Adultery Law
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होमोसेक्सुअलिटी और एडल्टरी को अपराध के दायरे में वापस लाना चाहता था पैनल, PM मोदी नहीं हुए सहमत
संसद की स्थायी समिति (कमिटी) की एक अन्य सिफारिश भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत गैर-सहमति वाले कामों को दंडित करने की थी. भले ही सुप्रीम कोर्ट ने वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया है, लेकिन कमिटी ने इसे नए विधेयक में बनाए रखने के लिए कहा है.
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"नैतिक अधमता के कृत्यों का वर्दीधारी पेशे...", व्याभिचार पर सशस्त्र बलों को बाहर रखने की याचिका पर सुनवाई में रक्षा मंत्रालय
केंद्र ने एक अर्जी दाखिल की है, जिसमें 2018 के फैसले में आईपीसी की धारा 497 के तहत व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया था, जिसमें कहा गया था कि यह सशस्त्र बलों पर लागू नहीं होना चाहिए.
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क्योंकि संपत्ति नहीं है स्त्री
व्यभिचार कानून को रद्द करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला बस इतना नहीं है कि स्त्री और पुरुष के विवाहेतर संबंधों को अब जुर्म नहीं माना जाएगा. दुर्भाग्य से हमारे लगातार सतही-सपाट होते समय में ज़्यादातर लोग इस फैसले की इतनी भर व्याख्या करेंगे. लगातार चुटकुलेबाज होते जा रहे हमारे समाज को यह फैसला अपने लिए स्त्री-पुरुष संबंधों के खुलेपन पर कुछ छींटाकशी का अवसर भर लग सकता है, लेकिन यह एक ऐतिहासिक फैसला है.
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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने दूसरी बार पलटा अपने पिता का फैसला
जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने एक बार फिर अपने पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के 33 साल पुराने फैसले को पलट दिया. सन 1985 में जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ ने व्यभिचार की धारा को बरकरार रखा था और कहा था कि यह असंवैधानिक नहीं है. अब जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि यह कानून असंवैधानिक है और रद्द किया जाता है.
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व्यभिचार पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से दिया केंद्र सरकार को बड़ा झटका , ठुकरा दी दलील
व्यभिचार के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केंद्र सरकार को झटका देने वाला है.दरअसल व्यभिचार(एडल्टरी) कानून का मौजूदा मोदी सरकार ने समर्थन किया था. कानून खत्म होने को शादी जैसी संस्था के लिए खतरा बताया था.
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बहुमत से अलग जस्टिस नजीर बोले- व्यापक परीक्षण के बिना लिया गया फैसला, धार्मिक आस्था को ध्यान में रखकर विचार की ज़रूरत
सुप्रीम कोर्ट ने ‘मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं’ के बारे में शीर्ष अदालत के 1994 के फैसले को फिर से विचार के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से गुरुवार को इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच में से 2-1 की बहुमत से यह फैसला लिया गया कि इस मामले को बड़ी बेंच के पास नहीं भेजा जाएगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला अयोध्या जमीन विवाद से अलग है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर तीन जजों में से एक जस्टिस अब्दुल नजीर ने अन्य जजों की राय से अपनी असहमति जताई है. जस्टिस एस अब्दुल नजीर का कहना है कि बड़ी बेंच को भेजा जाना चाहिए था मामला.
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जानें क्या है IPC 497? सुप्रीम कोर्ट ने 158 साल पुराने व्यभिचार कानून को किया खत्म
सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार-रोधी कानून को रद्द कर दिया है और कहा है कि व्यभिचार अपराध नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि यह तलाक का आधार हो सकता है लेकिन यह कानून महिला के जीने के अधिकार पर असर डालता है.
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Supreme Court verdict on Adultery : चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा- महिला का मास्टर नहीं होता है पति , फैसले की 10 बातें
व्यभिचार कानून की वैधता (Supreme Court verdict on Adultery under Section 497) पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो भी कानून महिला को उसकी गरिमा से विपरीत या भेदभाव करता है वो संविधान के कोप को आमंत्रित करता है. ऐसे प्रावधान असंवैंधानिक है. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 अगस्त को व्यभिचार की धारा IPC 497 पर फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ के सामने मसला उठा था कि आइपीसी की धारा 497 ध अंसवैधानिक है या नहीं, क्योंकि इसमें सिर्फ पुरुषों को आरोपी बनाया जाता है, महिलाओं को नहीं. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा- महिला का मास्टर नहीं होता है पति. जानिए दस बातें
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158 साल पुराने व्यभिचार कानून को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द, संविधान पीठ ने कहा- यह अपराध नहीं
157 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता (Supreme Court verdict on Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)का फैसला गुरुवार को आएगा. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 अगस्त को व्यभिचार की धारा IPC 497 पर फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ तय करेगी कि यह धारा अंसवैधानिक है या नहीं, क्योंकि इसमें सिर्फ पुरुषों को आरोपी बनाया जाता है, महिलाओं को नहीं.
