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Lamhi Book Review: रेणु के पाठ की तैयारी
- Monday November 9, 2020
- एनडीटीवी
Lamhi Book Review: संपादकीय के अलावा इस अंक में कुल अड़तीस आलेख हैं. निर्मल वर्मा, सुरेंद्र चौधरी और नित्यानंद तिवारी के प्रसिद्ध लेख तो इस अंक में शामिल हैं ही, साथ ही नलिन विलोचन शर्मा का वह कालजयी लेख भी है, जिसमें मैला आंचल के प्रकाशन के तुरंत बाद उन्होंने रेणु के बारे में कहा था कि मैला आंचल की भाषा से हिंदी समृद्ध हुई है.
- ndtv.in
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उत्तर प्रदेश : लमही गांव में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उनके प्रति बरसा एक दिन का प्यार
- Thursday August 1, 2019
- Reported by: अजय सिंह, Edited by: सूर्यकांत पाठक
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती उनके गांव लमही मनाया गया. सरकारी महकमों ने अपनी फ़र्ज़ अदायगी की तो प्राइवेट स्कूल, रंगकर्मी, साहित्यकार और पत्रकारों ने भी अपने कथाकार को याद किया. अब पूरे साल उन्हें सभी उनके अपने हाल पर छोड़ देंगे. तमाम घोषणाओं के बावजूद मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव आज भी उपेक्षा का शिकार है. मुंशी जी की जयंती पर उनके पात्र होरी, माधव, घीसू की गहरी संवेदना से जुड़े कलाकार नाटक के जरिए उन्हें याद कर रहे थे. लमही में हर साल उनका जन्म दिवस मनाया जाता है. सरकारी महकमे फ़र्ज़ अदायगी का टेंट भी लगाते हैं. स्मारक स्थल पर कार्यक्रम होते हैं और गांव में मेले जैसा माहौल रहता है. लेकिन अपने कथाकार के प्रति एक दिन के इस प्यार पर गांव के लोगों के अंदर एक दर्द भी है.
- ndtv.in
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प्रेमचंद@135 : बेहतर तो होता कि आज आप प्रासंगिक न होते
- Friday July 31, 2015
- Reported by Ajay Singh, Edited by Suryakant Pathak
देश का मीडिया मुंबई बम काण्ड के दोषी याकूब मेमन की फांसी पर बहस मुबाहिसों में फंसा हुआ है। उसके पास उस सामाजिक सरोकार के लिए उतना समय नहीं है, जिसे मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कथावस्तु बनाया था।
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Lamhi Book Review: रेणु के पाठ की तैयारी
- Monday November 9, 2020
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Lamhi Book Review: संपादकीय के अलावा इस अंक में कुल अड़तीस आलेख हैं. निर्मल वर्मा, सुरेंद्र चौधरी और नित्यानंद तिवारी के प्रसिद्ध लेख तो इस अंक में शामिल हैं ही, साथ ही नलिन विलोचन शर्मा का वह कालजयी लेख भी है, जिसमें मैला आंचल के प्रकाशन के तुरंत बाद उन्होंने रेणु के बारे में कहा था कि मैला आंचल की भाषा से हिंदी समृद्ध हुई है.
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उत्तर प्रदेश : लमही गांव में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उनके प्रति बरसा एक दिन का प्यार
- Thursday August 1, 2019
- Reported by: अजय सिंह, Edited by: सूर्यकांत पाठक
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती उनके गांव लमही मनाया गया. सरकारी महकमों ने अपनी फ़र्ज़ अदायगी की तो प्राइवेट स्कूल, रंगकर्मी, साहित्यकार और पत्रकारों ने भी अपने कथाकार को याद किया. अब पूरे साल उन्हें सभी उनके अपने हाल पर छोड़ देंगे. तमाम घोषणाओं के बावजूद मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव आज भी उपेक्षा का शिकार है. मुंशी जी की जयंती पर उनके पात्र होरी, माधव, घीसू की गहरी संवेदना से जुड़े कलाकार नाटक के जरिए उन्हें याद कर रहे थे. लमही में हर साल उनका जन्म दिवस मनाया जाता है. सरकारी महकमे फ़र्ज़ अदायगी का टेंट भी लगाते हैं. स्मारक स्थल पर कार्यक्रम होते हैं और गांव में मेले जैसा माहौल रहता है. लेकिन अपने कथाकार के प्रति एक दिन के इस प्यार पर गांव के लोगों के अंदर एक दर्द भी है.
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प्रेमचंद@135 : बेहतर तो होता कि आज आप प्रासंगिक न होते
- Friday July 31, 2015
- Reported by Ajay Singh, Edited by Suryakant Pathak
देश का मीडिया मुंबई बम काण्ड के दोषी याकूब मेमन की फांसी पर बहस मुबाहिसों में फंसा हुआ है। उसके पास उस सामाजिक सरोकार के लिए उतना समय नहीं है, जिसे मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कथावस्तु बनाया था।
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