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असहमति को 'सेफ्टी वॉल्व' कहे जाने के मायने...
- Friday August 31, 2018
- सुधीर जैन
पुलिस ने जिन विद्वानों को दबिश डालकर पकड़ लिया था, उन्हें वापस उनके घर छोड़कर आना पड़ा. लेखकों, कवियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर यह रोक सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हो पाई. गौरतलब है कि भारतीय न्याय व्यवस्था की एक-एक बात संजोकर रखी जाती है. अदालतों के आदेशों को इतिहास की अलमारी में संगवाकर रखा जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने इन विद्वानों की गिरफ्तारी पर रोक लगाकर उसे नज़रबंदी में तब्दील करने का जो अंतरिम आदेश दिया, वह भी इतिहास में सुरक्षित रखा जाएगा. यह आदेश जिनके खिलाफ है, वे कह सकते हैं कि यह आदेश अंतिम निर्णय नहीं है, लेकिन इस मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने एक दार्शनिक वाक्य भी बोला है - असहमति लोकतंत्र का 'सेफ्टी वॉल्व' है... यह सार्थक वाक्य इतिहास में ज़रूर जाएगा. इतना ही नहीं, अदालत ने अपराधशास्त्रियों और न्यायशास्त्रियों को सोच-विचार का एक विषय भी दे दिया है.
- ndtv.in
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा - असहमति लोकतंत्र का 'सेफ्टी वॉल्व है, अगर इसे प्रेशर कूकर की तरह दबाएंगे तो...
- Thursday August 30, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए 5 मानवाधिकार कार्यकर्ताओ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि डिसेन्ट या असहमति होना लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है. अगर आप इसे प्रेशर कूकर की तरह दाबाएंगें तो ये फट जाएगा. तमाम दलीले सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियो को उनके घर में ही हाउस अरेस्ट रखा जाए. साथ ही महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करके इस मामले में 5 सितंबर तक जवाब मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी. सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद पुणे कोर्ट में दोबारा सुनवाई हुई और उसने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक आरोपियों को उनके घर पहुंचाने को कहा है.
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असहमति को 'सेफ्टी वॉल्व' कहे जाने के मायने...
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पुलिस ने जिन विद्वानों को दबिश डालकर पकड़ लिया था, उन्हें वापस उनके घर छोड़कर आना पड़ा. लेखकों, कवियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर यह रोक सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हो पाई. गौरतलब है कि भारतीय न्याय व्यवस्था की एक-एक बात संजोकर रखी जाती है. अदालतों के आदेशों को इतिहास की अलमारी में संगवाकर रखा जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने इन विद्वानों की गिरफ्तारी पर रोक लगाकर उसे नज़रबंदी में तब्दील करने का जो अंतरिम आदेश दिया, वह भी इतिहास में सुरक्षित रखा जाएगा. यह आदेश जिनके खिलाफ है, वे कह सकते हैं कि यह आदेश अंतिम निर्णय नहीं है, लेकिन इस मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने एक दार्शनिक वाक्य भी बोला है - असहमति लोकतंत्र का 'सेफ्टी वॉल्व' है... यह सार्थक वाक्य इतिहास में ज़रूर जाएगा. इतना ही नहीं, अदालत ने अपराधशास्त्रियों और न्यायशास्त्रियों को सोच-विचार का एक विषय भी दे दिया है.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा - असहमति लोकतंत्र का 'सेफ्टी वॉल्व है, अगर इसे प्रेशर कूकर की तरह दबाएंगे तो...
- Thursday August 30, 2018
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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए 5 मानवाधिकार कार्यकर्ताओ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि डिसेन्ट या असहमति होना लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है. अगर आप इसे प्रेशर कूकर की तरह दाबाएंगें तो ये फट जाएगा. तमाम दलीले सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियो को उनके घर में ही हाउस अरेस्ट रखा जाए. साथ ही महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करके इस मामले में 5 सितंबर तक जवाब मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी. सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद पुणे कोर्ट में दोबारा सुनवाई हुई और उसने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक आरोपियों को उनके घर पहुंचाने को कहा है.
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