Priydarshan Blog
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हम भी बदल गए क्रिकेट भी बदल गया
- Saturday December 25, 2021
- प्रियदर्शन
इस बीच हमने 2007 का टी-20 वर्ल्ड कप जीता और 2011 का वर्ल्ड कप भी. लेकिन हमारे देखते-देखते क्रिकेट पहले खेल से टीवी शो में बदलता गया और फिर तमाशे में- बेशक, ऐसे तमाशे में जो आज भी हमें रास आता है.
- ndtv.in
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आप किस भारत में रहते हैं?
- Friday November 19, 2021
- प्रियदर्शन
भारत अगर यूरोप जैसा समृद्ध होना चाहता है तो किसे लूटे? उसने अपने ही एक हिस्से को उपनिवेश बना रखा है. 40 करोड़ का भारत 80 करोड़ के भारत को लूट रहा है. इस 40 करोड़ के भारत में अमीर लगातार अमीर हुए जा रहे हैं और गरीब लगातार और गरीब.
- ndtv.in
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छठ का पर्व : यह कौन सा जल है जिसमें पांव डुबोती है संस्कृति?
- Wednesday November 10, 2021
- प्रियदर्शन
छठ की कई तरह की स्मृतियां मेरे भीतर हैं. दीपावली के बाद जब धूप नरम पत्तियों की तरह त्वचा को सहलाती थी और हवा की बढ़ती हल्की सी गुनगुनी ठंडक के बीच छठ की तैयारी शुरू होती थी तो उसमें सर्दियों के संकेत को हम पहली बार ठीक से पकड़ते थे. छठ की सुबह पहली बार हमारे स्वेटर निकलते थे. दिवाली में घर की सफाई के बाद झीलों, तालाबों और नदियों की सफ़ाई का सिलसिला शुरू होता और छठ के इस जल यज्ञ में हम डूबते हुए सूरज को भी शामिल कर लेते. एक मंद्र लय के उतार-चढ़ाव के बीच असंख्य कंठों से फूटते छठ के गीत पूजा को त्योहार में बदल देते थे.
- ndtv.in
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हम भी बदल गए क्रिकेट भी बदल गया
- Saturday December 25, 2021
- प्रियदर्शन
इस बीच हमने 2007 का टी-20 वर्ल्ड कप जीता और 2011 का वर्ल्ड कप भी. लेकिन हमारे देखते-देखते क्रिकेट पहले खेल से टीवी शो में बदलता गया और फिर तमाशे में- बेशक, ऐसे तमाशे में जो आज भी हमें रास आता है.
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आप किस भारत में रहते हैं?
- Friday November 19, 2021
- प्रियदर्शन
भारत अगर यूरोप जैसा समृद्ध होना चाहता है तो किसे लूटे? उसने अपने ही एक हिस्से को उपनिवेश बना रखा है. 40 करोड़ का भारत 80 करोड़ के भारत को लूट रहा है. इस 40 करोड़ के भारत में अमीर लगातार अमीर हुए जा रहे हैं और गरीब लगातार और गरीब.
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छठ का पर्व : यह कौन सा जल है जिसमें पांव डुबोती है संस्कृति?
- Wednesday November 10, 2021
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छठ की कई तरह की स्मृतियां मेरे भीतर हैं. दीपावली के बाद जब धूप नरम पत्तियों की तरह त्वचा को सहलाती थी और हवा की बढ़ती हल्की सी गुनगुनी ठंडक के बीच छठ की तैयारी शुरू होती थी तो उसमें सर्दियों के संकेत को हम पहली बार ठीक से पकड़ते थे. छठ की सुबह पहली बार हमारे स्वेटर निकलते थे. दिवाली में घर की सफाई के बाद झीलों, तालाबों और नदियों की सफ़ाई का सिलसिला शुरू होता और छठ के इस जल यज्ञ में हम डूबते हुए सूरज को भी शामिल कर लेते. एक मंद्र लय के उतार-चढ़ाव के बीच असंख्य कंठों से फूटते छठ के गीत पूजा को त्योहार में बदल देते थे.
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