Amaresh Saurabh Blog
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टेक्नोलॉजी के इस दौर में 'डिजिटल डिटॉक्स' पर बात करना क्यों जरूरी है?
- Friday January 3, 2025
- अमरेश सौरभ
नए साल में या आने वाले दौर में ज्यों-ज्यों डिजिटल उपकरणों पर लोगों की निर्भरता बढ़ती जाएगी, त्यों-त्यों डिजिटल डिटॉक्स की जरूरत में भी इजाफा होता चला जाएगा.
- ndtv.in
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मैच ड्रॉ करवा पाने की काबिलियत को हल्के में मत लीजिए!
- Tuesday December 24, 2024
- अमरेश सौरभ
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच ब्रिसबेन के गाबा में खेला गया गावस्कर-बॉर्डर ट्राफी का तीसरा टेस्ट मैच बारिश की वजह से ड्रा हो गया था. हालांकि खिलाड़ियों का कहना है कि इससे टीम का आत्मविश्वास बढ़ा है. अमरेश सौरभ बता रहे हैं कि कैसे ड्रा कराया जाता है कोई मैच.
- ndtv.in
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महाकुंभ 2025 का हिस्सा बनने से पहले कुछ संकल्प लेना बेहद ज़रूरी
- Friday December 13, 2024
- अमरेश सौरभ
महाकुंभ विशाल उत्सव जैसा है, जो हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है. प्रयागराज महाकुंभ के दौरान देश-दुनिया की नजर इस ओर बराबर बनी रहेगी. बड़ी तादाद में विदेशी श्रद्धालु और सैलानी भी मौजूद रहेंगे. यह एक बड़ा मौका होगा, जब हम अपनी गौरवशाली परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर की अद्भुत झलक सबके सामने पेश कर सकेंगे. ऐसे में सबको अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझनी और संभालनी चाहिए.
- ndtv.in
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बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर बैन लगाना कितना कारगर...?
- Tuesday December 10, 2024
- अमरेश सौरभ
ऑस्ट्रेलिया की संसद ने एक बिल पास किया है. इसके मुताबिक, 16 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक बच्चों की पहुंच रोकने की जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों पर डाली गई है. अगर कंपनियां नाकाम रहीं, तो उन पर भारी-भरकम जुर्माना लग सकता है. ऐसा कानून लाने वाला ऑस्ट्रेलिया दुनिया का पहला देश है.
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बस आने ही वाला है बोर्ड एग्जाम का सीजन, कैसी हो अभिभावकों और स्टूडेंट की रणनीति?
- Friday November 29, 2024
- अमरेश सौरभ
बोर्ड परीक्षा और इसके नंबर को लेकर अभी से ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. हां, इसका मतलब यह भी नहीं कि इन परीक्षाओं को एकदम हल्के में लिया जाए. परीक्षा की तैयारी पूरी मेहनत और उचित रणनीति बनाकर की जानी चाहिए.
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लोकगीतों को संजोने के लिए कितना संवेदनशील है हमारा समाज?
- Friday November 22, 2024
- अमरेश सौरभ
लोकगीतों पर चर्चा के बीच भाषा और बोलियों की चर्चा अकारण नहीं है. देखिए कैसे. छठ हो या कोई अन्य तीज-त्योहार, जन्मदिन-छठी हो या शादी-विवाह, शारदा सिन्हा के गाए गीत हमें केवल इसलिए नहीं भाते हैं कि वे कर्णप्रिय हैं. वे गीत इसलिए भी हमारे जेहन में हमेशा के लिए घर कर जाते हैं, क्योंकि वे ज्यादातर उन बोलियों में रचे गए हैं, जिनसे किसी न किसी रूप में हमारा गहरा वास्ता रहा है.
- ndtv.in
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हर हाथ में फोन, पर इंटरनेट की बुनियादी जानकारी न होना खतरनाक!
- Thursday November 14, 2024
- अमरेश सौरभ
NSS के व्यापक सालाना मॉड्यूलर सर्वे (2022-23) के मुताबिक, देश में 15 साल से ऊपर के सिर्फ 60 फीसदी लोग ही इंटरनेट का इस्तेमाल करना जानते हैं. शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 74 फीसदी है, जबकि ग्रामीण इलाकों में 54 फीसदी.
