Priyadarshan Blog Ndtv
- सब
- ख़बरें
-
एक ख़त कमाल के नाम
- Friday January 13, 2023
- प्रियदर्शन
कमाल साहब, हम दोनों को जो चीज़ जोड़ती थी, वह भाषा भी थी- लफ़्ज़ों के मानी में हमारा भरोसा, शब्दों की नई-नई रंगत खोजने की हमारी कोशिश और अदब की दरबानी का हमारा जज़्बा. पत्रकारिता के सतहीपन ने आपको भी दुखी किया और मुझे भी.
- ndtv.in
-
प्रियदर्शन का ब्लॉग: भाषा के नीम हकीम और मेडिकल की पढ़ाई
- Monday October 17, 2022
- एनडीटीवी
मेडिकल साइंस में करिअर बनाने निकले किसी लड़के को क्या यह पढ़ाई हिंदी में करना क़बूल होगा? संभव है, वह अपने लिए अंग्रेज़ी में ही मेडिकल की पढ़ाई को मुफ़ीद माने. उसे लगे कि महानगरों के बड़े निजी अस्पतालों में या विदेशों में उसके हिंदी में एमबीबीएस को वह अहमियत नहीं मिलेगी जो अभी मिला करती है.
- ndtv.in
-
प्रियदर्शन का ब्लॉग: मुलायम सिंह यादव की विदाई और समाजवाद की विरासत
- Monday October 10, 2022
- प्रियदर्शन
मुलायम योद्धा थे. सारी मुश्किलों को पार करते हुए, सारी आलोचनाओं से आगे निकल कर 2012 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की जीत की बुनियाद उन्होंने ही रखी थी. इसमें शक नहीं कि उन्होंने अपने बेटे को बेहद मज़बूत विरासत सौंपी.
- ndtv.in
-
गांधी को मारना कितना मुश्किल है!
- Monday October 3, 2022
- प्रियदर्शन
गांधी को महिषासुर बनाकर एक नई मिथक कथा तैयार करने की कोशिश इन्हीं मायावी तरीक़ों का हिस्सा है. इसका करुण पक्ष यह है कि जाने-अनजाने हिंदूवादी संगठन महिषासुर को भी एक मानवीय चेहरा प्रदान कर दे रहे हैं
- ndtv.in
-
क्या हम बुलडोज़र राज की ओर बढ़ रहे हैं?
- Friday August 5, 2022
- प्रियदर्शन
आतंकवाद ख़तरनाक है, लेकिन राज्य का आतंक उससे ज़्यादा ख़तरनाक है, क्योंकि इसका सीधा असर नागरिकों के जीने की स्वतंत्रता पर पड़ता है. सरकार जब तय कर लेती है कि वह किसी समूह या समुदाय को निशाना बनाएगी, जब वह कानूनी तौर-तरीक़ों की परवाह नहीं करती तो दरअसल वह सबसे पहले देश के साथ अन्याय कर रही होती है, अपने नागरिकों पर अत्याचार कर रही होती है.
- ndtv.in
-
थोड़ी गुस्ताख़ हंसी भी ज़रूरी है, कुछ चुभने वाले व्यंग्य चाहिए
- Thursday May 26, 2022
- प्रियदर्शन
शक्ति को हास्यास्पद बनाना ज़रूरी होता है. सत्ता और शक्ति की क्रूरता के ख़िलाफ़ जब बहुत सारी कार्रवाइयां विफल हो जाती हैं तो शायद हंसी उसका एक जवाब बनती है.
- ndtv.in
-
खिड़की में एक दीवार रहती थी
- Saturday March 12, 2022
- प्रियदर्शन
क्या वाकई हिंदी की दुनिया को हिंदी लेखक या लेखन की फ़िक्र है? विनोद कुमार शुक्ल जैसे बड़े लेखक का वीडियो आता है तो उनकी बेचारगी- उचित ही- सहानुभूति और आक्रोश पैदा करती है. लेकिन क्या यह बात छुपी हुई है कि हिंदी का लेखक और अनुवादक अंततः एक गरीब प्राणी है जिसे न्यूनतम मज़दूरी तक नहीं मिलती?
