Ias Ap Singh
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लावारिस शव को कंधे पर उठाकर 2 किमी चली महिला इंस्पेक्टर, IAS बोला- 'इस जज़्बे को सलाम.... - देखें Video
- Wednesday February 3, 2021
- Written by: संज्ञा सिंह
आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) की एक महिला सब इंस्पेक्टर (SI) स्थानीय लोगों द्वारा मदद करने से इनकार करने पर एक बूढ़े, अज्ञात, बेघर आदमी के शव को अंतिम संस्कार के लिए दो किलोमीटर तक ले गई. अपने इस सेवा भाव से सब इंस्पेक्टर ने इंटरनेट पर लोगों का दिल जीत लिया.
- ndtv.in
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मजदूर ने कहा ट्रेन में खाना नहीं मिल रहा, नोडल ऑफिसर ने जवाब दिया- तो कूद जाओ ट्रेन से...
- Friday May 29, 2020
- Reported by: हरिबंश शर्मा, Edited by: सूर्यकांत पाठक
Jharkhand Lockdown: पूरा देश कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन से परेशानियां झेल रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी झेल रहे हैं वे मजदूर जो अपने राज्य से दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी की तलाश में गए हैं. इस संकट की घड़ी में हर मोर्चे पर, हर वर्ग कुछ न कुछ करने की कोशिश कर रहा है. सरकार और निजी प्रयास से लगातार दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर अपने राज्य वापस आ रहे हैं. झारखंड में अभी तक करीब तीन लाख प्रवासी मजदूर वापस आ चुके हैं. ट्रेन, बस, ट्रक, पैदल और न जाने किन-किन तरीकों से प्रवासी मजदूर वापस आ रहे हैं. इन हालात में एक वरिष्ठ नौकरशाह ने इतना असंवेदनशील रुख अपनाया कि जिससे पूरे अधिकारियों को शर्मिंदा होना पड़ रहा है.
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लावारिस शव को कंधे पर उठाकर 2 किमी चली महिला इंस्पेक्टर, IAS बोला- 'इस जज़्बे को सलाम.... - देखें Video
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आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) की एक महिला सब इंस्पेक्टर (SI) स्थानीय लोगों द्वारा मदद करने से इनकार करने पर एक बूढ़े, अज्ञात, बेघर आदमी के शव को अंतिम संस्कार के लिए दो किलोमीटर तक ले गई. अपने इस सेवा भाव से सब इंस्पेक्टर ने इंटरनेट पर लोगों का दिल जीत लिया.
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- Friday May 29, 2020
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Jharkhand Lockdown: पूरा देश कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन से परेशानियां झेल रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी झेल रहे हैं वे मजदूर जो अपने राज्य से दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी की तलाश में गए हैं. इस संकट की घड़ी में हर मोर्चे पर, हर वर्ग कुछ न कुछ करने की कोशिश कर रहा है. सरकार और निजी प्रयास से लगातार दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर अपने राज्य वापस आ रहे हैं. झारखंड में अभी तक करीब तीन लाख प्रवासी मजदूर वापस आ चुके हैं. ट्रेन, बस, ट्रक, पैदल और न जाने किन-किन तरीकों से प्रवासी मजदूर वापस आ रहे हैं. इन हालात में एक वरिष्ठ नौकरशाह ने इतना असंवेदनशील रुख अपनाया कि जिससे पूरे अधिकारियों को शर्मिंदा होना पड़ रहा है.
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