Pind Daan At Gaya
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गया के अलावा इन धार्मिक स्थलों पर किया जाता है पितरों का पिंडदान, ये रहे उन पवित्र जगहों के नाम
- Friday September 16, 2022
Pitru paksh 2022 : गया के अलावा भी कई पवित्र स्थल (Holy places) हैं जहां पर अपने पितरों का पिंडदान किया जाता है, इस लेख में हम आपको बताएंगे उन जगहों के बारे में जहां पर भी अपने पूर्वजों का स्थापित कर सकते हैं.
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Pitru Paksha 2021: जानिये गया में बालू से क्यों दिया जाता है पिंडदान
- Thursday September 30, 2021
मान्यताओं के अनुसार, कई जगह पर बालू और चावल की पिंडी बनाकर पिंडदान किया जाता है. गया में बालू से पिंडदान किया जाता है. बालू से पिंडदान क्यों किया जाता है इसके बारे में लोगों के मन में सवाल होते हैं. बालू से पिंडदान का उल्लेख वाल्मिकी रामायण में मिलता है.
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फल्गु नदी के तट पर पिंडदान को क्यों माना जाता है खास, क्या है इसका महत्व...
- Wednesday August 30, 2017
गया शहर के पूर्वी छोर पर पवित्र फल्गु नदी बहती है. तकरीबन पूरे साल ही लोग अपने पूर्वजों के लिए मोक्ष की कामना लेकर यहां पहुंचते हैं और फल्गु नदी के तट पर पिंडदान और तर्पण करते हैं.
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'मोक्ष की धरती' पर पिंडदान के लिए हो रही है ऑनलाइन बुकिंग
- Wednesday August 30, 2017
पितृपक्ष यानी महालया में कर्मकांड की विधियां और विधान अलग-अलग हैं. श्रद्घालु एक दिन, तीन दिन, सात दिन, 15 दिन और 17 दिन का कर्मकांड करते हैं. इस दौरान पूर्वजों की मृत्युतिथि पर श्राद्ध किया जाता है.
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गया में पिंडदान और पितरों की आत्मा की शांति के लिए अब होगी ऑनलाइन बुकिंग
- Tuesday August 23, 2016
हिंदू धर्म को मानने वालों के लिए पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए आश्विन मास के कृष्ण पक्ष (पितृपक्ष या महालय पक्ष) में पिंडदान अहम कर्मकांड है। इस अवधि के दौरान लोग पिंडदान करते हैं। बिहार का गया पिंडदान के लिए सर्वोत्तम स्थल माना जाता है।
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गया के अलावा इन धार्मिक स्थलों पर किया जाता है पितरों का पिंडदान, ये रहे उन पवित्र जगहों के नाम
- Friday September 16, 2022
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- Thursday September 30, 2021
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- Wednesday August 30, 2017
गया शहर के पूर्वी छोर पर पवित्र फल्गु नदी बहती है. तकरीबन पूरे साल ही लोग अपने पूर्वजों के लिए मोक्ष की कामना लेकर यहां पहुंचते हैं और फल्गु नदी के तट पर पिंडदान और तर्पण करते हैं.
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- Wednesday August 30, 2017
पितृपक्ष यानी महालया में कर्मकांड की विधियां और विधान अलग-अलग हैं. श्रद्घालु एक दिन, तीन दिन, सात दिन, 15 दिन और 17 दिन का कर्मकांड करते हैं. इस दौरान पूर्वजों की मृत्युतिथि पर श्राद्ध किया जाता है.
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- Tuesday August 23, 2016
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