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पंडित छन्नूलाल मिश्र: बनारस, भक्ति और भावुकता का स्वर
- Thursday October 2, 2025
- Written by: अनुराग द्वारी
शास्त्रीय गायक पद्म विभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्र का आज सुबह उत्तर प्रदेश के मिरजापुर में निधन हो गया. उन्होंने वहां अपनी बेटी के घर में अंतिम सांस ली. पंडित जी को श्रद्धांजलि दे रहे हैं एनडीटीवी के एग्जक्यूटिव एडिटर अनुराग द्वारी.
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मोहन लाल मिश्र कैसे बन गए पंडित छन्नू लाल मिश्र जानिए नाम की क्या थी पूरी कहानी
- Thursday October 2, 2025
- Written by: Sachin Jha Shekhar
मोहन लाल मिश्र कैसे बने पंडित छन्नू लाल मिश्र, इसकी कहानी सिर्फ नाम बदलने की नहीं बल्कि परंपरा और मान्यता से भी जुड़ी है. आज़मगढ़ से लेकर बनारस और फिर दुनिया भर में ‘छन्नू’ नाम ने ही उन्हें अमर बना दिया.
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शादी में 7 वचन की जगह पंडित जी सुनाने लगे फिल्मों के गाने, हंस-हंसकर लोटपोट हुए लोग, बोले- लगता है सिंगर बनने का था अरमान
- Tuesday July 9, 2024
- Written by: शालिनी सेंगर
एक पंडित जी ने शादी के वचनों की जगह बॉलीवुड के गाने गाकर लोगों को हैरान कर दिया. पंडित जी का ये अनोखा अंदाज देखकर कुछ लोग दंग रह गए, तो कुछ लोग अपनी हंसी नहीं रोक पाए.
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कैसे छन्नू लाल मिश्र ने गाने के जरिये मताधिकार की अहमियत बताई
- Wednesday March 9, 2022
- Reported by: संकेत उपाध्याय
वाराणसी में प्रसिद्ध संगीतकार छन्नूलाल मिश्र ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. उन्होंने गाने के माध्यम से लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि मतदान देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण है.प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र ने सोमवार को अपने मताधिकार का प्रयोग किया. उन्होंने एक गीत गाकर लोगों को वोट डालने की सीख दी. यूपी में मतदान के आखिरी चरण में सोमवार को वोटिंग हुई.
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मठों-मंदिरों के संगीत का दुनिया को मुरीद बनाने वाले पंडित जसराज
- Friday August 21, 2020
- सूर्यकांत पाठक
आम तौर पर शास्त्रीय संगीत सभाओं में इस परंपरा में रुचि रखने वाले या फिर वे रसिक, जो इसके अलौकिक आनंद में गोता लगाना जानते हैं, ही पहुंचते हैं. लेकिन पंडित जसराज की सभाओं में श्रोताओं का समूह इससे कुछ जुदा होता था. उनकी सभाओं में शुद्ध शास्त्रीय संगीतों के रसिकों के अलावा वे आम श्रोता भी होते थे जो भारतीय भक्ति परंपरा में विश्वास रखते थे. इसका कारण था मेवाती घराने की वह सुर धारा जिसका कहीं अधिक उन्नत स्वरूप पंडित जसराज के गायन में देखने को मिलता है. पंडित जी ने अपने गायन में उस वैष्णव भक्ति परंपरा को चुना जो भारतीय संस्कृति का मजबूत आधार रही है. दैवीय आख्यान मेवाती घराने की विशेषता रही है. यह वह परंपरा है जिसका विकास मंदिरों में गायन से हुआ है. यह 'टेंपल म्युजिक' है. यह संगीत का वही स्वरूप है जो निराकार को साकर करता है, जो निराकार को सुरों में संजोकर आकार देता है. जो मानव को चिरंतन में लीन होने की दिशा में ले जाता है. पंडित जसराज की बंदिशें देवों को समर्पित हैं. वे देव जो भारतीय संस्कृति का अमिट हिस्सा हैं. पंडित जी के सुरों के साथ शब्द ब्रह्म आम लोगों के मन की थाह तक पहुंचते रहे.