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व्यभिचार मामले पर सुप्रीम कोर्ट बोला- महिला के साथ गैरसमानता का बर्ताव करना असंवैधानिक
157 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता (Supreme Court verdict on Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला गुरुवार को आएगा. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 अगस्त को व्यभिचार की धारा IPC 497 पर फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ तय करेगी कि यह धारा अंसवैधानिक है या नहीं, क्योंकि इसमें सिर्फ पुरुषों को आरोपी बनाया जाता है, महिलाओं को नहीं.
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अयोध्या मामला: क्या मस्जिद में नमाज इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है? सुप्रीम कोर्ट आज करेगा तय, 10 अहम बातें
आज राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से संबंधित एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज गुरुवार को अहम फैसला सुनाएगा. राम जन्म भूमि - बाबरी मस्जिद मालिकाना हक विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के 1994 के फैसले पर बड़ी पीठ द्वारा पुनर्विचार करने की मांग करने वाली मुस्लिम समूह की याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट के अपना फैसला सुनाने की संभावना है. सुप्रीम कोर्ट आज तय करेगा कि 1994 के संविधान पीठ के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है या नहीं? दरअसल 1994 के फैसले में उस वक्त कहा था कि मस्जिद में नमाज इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है.
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सुप्रीम कोर्ट में व्यभिचार पर कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी
सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार पर दंडात्मक कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है. इसका फैसला बाद में सुनाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से जानना चाहा कि व्याभिचार संबंधी कानून से जनता की क्या भलाई है क्योंकि इसमें प्रावधान है कि यदि स्त्री के विवाहेत्तर संबंधों को उसके पति की सहमति हो तो यह अपराध नहीं होगा.
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NEWS FLASH : महिला हॉकी वर्ल्ड कप: पेनल्टी शूटआउट में आयरलैंड ने भारत को 3-1 से हराकर सेमीफाइनल में बनाई जगह
व्यभिचार को लेकर भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ आज सुनवाई करेगी. इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर कर याचिका को खारिज करने की मांग की थी. केंद्र ने कहा था कि ये कानून महिलाओं को संरक्षण देता है.
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संसद की स्थायी समिति (कमिटी) की एक अन्य सिफारिश भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत गैर-सहमति वाले कामों को दंडित करने की थी. भले ही सुप्रीम कोर्ट ने वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया है, लेकिन कमिटी ने इसे नए विधेयक में बनाए रखने के लिए कहा है.
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"नैतिक अधमता के कृत्यों का वर्दीधारी पेशे...", व्याभिचार पर सशस्त्र बलों को बाहर रखने की याचिका पर सुनवाई में रक्षा मंत्रालय
केंद्र ने एक अर्जी दाखिल की है, जिसमें 2018 के फैसले में आईपीसी की धारा 497 के तहत व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया था, जिसमें कहा गया था कि यह सशस्त्र बलों पर लागू नहीं होना चाहिए.
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क्योंकि संपत्ति नहीं है स्त्री
व्यभिचार कानून को रद्द करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला बस इतना नहीं है कि स्त्री और पुरुष के विवाहेतर संबंधों को अब जुर्म नहीं माना जाएगा. दुर्भाग्य से हमारे लगातार सतही-सपाट होते समय में ज़्यादातर लोग इस फैसले की इतनी भर व्याख्या करेंगे. लगातार चुटकुलेबाज होते जा रहे हमारे समाज को यह फैसला अपने लिए स्त्री-पुरुष संबंधों के खुलेपन पर कुछ छींटाकशी का अवसर भर लग सकता है, लेकिन यह एक ऐतिहासिक फैसला है.
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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने दूसरी बार पलटा अपने पिता का फैसला
जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने एक बार फिर अपने पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के 33 साल पुराने फैसले को पलट दिया. सन 1985 में जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ ने व्यभिचार की धारा को बरकरार रखा था और कहा था कि यह असंवैधानिक नहीं है. अब जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि यह कानून असंवैधानिक है और रद्द किया जाता है.
