमर्शियल टीवी शो, फिल्म और ओटीटी की तरफ ज्यादा रुझान लोगों का हो गया है.
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जब संडे सुबह दूरदर्शन पर इस कार्टून शो को देखने के लिए बच्चे छोड़ देते थे सारे काम, मम्मी-पापा की डांट का भी नहीं पड़ता था कोई असर
टीवी हो या फिर बड़ा पर्दा हो, इन दिनों हर जगह एनिमेटेड मूवीज की भरमार है. टूडी से लेकर थ्री डी तक एनिमेशन की दुनिया में हर तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं.
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जब संडे के दिन सुबह 5 बजे से ही दूरदर्शन पर शुरू हो जाता था मनोरंजन, रंगोली से लेकर फिल्म तक का लोग करते थे बेसब्री से इंतजार
Doordarshan: लोगों के संडे को खास बनाने के लिए, उस दौर के हिसाब से इसके पास बहुत कुछ होता था. आपको बताते हैं कि साल 1995 के आसपास हर रविवार को दूरदर्शन क्या सौगात लेकर आता था.
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1989 का संडे स्पेशल होता था बेहद खास, सुबह 7 बजे से शुरू होता था एंटरटेनमेंट का वो दौर, रात साढ़े 10 तक टकटकी लगाकर देखते थे लोग
आज भले ही दूरदर्शन को कम ही लोग देखते हैं और कमर्शियल टीवी शो, फिल्म और ओटीटी की तरफ ज्यादा रुझान लोगों का हो गया है.
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जब संडे सुबह दूरदर्शन पर इस कार्टून शो को देखने के लिए बच्चे छोड़ देते थे सारे काम, मम्मी-पापा की डांट का भी नहीं पड़ता था कोई असर
टीवी हो या फिर बड़ा पर्दा हो, इन दिनों हर जगह एनिमेटेड मूवीज की भरमार है. टूडी से लेकर थ्री डी तक एनिमेशन की दुनिया में हर तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं.
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जब संडे के दिन सुबह 5 बजे से ही दूरदर्शन पर शुरू हो जाता था मनोरंजन, रंगोली से लेकर फिल्म तक का लोग करते थे बेसब्री से इंतजार
Doordarshan: लोगों के संडे को खास बनाने के लिए, उस दौर के हिसाब से इसके पास बहुत कुछ होता था. आपको बताते हैं कि साल 1995 के आसपास हर रविवार को दूरदर्शन क्या सौगात लेकर आता था.