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International Stuttering Awareness Day: क्यों रुक-रुककर बोलते हैं कुछ लोग, क्या है हकलाहट के पीछे वजह? जानिए
- Thursday November 21, 2024
- Written by: अवधेश पैन्यूली
International Stuttering Awareness Day 2024: हकलाहट एक कम्युनिकेशन डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति बोलते समय शब्दों को दोहराता है या रुक-रुक कर बोलता है. यह समस्या किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन बचपन में यह ज्यादा प्रचलित होती है.
- ndtv.in
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कोरोना महामारी के बीच छोटे बच्चों में बोलने की दिक़्क़त बढ़ी, स्पीच थेरेपी वाले बच्चों में 30% इज़ाफ़ा
- Wednesday January 26, 2022
- Reported by: पूजा भारद्वाज
छोटे बच्चों के सामाजिक विकास, भाषा का ज्ञान, बोलने की क्षमता पर कोविड ने गहरा असर छोड़ा है. मुंबई के अलग-अलग अस्पतालों में ऐसे छोटे बच्चों की संख्या क़रीब 25-30% बढ़ी है जिन्हें बोलने में दिक़्क़त हो रही है और स्पीच थेरेपी की ज़रूरत पड़ रही है. 15 महीने तक का बच्चा अगर बोलना शुरू ना करे, 2 साल की उम्र तक पूरा वाक्य ना बोले तो ये वॉर्निंग साइन है! Wockhardt अस्पताल की Pediatric Physiotherapist डॉ अनुशा कोटियान चार साल के एक बच्चे को बोलना सिखा रही हैं. महामारी के इस दौर में कई छोटे बच्चों का सामाजिक विकास रुका है, स्पष्ट रूप से शब्दों को बोलने में कठिनाई हो रही है और स्पीच थेरेपी की ज़रूरत पड़ रही है.
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International Stuttering Awareness Day: क्यों रुक-रुककर बोलते हैं कुछ लोग, क्या है हकलाहट के पीछे वजह? जानिए
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International Stuttering Awareness Day 2024: हकलाहट एक कम्युनिकेशन डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति बोलते समय शब्दों को दोहराता है या रुक-रुक कर बोलता है. यह समस्या किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन बचपन में यह ज्यादा प्रचलित होती है.
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कोरोना महामारी के बीच छोटे बच्चों में बोलने की दिक़्क़त बढ़ी, स्पीच थेरेपी वाले बच्चों में 30% इज़ाफ़ा
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छोटे बच्चों के सामाजिक विकास, भाषा का ज्ञान, बोलने की क्षमता पर कोविड ने गहरा असर छोड़ा है. मुंबई के अलग-अलग अस्पतालों में ऐसे छोटे बच्चों की संख्या क़रीब 25-30% बढ़ी है जिन्हें बोलने में दिक़्क़त हो रही है और स्पीच थेरेपी की ज़रूरत पड़ रही है. 15 महीने तक का बच्चा अगर बोलना शुरू ना करे, 2 साल की उम्र तक पूरा वाक्य ना बोले तो ये वॉर्निंग साइन है! Wockhardt अस्पताल की Pediatric Physiotherapist डॉ अनुशा कोटियान चार साल के एक बच्चे को बोलना सिखा रही हैं. महामारी के इस दौर में कई छोटे बच्चों का सामाजिक विकास रुका है, स्पष्ट रूप से शब्दों को बोलने में कठिनाई हो रही है और स्पीच थेरेपी की ज़रूरत पड़ रही है.
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