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Gorkha Regiment: मौत का दूसरा नाम हैं गोरखा सैनिक, सीएम योगी ने किया जिनकी बहादुरी का जिक्र- ये है पूरी कहानी
- Friday September 5, 2025
Story Of Gorkha Regiment: गोरखा सैनिकों को लेकर फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की एक बात हमेशा दोहराई जाती है. जिसमें उन्होंने कहा था कि 'कोई अगर कहता है कि मौत से उसे डर नहीं लगता तो या वो शख्स झूठ बोल रहा है या फिर वो गोरखा है'.
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...जब झारखंड के इन तीन वीरों के विद्रोह से कांप उठी थी अंग्रेजी हुकूमत, वीरता और शहादत की वो दास्तान
- Tuesday August 13, 2024
- Indo-Asian News Service
शोधकर्ताओं का कहना है कि ये विद्रोह बैरकपुर छावनी में 1857 के पहले हुआ था. अंग्रेजों ने जिस जगह तीनों विद्रोहियों को फांसी दी थी, वो जगह आज 'फंसियाबारी' के नाम से जानी जाती है. ये तीनों शहीद रोहिणी के आसपास के गांवों के रहने वाले थे.
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ब्रिटिश सैनिक वापस वतन पहुंचे, अफगानिस्तान में ब्रिटेन का 20 साल लंबा सैन्य अभियान खत्म
- Sunday August 29, 2021
सशस्त्र बल समुदाय को लिखे पत्र में जॉनसन ने माना कि काबुल को तालिबान के कब्जे में जाते देखना उन लोगों के लिए मुश्किल रहा होगा, खासकर जंग के दौरान जान कुर्बान करने वाले 457 सैनिकों के दोस्तों और प्रियजनों के लिए मुश्किल समय रहा होगा.
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ब्रिटेन के लिए शहीद भारतीय सैनिकों को सलामी दी जा सकती है, तो भीमा-कोरेगांव के महार सैनिकों को क्यों नहीं?
- Monday January 15, 2018
- Ravish Kumar
अप्रैल 2015, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के लिल (LILLE) स्थित NEUVE-CHAPELLE युद्ध स्मारक गए थे. वहां उन्होंने ब्रिटिश सेना की तरफ से फ्रांस की जमीन पर मारे गए 10,000 भारतीय सैनिकों की शहादत को सलामी दी थी. ऐसा करने वाले वह पहले प्रधानमंत्री बने थे. उन्होंने कहा था कि "हमारे जवानों ने विश्वयुद्ध में विदेशी जमीन पर लड़ाई लड़ी... अपनी निष्ठा, बहादुरी और त्याग के लिए दुनिया की प्रशंसा हासिल की... मैं उन्हें सलाम करता हूं..."
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