- ndtv.in
-
हमने कमाल को देखा है
- Friday January 14, 2022
- प्रियदर्शन
वे कई मायनों में अनूठे और अद्वितीय थे. टीवी खबरों की तेज़ रफ़्तार भागती-हांफती दुनिया में वे अपनी गति से चलते थे. यह कहीं से मद्धिम नहीं थी. लेकिन इस गति में भी वे अपनी पत्रकारिता का शील, उसकी गरिमा बनाए रखते थे. यह दरअसल उनके व्यक्तित्व की बुनावट में निहित था. जीवन ने उन्हें पर्याप्त सब्र दिया था. वे तेज़ी से काम करते थे, लेकिन जल्दबाज़ी में नहीं रहते थे.
- ndtv.in
-
क्या इन भटके हुए कश्मीरियों से भी बात नहीं की जानी चाहिए?
- Tuesday October 26, 2021
- प्रियदर्शन
कायदे से सरकारों को अभिभावक की तरह होना चाहिए. अपने बिगड़े हुए बच्चों को फौरन सज़ा देने की जगह रास्ते पर लौटाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए. लेकिन अमूमन सरकारें इतनी मानवीय नहीं होतीं, उनकी व्यवस्थाएं ऐसी आदर्श नहीं होतीं.
- ndtv.in
-
बाजार के अंगने में क्रिकेट, सिनेमा और सियासत
- Monday October 25, 2021
- प्रियदर्शन
भारतीय प्रशंसकों ने जो टी शर्ट पहन रखी थी, उस पर भी पेप्सी का विज्ञापन था और पाकिस्तान समर्थकों ने भी जो शर्ट पहन रखी थी उस पर भी पेप्सी बनी हुई थी. यानी मैच भारत जीते या पाकिस्तान- अंततः यह पेप्सी की जीत थी.
- ndtv.in
-
योगेंद्र यादव और पश्चाताप की गांधीवादी विरासत
- Saturday October 23, 2021
- प्रियदर्शन
किसान आंदोलन ने बीते एक वर्ष में कई भूलें की हैं. 26 जनवरी को लाल किले पर जो कुछ हुआ, उसने आंदोलन को काफी क्षति पहुंचाई थी. लखीमपुर कांड के बाद भीड़ की हिंसा और फिर गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान के नाम पर एक शख्स की बर्बर हत्या वे बदनुमा दाग हैं जो किसान आंदोलन के पूरे वजूद पर सवाल खड़े करते हैं.
- ndtv.in
-
वसीम जाफ़र के साथ खड़े हों
- Thursday February 18, 2021
- प्रियदर्शन
यह छुपी हुई बात नहीं है कि सौतेलेपन का यह एहसास इस समाज में बढ़ रहा है. बहुत संभव है कि यह सौतेलापन बहुत सारे लोगों के भीतर न हो, बहुसंख्यक समाज के भीतर भी न हो, लेकिन जो मुखर सौतेलापन है, वह इन वर्षों में दुराग्रही भी हुआ है, तीखा भी और ढीठ भी.
- ndtv.in
-
जब तोड़ने वाले जय श्रीराम का नारा लगाते हैं
- Friday January 22, 2021
- प्रियदर्शन
जय श्रीराम का यह रुग्ण इस्तेमाल इन दिनों लगातार बढ़ा है. कुछ दिन पहले ऐसे ही नारों और गाली-गलौज के बीच एक बाइक रैली निकली थी. जाहिर है, यह वे राम नहीं हैं जिनसे लोगों की आस्था हो, ये वे राम हैं जिनका इस्तेमाल एक हथियार की तरह होना है- एक विवेकहीन भीड़ के उन्माद के अस्त्र के रूप में.