- ndtv.in
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सिर्फ बाहर उजाला करने से क्या होगा, रोशनी की सबसे ज्यादा जरूरत तो भीतर है!
- Tuesday October 29, 2024
- अमरेश सौरभ
प्रकाश के पर्व को जबरन कुछ गैरजरूरी चीजों से जोड़कर हम न केवल अपनी धरती और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि सेहत को भी खतरे में डालते हैं.
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सिर्फ़ वर्कलोड नहीं, कामकाज के बुनियादी मकसद पर भी बात होनी चाहिए
- Friday October 4, 2024
- अमरेश सौरभ
दिनकर जी एक जगह लिखते हैं, 'स्वर्ग की सुख-शांति है आराम में / किन्तु, पृथ्वी की अहर्निश काम में.' यहां शब्दार्थ नहीं, भावार्थ देखने की जरूरत है. यह समझने की जरूरत है कि इन पंक्तियों में कविवर के कहने का आशय क्या है.
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अपने देश में इस्तीफ़े का शास्त्र समझना इतना भी मुश्किल काम नहीं!
- Tuesday September 24, 2024
- अमरेश सौरभ
'त्यागपत्र' के शुरू में जो 'त्याग' शब्द लगा है न, इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. इस त्याग और त्याग की भावना की बदौलत ही संसार में कोई दधीचि बनकर अमर हो गए, कोई बुद्ध-महावीर बनकर. लेकिन इतिहास गवाह है कि इनमें से कोई भी अपनी सीट पर गमछा नहीं रख गए थे.
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हिंदी में नुक़्ता के इस्तेमाल की सीमा क्या हो, मीडिया किस राह पर चले?
- Saturday September 14, 2024
- अमरेश सौरभ
भाषा के कई विद्वान हिंदी में नुक़्ता का प्रयोग साफ तौर पर न किए जाने के पक्षधर हैं. इनका तर्क है कि बाहर से आए जिन शब्दों में नुक़्ता लगाया जाता है, उन शब्दों को अब हिंदी ने पूरी तरह अपना लिया है. जब वैसे शब्द हिंदी में पूरी तरह घुल-मिल चुके हैं, तो उन्हें हिंदी के बाकी शब्दों की तरह बिना नुक़्ता के ही लिखा जाना चाहिए. ज़्यादातर हिंदीभाषी उन शब्दों का उच्चारण भी वैसे ही करते हैं, जैसे उनमें नुक़्ता न लगा हो.
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हिन्दी में तेज़ी से फैल रहे इस 'वायरस' से बचना ज़रूरी है...!
- Saturday September 7, 2024
- अमरेश सौरभ
यहां हिंदी बोलने और लिखने में अंग्रेजी या दूसरी भाषाओं के शब्दों के बढ़ते इस्तेमाल की बात नहीं हो रही है. दूसरी भाषाओं के शब्दों को अपने में अच्छी तरह समा लेना तो अच्छी बात है. इससे तो हिंदी समृद्ध ही हो रही है.
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BLOG : सैलून में बाल कटवाने से पहले किताबें पढ़ने की शर्त शानदार है!
- Saturday August 31, 2024
- अमरेश सौरभ
ऐसा पाया गया है कि रोजाना कुछ देर किताबें पढ़ने से ब्लड-प्रेशर और तनाव से निपटने में मदद मिलती है. सोने से ठीक पहले किताबें पढ़ने से नींद की क्वालिटी में सुधार हो सकता है. पढ़ने की आदत से ब्रेन एक्टिव रहता है, जिससे मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूती हासिल करने में मदद मिलती है.
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माइक टायसन की वापसी यही कहती है - उम्र महज़ एक आंकड़ा है
- Wednesday August 21, 2024
- अमरेश सौरभ
माइक टायसन जब अपने प्रतिद्वंद्वी से भिड़ने के बाद रिंग से बाहर आएंगे, तो उनसे एक सवाल ज़रूर पूछा जाना चाहिए. यही कि वह भारत के गांव-गांव, शहर-शहर की ख़बरों पर पैनी नज़र रखते हैं क्या? आखिर उनके दिमाग में इस उम्र में रिंग में उतरने का खयाल आया कहां से?
