बाणभट्ट ने अपने दौर के सरकारी मुलाजिमों पर जो कटाक्ष किया है वह भारतीय साहित्य में ही नहीं, किसी भी युग में उस तीखेपन के साथ अन्यत्र भाषाओं में भी नहीं मिलता.
बाणभट्ट ने अपने दौर के सरकारी मुलाजिमों पर जो कटाक्ष किया है वह भारतीय साहित्य में ही नहीं, किसी भी युग में उस तीखेपन के साथ अन्यत्र भाषाओं में भी नहीं मिलता.