- ndtv.in
-
एक ख़त कमाल के नाम
- Friday January 13, 2023
- प्रियदर्शन
कमाल साहब, हम दोनों को जो चीज़ जोड़ती थी, वह भाषा भी थी- लफ़्ज़ों के मानी में हमारा भरोसा, शब्दों की नई-नई रंगत खोजने की हमारी कोशिश और अदब की दरबानी का हमारा जज़्बा. पत्रकारिता के सतहीपन ने आपको भी दुखी किया और मुझे भी.
- ndtv.in
-
प्रियदर्शन का ब्लॉग: भाषा के नीम हकीम और मेडिकल की पढ़ाई
- Monday October 17, 2022
- एनडीटीवी
मेडिकल साइंस में करिअर बनाने निकले किसी लड़के को क्या यह पढ़ाई हिंदी में करना क़बूल होगा? संभव है, वह अपने लिए अंग्रेज़ी में ही मेडिकल की पढ़ाई को मुफ़ीद माने. उसे लगे कि महानगरों के बड़े निजी अस्पतालों में या विदेशों में उसके हिंदी में एमबीबीएस को वह अहमियत नहीं मिलेगी जो अभी मिला करती है.
- ndtv.in
-
प्रियदर्शन का ब्लॉग: मुलायम सिंह यादव की विदाई और समाजवाद की विरासत
- Monday October 10, 2022
- प्रियदर्शन
मुलायम योद्धा थे. सारी मुश्किलों को पार करते हुए, सारी आलोचनाओं से आगे निकल कर 2012 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की जीत की बुनियाद उन्होंने ही रखी थी. इसमें शक नहीं कि उन्होंने अपने बेटे को बेहद मज़बूत विरासत सौंपी.
- ndtv.in
-
गांधी को मारना कितना मुश्किल है!
- Monday October 3, 2022
- प्रियदर्शन
गांधी को महिषासुर बनाकर एक नई मिथक कथा तैयार करने की कोशिश इन्हीं मायावी तरीक़ों का हिस्सा है. इसका करुण पक्ष यह है कि जाने-अनजाने हिंदूवादी संगठन महिषासुर को भी एक मानवीय चेहरा प्रदान कर दे रहे हैं
- ndtv.in
-
क्या हम बुलडोज़र राज की ओर बढ़ रहे हैं?
- Friday August 5, 2022
- प्रियदर्शन
आतंकवाद ख़तरनाक है, लेकिन राज्य का आतंक उससे ज़्यादा ख़तरनाक है, क्योंकि इसका सीधा असर नागरिकों के जीने की स्वतंत्रता पर पड़ता है. सरकार जब तय कर लेती है कि वह किसी समूह या समुदाय को निशाना बनाएगी, जब वह कानूनी तौर-तरीक़ों की परवाह नहीं करती तो दरअसल वह सबसे पहले देश के साथ अन्याय कर रही होती है, अपने नागरिकों पर अत्याचार कर रही होती है.
- ndtv.in
-
थोड़ी गुस्ताख़ हंसी भी ज़रूरी है, कुछ चुभने वाले व्यंग्य चाहिए
- Thursday May 26, 2022
- प्रियदर्शन
शक्ति को हास्यास्पद बनाना ज़रूरी होता है. सत्ता और शक्ति की क्रूरता के ख़िलाफ़ जब बहुत सारी कार्रवाइयां विफल हो जाती हैं तो शायद हंसी उसका एक जवाब बनती है.
- ndtv.in
-
खिड़की में एक दीवार रहती थी
- Saturday March 12, 2022
- प्रियदर्शन
क्या वाकई हिंदी की दुनिया को हिंदी लेखक या लेखन की फ़िक्र है? विनोद कुमार शुक्ल जैसे बड़े लेखक का वीडियो आता है तो उनकी बेचारगी- उचित ही- सहानुभूति और आक्रोश पैदा करती है. लेकिन क्या यह बात छुपी हुई है कि हिंदी का लेखक और अनुवादक अंततः एक गरीब प्राणी है जिसे न्यूनतम मज़दूरी तक नहीं मिलती?