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टेक्नोलॉजी के इस दौर में 'डिजिटल डिटॉक्स' पर बात करना क्यों जरूरी है?
- Friday January 3, 2025
- अमरेश सौरभ
नए साल में या आने वाले दौर में ज्यों-ज्यों डिजिटल उपकरणों पर लोगों की निर्भरता बढ़ती जाएगी, त्यों-त्यों डिजिटल डिटॉक्स की जरूरत में भी इजाफा होता चला जाएगा.
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मैच ड्रॉ करवा पाने की काबिलियत को हल्के में मत लीजिए!
- Tuesday December 24, 2024
- अमरेश सौरभ
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच ब्रिसबेन के गाबा में खेला गया गावस्कर-बॉर्डर ट्राफी का तीसरा टेस्ट मैच बारिश की वजह से ड्रा हो गया था. हालांकि खिलाड़ियों का कहना है कि इससे टीम का आत्मविश्वास बढ़ा है. अमरेश सौरभ बता रहे हैं कि कैसे ड्रा कराया जाता है कोई मैच.
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महाकुंभ 2025 का हिस्सा बनने से पहले कुछ संकल्प लेना बेहद ज़रूरी
- Friday December 13, 2024
- अमरेश सौरभ
महाकुंभ विशाल उत्सव जैसा है, जो हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है. प्रयागराज महाकुंभ के दौरान देश-दुनिया की नजर इस ओर बराबर बनी रहेगी. बड़ी तादाद में विदेशी श्रद्धालु और सैलानी भी मौजूद रहेंगे. यह एक बड़ा मौका होगा, जब हम अपनी गौरवशाली परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर की अद्भुत झलक सबके सामने पेश कर सकेंगे. ऐसे में सबको अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझनी और संभालनी चाहिए.
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बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर बैन लगाना कितना कारगर...?
- Tuesday December 10, 2024
- अमरेश सौरभ
ऑस्ट्रेलिया की संसद ने एक बिल पास किया है. इसके मुताबिक, 16 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक बच्चों की पहुंच रोकने की जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों पर डाली गई है. अगर कंपनियां नाकाम रहीं, तो उन पर भारी-भरकम जुर्माना लग सकता है. ऐसा कानून लाने वाला ऑस्ट्रेलिया दुनिया का पहला देश है.
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बस आने ही वाला है बोर्ड एग्जाम का सीजन, कैसी हो अभिभावकों और स्टूडेंट की रणनीति?
- Friday November 29, 2024
- अमरेश सौरभ
बोर्ड परीक्षा और इसके नंबर को लेकर अभी से ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. हां, इसका मतलब यह भी नहीं कि इन परीक्षाओं को एकदम हल्के में लिया जाए. परीक्षा की तैयारी पूरी मेहनत और उचित रणनीति बनाकर की जानी चाहिए.
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लोकगीतों को संजोने के लिए कितना संवेदनशील है हमारा समाज?
- Friday November 22, 2024
- अमरेश सौरभ
लोकगीतों पर चर्चा के बीच भाषा और बोलियों की चर्चा अकारण नहीं है. देखिए कैसे. छठ हो या कोई अन्य तीज-त्योहार, जन्मदिन-छठी हो या शादी-विवाह, शारदा सिन्हा के गाए गीत हमें केवल इसलिए नहीं भाते हैं कि वे कर्णप्रिय हैं. वे गीत इसलिए भी हमारे जेहन में हमेशा के लिए घर कर जाते हैं, क्योंकि वे ज्यादातर उन बोलियों में रचे गए हैं, जिनसे किसी न किसी रूप में हमारा गहरा वास्ता रहा है.
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हर हाथ में फोन, पर इंटरनेट की बुनियादी जानकारी न होना खतरनाक!
- Thursday November 14, 2024
- अमरेश सौरभ
NSS के व्यापक सालाना मॉड्यूलर सर्वे (2022-23) के मुताबिक, देश में 15 साल से ऊपर के सिर्फ 60 फीसदी लोग ही इंटरनेट का इस्तेमाल करना जानते हैं. शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 74 फीसदी है, जबकि ग्रामीण इलाकों में 54 फीसदी.
