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' गे सेक्स Gay Sex ' - 9 News Result(s)
  • होमोसेक्सुअलिटी और एडल्टरी को अपराध के दायरे में वापस लाना चाहता था पैनल, PM मोदी नहीं हुए सहमत

    होमोसेक्सुअलिटी और एडल्टरी को अपराध के दायरे में वापस लाना चाहता था पैनल, PM मोदी नहीं हुए सहमत

    संसद की स्थायी समिति (कमिटी) की एक अन्य सिफारिश भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत गैर-सहमति वाले कामों को दंडित करने की थी. भले ही सुप्रीम कोर्ट ने वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया है, लेकिन कमिटी ने इसे नए विधेयक में बनाए रखने के लिए कहा है.

  • आर्मी चीफ जनरल रावत बोले- सेना में गे-सेक्स की इजाजत नहीं

    आर्मी चीफ जनरल रावत बोले- सेना में गे-सेक्स की इजाजत नहीं

    सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने कहा है कि वह सेना में गे-सेक्स (Gay Sex) की इजाजत नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि समलैंगिक संबंधों पर सेना के अपने कानून हैं. आर्मी चीफ बिपिन रावत ने यह बयान सुप्रीम कोर्ट द्वारा वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के कुछ महीने बाद दिया है.

  • Section 377: देश के इस राज्य में धारा 377 के तहत दर्ज समलैंगिंक संबंध मामलों की संख्या सबसे ज्यादा

    Section 377: देश के इस राज्य में धारा 377 के तहत दर्ज समलैंगिंक संबंध मामलों की संख्या सबसे ज्यादा

    धारा 377 के तहत समलैंगिक यौन संबंध को लेकर दर्ज मामलों की संख्या के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. इसके  बाद केरल का स्थान है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते इस कानून को आंशिक रूप से निरस्त कर दिया था. धारा 377 के तहत 2014 से 2016 के बीच कुल 4,690 मामले दर्ज किए गए. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2016 में धारा 377 के तहत समलैंगिक यौन संबंधों के 2,195 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2015 में  1,347 और 2014 में 1,148 मामले दर्ज किए गए. 2016 में सबसे ज्यादा 999 ऐसे मामले उत्तर प्रदेश में सामने आए. इसके बाद केरल (207) का स्थान था.

  • Section 377: क्या है धारा 377? अब सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध मानने से किया इनकार

    Section 377: क्या है धारा 377? अब सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध मानने से किया इनकार

    समलैंगिकता अपराध है या नहीं, ( Homosexuality) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद अब यह स्पष्ट हो चुका है. समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया और कहा कि समलैंगिक संबंध अब से अपराध नहीं हैं. संविधान पीठ ने सहमति से दो वयस्कों के बीच बने समलैंगिक यौन संबंध को एक मत से अपराध के दायरे से बाहर कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के एक हिस्से को, जो सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध बताता है, तर्कहीन, बचाव नहीं करने वाला और मनमाना करार दिया. 

  • समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में धारा 377 पर सबसे बड़ा फैसला थोड़ी देर में, 10 अहम बातें

    समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में धारा 377 पर सबसे बड़ा फैसला थोड़ी देर में, 10 अहम बातें

    समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. पांच जजों की संविधान पीठ यह तय करेगी कि सहमति से दो व्यस्कों द्वारा बनाए गए यौन संबंध अपराध के दायरे में आएंगे या नहीं. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं. शुरुआत में संविधान पीठ ने कहा था कि वो जांच करेंगे कि क्या जीने के मौलिक अधिकार में 'यौन आजादी का अधिकार' शामिल है, विशेष रूप से 9-न्यायाधीश बेंच के फैसले के बाद कि 'निजता का अधिकार' एक मौलिक अधिकार है.

  • समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

    समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

    समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. पांच जजों की संविधान पीठ यह तय करेगी कि सहमति से दो व्यस्कों द्वारा बनाए गए यौन संबंध अपराध के दायरे में आएंगे या नहीं. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं. शुरुआत में संविधान पीठ ने कहा था कि वो जांच करेंगे कि क्या जीने के मौलिक अधिकार में 'यौन आजादी का अधिकार' शामिल है, विशेष रूप से 9-न्यायाधीश बेंच के फैसले के बाद कि 'निजता का अधिकार' एक मौलिक अधिकार है.

  • समलैंगिकता मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं होंगे अटार्नी जनरल वेणुगोपाल

    समलैंगिकता मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं होंगे अटार्नी जनरल वेणुगोपाल

    समलैंगिकता अपराध है या नहीं, इसे तय करने के लिए कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने मंगलवार को समलैंगिकता के मुद्दे से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के सामने सुनवाई में पेश होने से खुद को अलग कर लिया. 

  • समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में आज से सुनवाई

    समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में आज से सुनवाई

    उच्चतम न्यायालय ने 2013 में समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 में अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से समलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं होंगे.

  • एड्स के खिलाफ देश में जारी लड़ाई में एक समलैंगिक राजकुमार है सबसे आगे...

    एड्स के खिलाफ देश में जारी लड़ाई में एक समलैंगिक राजकुमार है सबसे आगे...

    गुजरात के राजपीपला के सिंहासन के उत्तराधिकारी तथा शाही योद्धा वंश के सदस्य मानवेंद्र सिंह गोहिल ने अपनी शोहरत और रुतबे का इस्तेमाल ऐसे देश में गे समुदाय को सुरक्षित सेक्स तथा उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है, जहां समलैंगिकता कानूनन अपराध है.

