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                                              भीड़ में भी शख्स को पहचान लेते हैं पक्षी, इस वजह से 'Birdman' के नाम से जाना जाता है यह पुलिस अधिकारी- Sunday January 12, 2020
- Written by: Megha Sharma
 सूरज कुमार ने कहा, ''ट्रैफिक पुलिस की अपनी नौकरी के साथ मैंने इन पक्षियों को खिलाने की भी जिम्मेदारी ली हुई है. मुझे बहुत अच्छा लगता है, जब ये पक्षी मेरे हाथ पर बैठ कर दाना चुगते हैं. मैं इन पक्षियों से उतना ही प्यार करता हूं, जितना ये मुझसे करते हैं. -   ndtv.in ndtv.in
 
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                                              ...जब मैं 45 दिनों के बाद चक्रवात फोनी का असर देखने पहुंचा- Saturday June 22, 2019
- सुशील कुमार महापात्र
 15 जून को पुरी के अलग-अलग गांव में जब मैं घूम रहा था, तब मैंने यह नहीं सोचा था कि लोग साइक्लोन फोनी के 45 दिनों के बाद भी संघर्ष कर रहे होंगे. भुवनेश्वर से करीब 120 किलोमीटर दूर मेरी गाड़ी जब कृष्ण-प्रसाद ब्लॉक के लिए निकली, तब मेरे मन में कई सवाल थे. मेरी गाड़ी जब धीरे-धीरे आगे बढ़ती गई, सभी सवालों ks जवाब मिलते गए. रास्ते के चारों तरफ बिखरे हुए पेड़ और टूटे हुए मकान देखकर मैं समझ गया साइक्लोन फोनी कितना खतरनाक था. -   ndtv.in ndtv.in
 
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                                              भीड़ में भी शख्स को पहचान लेते हैं पक्षी, इस वजह से 'Birdman' के नाम से जाना जाता है यह पुलिस अधिकारी- Sunday January 12, 2020
- Written by: Megha Sharma
 सूरज कुमार ने कहा, ''ट्रैफिक पुलिस की अपनी नौकरी के साथ मैंने इन पक्षियों को खिलाने की भी जिम्मेदारी ली हुई है. मुझे बहुत अच्छा लगता है, जब ये पक्षी मेरे हाथ पर बैठ कर दाना चुगते हैं. मैं इन पक्षियों से उतना ही प्यार करता हूं, जितना ये मुझसे करते हैं. -   ndtv.in ndtv.in
 
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                                              ...जब मैं 45 दिनों के बाद चक्रवात फोनी का असर देखने पहुंचा- Saturday June 22, 2019
- सुशील कुमार महापात्र
 15 जून को पुरी के अलग-अलग गांव में जब मैं घूम रहा था, तब मैंने यह नहीं सोचा था कि लोग साइक्लोन फोनी के 45 दिनों के बाद भी संघर्ष कर रहे होंगे. भुवनेश्वर से करीब 120 किलोमीटर दूर मेरी गाड़ी जब कृष्ण-प्रसाद ब्लॉक के लिए निकली, तब मेरे मन में कई सवाल थे. मेरी गाड़ी जब धीरे-धीरे आगे बढ़ती गई, सभी सवालों ks जवाब मिलते गए. रास्ते के चारों तरफ बिखरे हुए पेड़ और टूटे हुए मकान देखकर मैं समझ गया साइक्लोन फोनी कितना खतरनाक था. -   ndtv.in ndtv.in
 
 
                                                                                                        
                                                                                                       