Pandit Jasraj
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मठों-मंदिरों के संगीत का दुनिया को मुरीद बनाने वाले पंडित जसराज
- Friday August 21, 2020
- सूर्यकांत पाठक
आम तौर पर शास्त्रीय संगीत सभाओं में इस परंपरा में रुचि रखने वाले या फिर वे रसिक, जो इसके अलौकिक आनंद में गोता लगाना जानते हैं, ही पहुंचते हैं. लेकिन पंडित जसराज की सभाओं में श्रोताओं का समूह इससे कुछ जुदा होता था. उनकी सभाओं में शुद्ध शास्त्रीय संगीतों के रसिकों के अलावा वे आम श्रोता भी होते थे जो भारतीय भक्ति परंपरा में विश्वास रखते थे. इसका कारण था मेवाती घराने की वह सुर धारा जिसका कहीं अधिक उन्नत स्वरूप पंडित जसराज के गायन में देखने को मिलता है. पंडित जी ने अपने गायन में उस वैष्णव भक्ति परंपरा को चुना जो भारतीय संस्कृति का मजबूत आधार रही है. दैवीय आख्यान मेवाती घराने की विशेषता रही है. यह वह परंपरा है जिसका विकास मंदिरों में गायन से हुआ है. यह 'टेंपल म्युजिक' है. यह संगीत का वही स्वरूप है जो निराकार को साकर करता है, जो निराकार को सुरों में संजोकर आकार देता है. जो मानव को चिरंतन में लीन होने की दिशा में ले जाता है. पंडित जसराज की बंदिशें देवों को समर्पित हैं. वे देव जो भारतीय संस्कृति का अमिट हिस्सा हैं. पंडित जी के सुरों के साथ शब्द ब्रह्म आम लोगों के मन की थाह तक पहुंचते रहे.
- ndtv.in
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काशी और संकटमोचन मंदिर की स्मृतियों में हमेशा रहेंगे पंडित जसराज : छन्नूलाल मिश्र
- Tuesday August 18, 2020
- Reported by: भाषा
मिश्र ने कहा ,‘‘ हमने कहा कि अरे भाई साहब आप हमसे बड़े हैं. आशीर्वाद क्या दें, शुभकामना दे सकते हैं. इस पर बोले कि आपको बहुत चीजें याद है और आप बहुत कुछ गाते हैं तो हम आपको नमस्कार करते हैं.’’ मिश्र ने कहा ,‘‘ यह दर्शाता है कि वह किस दर्जे के कलाकार थे.
- ndtv.in
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जाने माने शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का 90 वर्ष की उम्र में निधन
- Monday August 17, 2020
- Reported by: भाषा
मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का 90 वर्ष की उम्र में अमेरिका में निधन हो गया. 'पंडितजी' शास्त्रीय संगीत के मेवाती घराने से ताल्लुक रखते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित जसराज के निधन पर शोक जताया है.
- ndtv.in
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पंडित जसराज को जिस शख्स ने बोला था 'ऐसा-वैसा', उसी ने की थी हाथ जोड़कर ये विनती
- Thursday July 19, 2018
- Edited by: अल्केश कुशवाहा
उस सम्मेलन में उन्होंने पंडित डी.वी. पलुस्कर, पंडित रविशंकर तथा एक अन्य कलाकार के साथ रात भर तबला बजाया. '1946 में ही मैंने अन्नपूर्णा जी को पहली बार देखा था. तब पंडित रविशंकर जी बोरिवली में रहते थे और पन्नालाल घोष जी मलाड में रहते थे. मैं बड़े भाई साहब (पंडित मणिराम जी) के साथ पंडित रविशंकर को यवला फेस्टिवल के लिए बुक करने के लिए उनके घर गया था.
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मठों-मंदिरों के संगीत का दुनिया को मुरीद बनाने वाले पंडित जसराज
- Friday August 21, 2020
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आम तौर पर शास्त्रीय संगीत सभाओं में इस परंपरा में रुचि रखने वाले या फिर वे रसिक, जो इसके अलौकिक आनंद में गोता लगाना जानते हैं, ही पहुंचते हैं. लेकिन पंडित जसराज की सभाओं में श्रोताओं का समूह इससे कुछ जुदा होता था. उनकी सभाओं में शुद्ध शास्त्रीय संगीतों के रसिकों के अलावा वे आम श्रोता भी होते थे जो भारतीय भक्ति परंपरा में विश्वास रखते थे. इसका कारण था मेवाती घराने की वह सुर धारा जिसका कहीं अधिक उन्नत स्वरूप पंडित जसराज के गायन में देखने को मिलता है. पंडित जी ने अपने गायन में उस वैष्णव भक्ति परंपरा को चुना जो भारतीय संस्कृति का मजबूत आधार रही है. दैवीय आख्यान मेवाती घराने की विशेषता रही है. यह वह परंपरा है जिसका विकास मंदिरों में गायन से हुआ है. यह 'टेंपल म्युजिक' है. यह संगीत का वही स्वरूप है जो निराकार को साकर करता है, जो निराकार को सुरों में संजोकर आकार देता है. जो मानव को चिरंतन में लीन होने की दिशा में ले जाता है. पंडित जसराज की बंदिशें देवों को समर्पित हैं. वे देव जो भारतीय संस्कृति का अमिट हिस्सा हैं. पंडित जी के सुरों के साथ शब्द ब्रह्म आम लोगों के मन की थाह तक पहुंचते रहे.
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काशी और संकटमोचन मंदिर की स्मृतियों में हमेशा रहेंगे पंडित जसराज : छन्नूलाल मिश्र
- Tuesday August 18, 2020
- Reported by: भाषा
मिश्र ने कहा ,‘‘ हमने कहा कि अरे भाई साहब आप हमसे बड़े हैं. आशीर्वाद क्या दें, शुभकामना दे सकते हैं. इस पर बोले कि आपको बहुत चीजें याद है और आप बहुत कुछ गाते हैं तो हम आपको नमस्कार करते हैं.’’ मिश्र ने कहा ,‘‘ यह दर्शाता है कि वह किस दर्जे के कलाकार थे.
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जाने माने शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का 90 वर्ष की उम्र में निधन
- Monday August 17, 2020
- Reported by: भाषा
मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का 90 वर्ष की उम्र में अमेरिका में निधन हो गया. 'पंडितजी' शास्त्रीय संगीत के मेवाती घराने से ताल्लुक रखते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित जसराज के निधन पर शोक जताया है.
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पंडित जसराज को जिस शख्स ने बोला था 'ऐसा-वैसा', उसी ने की थी हाथ जोड़कर ये विनती
- Thursday July 19, 2018
- Edited by: अल्केश कुशवाहा
उस सम्मेलन में उन्होंने पंडित डी.वी. पलुस्कर, पंडित रविशंकर तथा एक अन्य कलाकार के साथ रात भर तबला बजाया. '1946 में ही मैंने अन्नपूर्णा जी को पहली बार देखा था. तब पंडित रविशंकर जी बोरिवली में रहते थे और पन्नालाल घोष जी मलाड में रहते थे. मैं बड़े भाई साहब (पंडित मणिराम जी) के साथ पंडित रविशंकर को यवला फेस्टिवल के लिए बुक करने के लिए उनके घर गया था.
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