Singer Pandit
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शादी में 7 वचन की जगह पंडित जी सुनाने लगे फिल्मों के गाने, हंस-हंसकर लोटपोट हुए लोग, बोले- लगता है सिंगर बनने का था अरमान
- Tuesday July 9, 2024
- Written by: शालिनी सेंगर
एक पंडित जी ने शादी के वचनों की जगह बॉलीवुड के गाने गाकर लोगों को हैरान कर दिया. पंडित जी का ये अनोखा अंदाज देखकर कुछ लोग दंग रह गए, तो कुछ लोग अपनी हंसी नहीं रोक पाए.
- ndtv.in
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कैसे छन्नू लाल मिश्र ने गाने के जरिये मताधिकार की अहमियत बताई
- Wednesday March 9, 2022
- Reported by: संकेत उपाध्याय
वाराणसी में प्रसिद्ध संगीतकार छन्नूलाल मिश्र ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. उन्होंने गाने के माध्यम से लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि मतदान देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण है.प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र ने सोमवार को अपने मताधिकार का प्रयोग किया. उन्होंने एक गीत गाकर लोगों को वोट डालने की सीख दी. यूपी में मतदान के आखिरी चरण में सोमवार को वोटिंग हुई.
- ndtv.in
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मठों-मंदिरों के संगीत का दुनिया को मुरीद बनाने वाले पंडित जसराज
- Friday August 21, 2020
- सूर्यकांत पाठक
आम तौर पर शास्त्रीय संगीत सभाओं में इस परंपरा में रुचि रखने वाले या फिर वे रसिक, जो इसके अलौकिक आनंद में गोता लगाना जानते हैं, ही पहुंचते हैं. लेकिन पंडित जसराज की सभाओं में श्रोताओं का समूह इससे कुछ जुदा होता था. उनकी सभाओं में शुद्ध शास्त्रीय संगीतों के रसिकों के अलावा वे आम श्रोता भी होते थे जो भारतीय भक्ति परंपरा में विश्वास रखते थे. इसका कारण था मेवाती घराने की वह सुर धारा जिसका कहीं अधिक उन्नत स्वरूप पंडित जसराज के गायन में देखने को मिलता है. पंडित जी ने अपने गायन में उस वैष्णव भक्ति परंपरा को चुना जो भारतीय संस्कृति का मजबूत आधार रही है. दैवीय आख्यान मेवाती घराने की विशेषता रही है. यह वह परंपरा है जिसका विकास मंदिरों में गायन से हुआ है. यह 'टेंपल म्युजिक' है. यह संगीत का वही स्वरूप है जो निराकार को साकर करता है, जो निराकार को सुरों में संजोकर आकार देता है. जो मानव को चिरंतन में लीन होने की दिशा में ले जाता है. पंडित जसराज की बंदिशें देवों को समर्पित हैं. वे देव जो भारतीय संस्कृति का अमिट हिस्सा हैं. पंडित जी के सुरों के साथ शब्द ब्रह्म आम लोगों के मन की थाह तक पहुंचते रहे.
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एक पंडित जी ने शादी के वचनों की जगह बॉलीवुड के गाने गाकर लोगों को हैरान कर दिया. पंडित जी का ये अनोखा अंदाज देखकर कुछ लोग दंग रह गए, तो कुछ लोग अपनी हंसी नहीं रोक पाए.
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वाराणसी में प्रसिद्ध संगीतकार छन्नूलाल मिश्र ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. उन्होंने गाने के माध्यम से लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि मतदान देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण है.प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र ने सोमवार को अपने मताधिकार का प्रयोग किया. उन्होंने एक गीत गाकर लोगों को वोट डालने की सीख दी. यूपी में मतदान के आखिरी चरण में सोमवार को वोटिंग हुई.
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आम तौर पर शास्त्रीय संगीत सभाओं में इस परंपरा में रुचि रखने वाले या फिर वे रसिक, जो इसके अलौकिक आनंद में गोता लगाना जानते हैं, ही पहुंचते हैं. लेकिन पंडित जसराज की सभाओं में श्रोताओं का समूह इससे कुछ जुदा होता था. उनकी सभाओं में शुद्ध शास्त्रीय संगीतों के रसिकों के अलावा वे आम श्रोता भी होते थे जो भारतीय भक्ति परंपरा में विश्वास रखते थे. इसका कारण था मेवाती घराने की वह सुर धारा जिसका कहीं अधिक उन्नत स्वरूप पंडित जसराज के गायन में देखने को मिलता है. पंडित जी ने अपने गायन में उस वैष्णव भक्ति परंपरा को चुना जो भारतीय संस्कृति का मजबूत आधार रही है. दैवीय आख्यान मेवाती घराने की विशेषता रही है. यह वह परंपरा है जिसका विकास मंदिरों में गायन से हुआ है. यह 'टेंपल म्युजिक' है. यह संगीत का वही स्वरूप है जो निराकार को साकर करता है, जो निराकार को सुरों में संजोकर आकार देता है. जो मानव को चिरंतन में लीन होने की दिशा में ले जाता है. पंडित जसराज की बंदिशें देवों को समर्पित हैं. वे देव जो भारतीय संस्कृति का अमिट हिस्सा हैं. पंडित जी के सुरों के साथ शब्द ब्रह्म आम लोगों के मन की थाह तक पहुंचते रहे.
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