- ndtv.in
-
हमने कमाल को देखा है
- Friday January 14, 2022
- प्रियदर्शन
वे कई मायनों में अनूठे और अद्वितीय थे. टीवी खबरों की तेज़ रफ़्तार भागती-हांफती दुनिया में वे अपनी गति से चलते थे. यह कहीं से मद्धिम नहीं थी. लेकिन इस गति में भी वे अपनी पत्रकारिता का शील, उसकी गरिमा बनाए रखते थे. यह दरअसल उनके व्यक्तित्व की बुनावट में निहित था. जीवन ने उन्हें पर्याप्त सब्र दिया था. वे तेज़ी से काम करते थे, लेकिन जल्दबाज़ी में नहीं रहते थे.
- ndtv.in
-
क्या इन भटके हुए कश्मीरियों से भी बात नहीं की जानी चाहिए?
- Tuesday October 26, 2021
- प्रियदर्शन
कायदे से सरकारों को अभिभावक की तरह होना चाहिए. अपने बिगड़े हुए बच्चों को फौरन सज़ा देने की जगह रास्ते पर लौटाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए. लेकिन अमूमन सरकारें इतनी मानवीय नहीं होतीं, उनकी व्यवस्थाएं ऐसी आदर्श नहीं होतीं.
- ndtv.in
-
बाजार के अंगने में क्रिकेट, सिनेमा और सियासत
- Monday October 25, 2021
- प्रियदर्शन
भारतीय प्रशंसकों ने जो टी शर्ट पहन रखी थी, उस पर भी पेप्सी का विज्ञापन था और पाकिस्तान समर्थकों ने भी जो शर्ट पहन रखी थी उस पर भी पेप्सी बनी हुई थी. यानी मैच भारत जीते या पाकिस्तान- अंततः यह पेप्सी की जीत थी.
- ndtv.in
-
योगेंद्र यादव और पश्चाताप की गांधीवादी विरासत
- Saturday October 23, 2021
- प्रियदर्शन
किसान आंदोलन ने बीते एक वर्ष में कई भूलें की हैं. 26 जनवरी को लाल किले पर जो कुछ हुआ, उसने आंदोलन को काफी क्षति पहुंचाई थी. लखीमपुर कांड के बाद भीड़ की हिंसा और फिर गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान के नाम पर एक शख्स की बर्बर हत्या वे बदनुमा दाग हैं जो किसान आंदोलन के पूरे वजूद पर सवाल खड़े करते हैं.
- ndtv.in
-
वसीम जाफ़र के साथ खड़े हों
- Thursday February 18, 2021
- प्रियदर्शन
यह छुपी हुई बात नहीं है कि सौतेलेपन का यह एहसास इस समाज में बढ़ रहा है. बहुत संभव है कि यह सौतेलापन बहुत सारे लोगों के भीतर न हो, बहुसंख्यक समाज के भीतर भी न हो, लेकिन जो मुखर सौतेलापन है, वह इन वर्षों में दुराग्रही भी हुआ है, तीखा भी और ढीठ भी.
- ndtv.in
-
जब तोड़ने वाले जय श्रीराम का नारा लगाते हैं
- Friday January 22, 2021
- प्रियदर्शन
जय श्रीराम का यह रुग्ण इस्तेमाल इन दिनों लगातार बढ़ा है. कुछ दिन पहले ऐसे ही नारों और गाली-गलौज के बीच एक बाइक रैली निकली थी. जाहिर है, यह वे राम नहीं हैं जिनसे लोगों की आस्था हो, ये वे राम हैं जिनका इस्तेमाल एक हथियार की तरह होना है- एक विवेकहीन भीड़ के उन्माद के अस्त्र के रूप में.
- ndtv.in