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व्यभिचार पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से दिया केंद्र सरकार को बड़ा झटका , ठुकरा दी दलील
व्यभिचार के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केंद्र सरकार को झटका देने वाला है.दरअसल व्यभिचार(एडल्टरी) कानून का मौजूदा मोदी सरकार ने समर्थन किया था. कानून खत्म होने को शादी जैसी संस्था के लिए खतरा बताया था.
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बहुमत से अलग जस्टिस नजीर बोले- व्यापक परीक्षण के बिना लिया गया फैसला, धार्मिक आस्था को ध्यान में रखकर विचार की ज़रूरत
सुप्रीम कोर्ट ने ‘मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं’ के बारे में शीर्ष अदालत के 1994 के फैसले को फिर से विचार के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से गुरुवार को इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच में से 2-1 की बहुमत से यह फैसला लिया गया कि इस मामले को बड़ी बेंच के पास नहीं भेजा जाएगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला अयोध्या जमीन विवाद से अलग है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर तीन जजों में से एक जस्टिस अब्दुल नजीर ने अन्य जजों की राय से अपनी असहमति जताई है. जस्टिस एस अब्दुल नजीर का कहना है कि बड़ी बेंच को भेजा जाना चाहिए था मामला.
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जानें क्या है IPC 497? सुप्रीम कोर्ट ने 158 साल पुराने व्यभिचार कानून को किया खत्म
सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार-रोधी कानून को रद्द कर दिया है और कहा है कि व्यभिचार अपराध नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि यह तलाक का आधार हो सकता है लेकिन यह कानून महिला के जीने के अधिकार पर असर डालता है.
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Supreme Court verdict on Adultery : चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा- महिला का मास्टर नहीं होता है पति , फैसले की 10 बातें
व्यभिचार कानून की वैधता (Supreme Court verdict on Adultery under Section 497) पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो भी कानून महिला को उसकी गरिमा से विपरीत या भेदभाव करता है वो संविधान के कोप को आमंत्रित करता है. ऐसे प्रावधान असंवैंधानिक है. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 अगस्त को व्यभिचार की धारा IPC 497 पर फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ के सामने मसला उठा था कि आइपीसी की धारा 497 ध अंसवैधानिक है या नहीं, क्योंकि इसमें सिर्फ पुरुषों को आरोपी बनाया जाता है, महिलाओं को नहीं. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा- महिला का मास्टर नहीं होता है पति. जानिए दस बातें
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158 साल पुराने व्यभिचार कानून को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द, संविधान पीठ ने कहा- यह अपराध नहीं
157 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता (Supreme Court verdict on Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)का फैसला गुरुवार को आएगा. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 अगस्त को व्यभिचार की धारा IPC 497 पर फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ तय करेगी कि यह धारा अंसवैधानिक है या नहीं, क्योंकि इसमें सिर्फ पुरुषों को आरोपी बनाया जाता है, महिलाओं को नहीं.
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व्यभिचार मामले पर सुप्रीम कोर्ट बोला- महिला के साथ गैरसमानता का बर्ताव करना असंवैधानिक
157 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता (Supreme Court verdict on Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला गुरुवार को आएगा. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 अगस्त को व्यभिचार की धारा IPC 497 पर फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ तय करेगी कि यह धारा अंसवैधानिक है या नहीं, क्योंकि इसमें सिर्फ पुरुषों को आरोपी बनाया जाता है, महिलाओं को नहीं.
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अयोध्या मामला: क्या मस्जिद में नमाज इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है? सुप्रीम कोर्ट आज करेगा तय, 10 अहम बातें
आज राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से संबंधित एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज गुरुवार को अहम फैसला सुनाएगा. राम जन्म भूमि - बाबरी मस्जिद मालिकाना हक विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के 1994 के फैसले पर बड़ी पीठ द्वारा पुनर्विचार करने की मांग करने वाली मुस्लिम समूह की याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट के अपना फैसला सुनाने की संभावना है. सुप्रीम कोर्ट आज तय करेगा कि 1994 के संविधान पीठ के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है या नहीं? दरअसल 1994 के फैसले में उस वक्त कहा था कि मस्जिद में नमाज इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है.
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सुप्रीम कोर्ट में व्यभिचार पर कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी
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