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पंडित छन्नूलाल मिश्र: बनारस, भक्ति और भावुकता का स्वर
- Thursday October 2, 2025
- Written by: अनुराग द्वारी
शास्त्रीय गायक पद्म विभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्र का आज सुबह उत्तर प्रदेश के मिरजापुर में निधन हो गया. उन्होंने वहां अपनी बेटी के घर में अंतिम सांस ली. पंडित जी को श्रद्धांजलि दे रहे हैं एनडीटीवी के एग्जक्यूटिव एडिटर अनुराग द्वारी.
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मोहन लाल मिश्र कैसे बन गए पंडित छन्नू लाल मिश्र जानिए नाम की क्या थी पूरी कहानी
- Thursday October 2, 2025
- Written by: Sachin Jha Shekhar
मोहन लाल मिश्र कैसे बने पंडित छन्नू लाल मिश्र, इसकी कहानी सिर्फ नाम बदलने की नहीं बल्कि परंपरा और मान्यता से भी जुड़ी है. आज़मगढ़ से लेकर बनारस और फिर दुनिया भर में ‘छन्नू’ नाम ने ही उन्हें अमर बना दिया.
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शादी में 7 वचन की जगह पंडित जी सुनाने लगे फिल्मों के गाने, हंस-हंसकर लोटपोट हुए लोग, बोले- लगता है सिंगर बनने का था अरमान
- Tuesday July 9, 2024
- Written by: शालिनी सेंगर
एक पंडित जी ने शादी के वचनों की जगह बॉलीवुड के गाने गाकर लोगों को हैरान कर दिया. पंडित जी का ये अनोखा अंदाज देखकर कुछ लोग दंग रह गए, तो कुछ लोग अपनी हंसी नहीं रोक पाए.
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कैसे छन्नू लाल मिश्र ने गाने के जरिये मताधिकार की अहमियत बताई
- Wednesday March 9, 2022
- Reported by: संकेत उपाध्याय
वाराणसी में प्रसिद्ध संगीतकार छन्नूलाल मिश्र ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. उन्होंने गाने के माध्यम से लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि मतदान देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण है.प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र ने सोमवार को अपने मताधिकार का प्रयोग किया. उन्होंने एक गीत गाकर लोगों को वोट डालने की सीख दी. यूपी में मतदान के आखिरी चरण में सोमवार को वोटिंग हुई.
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मठों-मंदिरों के संगीत का दुनिया को मुरीद बनाने वाले पंडित जसराज
- Friday August 21, 2020
- सूर्यकांत पाठक
आम तौर पर शास्त्रीय संगीत सभाओं में इस परंपरा में रुचि रखने वाले या फिर वे रसिक, जो इसके अलौकिक आनंद में गोता लगाना जानते हैं, ही पहुंचते हैं. लेकिन पंडित जसराज की सभाओं में श्रोताओं का समूह इससे कुछ जुदा होता था. उनकी सभाओं में शुद्ध शास्त्रीय संगीतों के रसिकों के अलावा वे आम श्रोता भी होते थे जो भारतीय भक्ति परंपरा में विश्वास रखते थे. इसका कारण था मेवाती घराने की वह सुर धारा जिसका कहीं अधिक उन्नत स्वरूप पंडित जसराज के गायन में देखने को मिलता है. पंडित जी ने अपने गायन में उस वैष्णव भक्ति परंपरा को चुना जो भारतीय संस्कृति का मजबूत आधार रही है. दैवीय आख्यान मेवाती घराने की विशेषता रही है. यह वह परंपरा है जिसका विकास मंदिरों में गायन से हुआ है. यह 'टेंपल म्युजिक' है. यह संगीत का वही स्वरूप है जो निराकार को साकर करता है, जो निराकार को सुरों में संजोकर आकार देता है. जो मानव को चिरंतन में लीन होने की दिशा में ले जाता है. पंडित जसराज की बंदिशें देवों को समर्पित हैं. वे देव जो भारतीय संस्कृति का अमिट हिस्सा हैं. पंडित जी के सुरों के साथ शब्द ब्रह्म आम लोगों के मन की थाह तक पहुंचते रहे.
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