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सिर्फ बाहर उजाला करने से क्या होगा, रोशनी की सबसे ज्यादा जरूरत तो भीतर है!
- Tuesday October 29, 2024
- अमरेश सौरभ
प्रकाश के पर्व को जबरन कुछ गैरजरूरी चीजों से जोड़कर हम न केवल अपनी धरती और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि सेहत को भी खतरे में डालते हैं.
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सिर्फ़ वर्कलोड नहीं, कामकाज के बुनियादी मकसद पर भी बात होनी चाहिए
- Friday October 4, 2024
- अमरेश सौरभ
दिनकर जी एक जगह लिखते हैं, 'स्वर्ग की सुख-शांति है आराम में / किन्तु, पृथ्वी की अहर्निश काम में.' यहां शब्दार्थ नहीं, भावार्थ देखने की जरूरत है. यह समझने की जरूरत है कि इन पंक्तियों में कविवर के कहने का आशय क्या है.
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अपने देश में इस्तीफ़े का शास्त्र समझना इतना भी मुश्किल काम नहीं!
- Tuesday September 24, 2024
- अमरेश सौरभ
'त्यागपत्र' के शुरू में जो 'त्याग' शब्द लगा है न, इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. इस त्याग और त्याग की भावना की बदौलत ही संसार में कोई दधीचि बनकर अमर हो गए, कोई बुद्ध-महावीर बनकर. लेकिन इतिहास गवाह है कि इनमें से कोई भी अपनी सीट पर गमछा नहीं रख गए थे.
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हिंदी में नुक़्ता के इस्तेमाल की सीमा क्या हो, मीडिया किस राह पर चले?
- Saturday September 14, 2024
- अमरेश सौरभ
भाषा के कई विद्वान हिंदी में नुक़्ता का प्रयोग साफ तौर पर न किए जाने के पक्षधर हैं. इनका तर्क है कि बाहर से आए जिन शब्दों में नुक़्ता लगाया जाता है, उन शब्दों को अब हिंदी ने पूरी तरह अपना लिया है. जब वैसे शब्द हिंदी में पूरी तरह घुल-मिल चुके हैं, तो उन्हें हिंदी के बाकी शब्दों की तरह बिना नुक़्ता के ही लिखा जाना चाहिए. ज़्यादातर हिंदीभाषी उन शब्दों का उच्चारण भी वैसे ही करते हैं, जैसे उनमें नुक़्ता न लगा हो.
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हिन्दी में तेज़ी से फैल रहे इस 'वायरस' से बचना ज़रूरी है...!
- Saturday September 7, 2024
- अमरेश सौरभ
यहां हिंदी बोलने और लिखने में अंग्रेजी या दूसरी भाषाओं के शब्दों के बढ़ते इस्तेमाल की बात नहीं हो रही है. दूसरी भाषाओं के शब्दों को अपने में अच्छी तरह समा लेना तो अच्छी बात है. इससे तो हिंदी समृद्ध ही हो रही है.
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BLOG : सैलून में बाल कटवाने से पहले किताबें पढ़ने की शर्त शानदार है!
- Saturday August 31, 2024
- अमरेश सौरभ
ऐसा पाया गया है कि रोजाना कुछ देर किताबें पढ़ने से ब्लड-प्रेशर और तनाव से निपटने में मदद मिलती है. सोने से ठीक पहले किताबें पढ़ने से नींद की क्वालिटी में सुधार हो सकता है. पढ़ने की आदत से ब्रेन एक्टिव रहता है, जिससे मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूती हासिल करने में मदद मिलती है.
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माइक टायसन की वापसी यही कहती है - उम्र महज़ एक आंकड़ा है
- Wednesday August 21, 2024
- अमरेश सौरभ
माइक टायसन जब अपने प्रतिद्वंद्वी से भिड़ने के बाद रिंग से बाहर आएंगे, तो उनसे एक सवाल ज़रूर पूछा जाना चाहिए. यही कि वह भारत के गांव-गांव, शहर-शहर की ख़बरों पर पैनी नज़र रखते हैं क्या? आखिर उनके दिमाग में इस उम्र में रिंग में उतरने का खयाल आया कहां से?
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