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  • होमोसेक्सुअलिटी और एडल्टरी को अपराध के दायरे में वापस लाना चाहता था पैनल, PM मोदी नहीं हुए सहमत

    होमोसेक्सुअलिटी और एडल्टरी को अपराध के दायरे में वापस लाना चाहता था पैनल, PM मोदी नहीं हुए सहमत

    संसद की स्थायी समिति (कमिटी) की एक अन्य सिफारिश भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत गैर-सहमति वाले कामों को दंडित करने की थी. भले ही सुप्रीम कोर्ट ने वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया है, लेकिन कमिटी ने इसे नए विधेयक में बनाए रखने के लिए कहा है.

  • आर्मी चीफ जनरल रावत बोले- सेना में गे-सेक्स की इजाजत नहीं

    आर्मी चीफ जनरल रावत बोले- सेना में गे-सेक्स की इजाजत नहीं

    सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने कहा है कि वह सेना में गे-सेक्स (Gay Sex) की इजाजत नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि समलैंगिक संबंधों पर सेना के अपने कानून हैं. आर्मी चीफ बिपिन रावत ने यह बयान सुप्रीम कोर्ट द्वारा वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के कुछ महीने बाद दिया है.

  • Section 377: देश के इस राज्य में धारा 377 के तहत दर्ज समलैंगिंक संबंध मामलों की संख्या सबसे ज्यादा

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    धारा 377 के तहत समलैंगिक यौन संबंध को लेकर दर्ज मामलों की संख्या के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. इसके  बाद केरल का स्थान है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते इस कानून को आंशिक रूप से निरस्त कर दिया था. धारा 377 के तहत 2014 से 2016 के बीच कुल 4,690 मामले दर्ज किए गए. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2016 में धारा 377 के तहत समलैंगिक यौन संबंधों के 2,195 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2015 में  1,347 और 2014 में 1,148 मामले दर्ज किए गए. 2016 में सबसे ज्यादा 999 ऐसे मामले उत्तर प्रदेश में सामने आए. इसके बाद केरल (207) का स्थान था.

  • Section 377: क्या है धारा 377? अब सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध मानने से किया इनकार

    Section 377: क्या है धारा 377? अब सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध मानने से किया इनकार

    समलैंगिकता अपराध है या नहीं, ( Homosexuality) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद अब यह स्पष्ट हो चुका है. समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया और कहा कि समलैंगिक संबंध अब से अपराध नहीं हैं. संविधान पीठ ने सहमति से दो वयस्कों के बीच बने समलैंगिक यौन संबंध को एक मत से अपराध के दायरे से बाहर कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के एक हिस्से को, जो सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध बताता है, तर्कहीन, बचाव नहीं करने वाला और मनमाना करार दिया. 

  • समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में धारा 377 पर सबसे बड़ा फैसला थोड़ी देर में, 10 अहम बातें

    समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में धारा 377 पर सबसे बड़ा फैसला थोड़ी देर में, 10 अहम बातें

    समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. पांच जजों की संविधान पीठ यह तय करेगी कि सहमति से दो व्यस्कों द्वारा बनाए गए यौन संबंध अपराध के दायरे में आएंगे या नहीं. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं. शुरुआत में संविधान पीठ ने कहा था कि वो जांच करेंगे कि क्या जीने के मौलिक अधिकार में 'यौन आजादी का अधिकार' शामिल है, विशेष रूप से 9-न्यायाधीश बेंच के फैसले के बाद कि 'निजता का अधिकार' एक मौलिक अधिकार है.

  • समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

    समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

    समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. पांच जजों की संविधान पीठ यह तय करेगी कि सहमति से दो व्यस्कों द्वारा बनाए गए यौन संबंध अपराध के दायरे में आएंगे या नहीं. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं. शुरुआत में संविधान पीठ ने कहा था कि वो जांच करेंगे कि क्या जीने के मौलिक अधिकार में 'यौन आजादी का अधिकार' शामिल है, विशेष रूप से 9-न्यायाधीश बेंच के फैसले के बाद कि 'निजता का अधिकार' एक मौलिक अधिकार है.

  • समलैंगिकता मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं होंगे अटार्नी जनरल वेणुगोपाल

    समलैंगिकता मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं होंगे अटार्नी जनरल वेणुगोपाल

    समलैंगिकता अपराध है या नहीं, इसे तय करने के लिए कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने मंगलवार को समलैंगिकता के मुद्दे से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के सामने सुनवाई में पेश होने से खुद को अलग कर लिया. 

  • समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में आज से सुनवाई

    समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में आज से सुनवाई

    उच्चतम न्यायालय ने 2013 में समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 में अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से समलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं होंगे.

  • एड्स के खिलाफ देश में जारी लड़ाई में एक समलैंगिक राजकुमार है सबसे आगे...

    एड्स के खिलाफ देश में जारी लड़ाई में एक समलैंगिक राजकुमार है सबसे आगे...

    गुजरात के राजपीपला के सिंहासन के उत्तराधिकारी तथा शाही योद्धा वंश के सदस्य मानवेंद्र सिंह गोहिल ने अपनी शोहरत और रुतबे का इस्तेमाल ऐसे देश में गे समुदाय को सुरक्षित सेक्स तथा उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है, जहां समलैंगिकता कानूनन अपराध है.