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होमोसेक्सुअलिटी और एडल्टरी को अपराध के दायरे में वापस लाना चाहता था पैनल, PM मोदी नहीं हुए सहमत
- Monday December 11, 2023
संसद की स्थायी समिति (कमिटी) की एक अन्य सिफारिश भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत गैर-सहमति वाले कामों को दंडित करने की थी. भले ही सुप्रीम कोर्ट ने वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया है, लेकिन कमिटी ने इसे नए विधेयक में बनाए रखने के लिए कहा है.
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समलैंगिकों को मिलेगी पत्थर मारकर मौत की सजा, ब्रुनेई की सरकार बोली- ये कानून सजा नहीं बचाव है...
- Saturday April 13, 2019
- NDTVKhabar News Desk
दुष्कर्म, व्याभिचार, अप्राकृतिक मैथुन, डकैती और पैगंबर मुहम्मद के अपमान के मामलों में मौत की सजा तक हो सकती है.
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? केंद्र ने कहा- धारा 377 का मसला हम सुप्रीम कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं
- Wednesday July 11, 2018
- NDTVKhabar News Desk
समलैंगिकता अपराध है या नहीं, इसे तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. मंगलवार से जारी सुनवाई में कई तरह की बातें आने के बाद बुधवा को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ से कहा कि समलैंगिकता संबंधी धारा 377 की संवैधानिकता के मसले को हम कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं.
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में धारा 377 पर आज से सुनवाई, 10 बड़ी बातें
- Tuesday July 10, 2018
- NDTVKhabar News Desk
समलैंगिगता को अपराध मानने वाली IPC धारा 377 को अंसवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ आज मंगलवार यानी 10 जुलाई मंगलवार से सुनवाई शुरू करेगी. इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की चार हफ्ते के लिए सुनवाई टालने के आग्रह को ठुकरा दिया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि सुनवाई टाली नहीं जाएगी. बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 2009 में अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से समलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं होंगे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को दरकिनार करते हुए समलैंगिक यौन संबंधों को आईपीसी की धारा 377 के तहत ‘अवैध’ घोषित कर दिया था.
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में आज से सुनवाई
- Tuesday July 10, 2018
- NDTVKhabar News Desk
उच्चतम न्यायालय ने 2013 में समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 में अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से समलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं होंगे.
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होमोसेक्सुअलिटी और एडल्टरी को अपराध के दायरे में वापस लाना चाहता था पैनल, PM मोदी नहीं हुए सहमत
- Monday December 11, 2023
संसद की स्थायी समिति (कमिटी) की एक अन्य सिफारिश भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत गैर-सहमति वाले कामों को दंडित करने की थी. भले ही सुप्रीम कोर्ट ने वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया है, लेकिन कमिटी ने इसे नए विधेयक में बनाए रखने के लिए कहा है.
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दुष्कर्म, व्याभिचार, अप्राकृतिक मैथुन, डकैती और पैगंबर मुहम्मद के अपमान के मामलों में मौत की सजा तक हो सकती है.
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? केंद्र ने कहा- धारा 377 का मसला हम सुप्रीम कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं
- Wednesday July 11, 2018
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं, इसे तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. मंगलवार से जारी सुनवाई में कई तरह की बातें आने के बाद बुधवा को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ से कहा कि समलैंगिकता संबंधी धारा 377 की संवैधानिकता के मसले को हम कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं.
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में धारा 377 पर आज से सुनवाई, 10 बड़ी बातें
- Tuesday July 10, 2018
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समलैंगिगता को अपराध मानने वाली IPC धारा 377 को अंसवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ आज मंगलवार यानी 10 जुलाई मंगलवार से सुनवाई शुरू करेगी. इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की चार हफ्ते के लिए सुनवाई टालने के आग्रह को ठुकरा दिया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि सुनवाई टाली नहीं जाएगी. बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 2009 में अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से समलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं होंगे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को दरकिनार करते हुए समलैंगिक यौन संबंधों को आईपीसी की धारा 377 के तहत ‘अवैध’ घोषित कर दिया था.
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- Tuesday July 10, 2018
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उच्चतम न्यायालय ने 2013 में समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 में अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से समलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं होंगे.
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