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This Article is From Jan 15, 2017

सिद्धू के कांग्रेस में जाने से पंजाब में राजनीतिक समीकरण बदलेंगे? क्या कहते हैं जानकार

सिद्धू के कांग्रेस में जाने से पंजाब में राजनीतिक समीकरण बदलेंगे? क्या कहते हैं जानकार
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ नवजोत सिंह सिद्धू
नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से नवजोत सिंह सिद्धू के राजनैतिक भविष्य को लेकर जो अटकलें लगाई जा रही थीं, वो रविवार को  खत्म हो गईं. पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धू कांग्रेस में शामिल हो गए. कुछ महीने पहले जब सिद्धू ने बीजेपी के राज्यसभा सांसद के रूप में इस्तीफ़ा दिया था, तब उम्मीद की जा रही थी कि वह आम आदमी पार्टी में शामिल होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

सिद्धू पंजाब में चार बार लोकसभा चुनाव भी जीत चुके हैं. पंजाब की राजनीति में उनकी छवि साफ-सुथरी है. सिद्धू के कांग्रेस का हाथ थामने से पार्टी को फायदा होगा या नहीं और मौजूदा समय में पंजाब में कौन सी पार्टी आगे है, यह जानने के लिए एनडीटीवी ने तीन जानकारों से बात की.

पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशुतोष कुमार की राय
पंजाब यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर आशुतोष कुमार का कहना है कि सिद्धू के शामिल होने से कांग्रेस को फायदा होगा. सिद्धू कैंपेन में जान डालेंगे. कप्तान अमरिंदर सिंह अकेले प्रचार कर थे, अब उन्हें का सिद्धू का साथ मिलेगा. कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ेगा. आम आदमी पार्टी के मुकाबले सिद्धू अकाली दल और बीजेपी पर ज्यादा आक्रामक रहेंगे.

'सिद्धू से आम आदमी पार्टी को ज्यादा फायदा होता'
प्रोफेसर आशुतोष का कहना है आम आदमी पार्टी ने सिद्धू को मुख्यमंत्री का चेहरा न बनाकर बहुत बड़ी गलती की. अगर आम आदमी पार्टी सिद्धू को सीएम उम्मीदवार बनाती, तो उन्हें ज्यादा फायदा होता. आम आदमी पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान यही हो रहा है कि पार्टी के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं है, जिसका पंजाब के तीनों हिस्सों में खास पहचान हो.

आम आदमी पार्टी ने पकड़ मजबूत की
कुछ दिन पहले तक पंजाब में कांग्रेस को फायदा होने का अनुमान लगाया जा रहा था लेकिन अब दोबारा आम आदमी पार्टी मुकाबले में लौट रही है. एनआरआई भी आम आदमी पार्टी को समर्थन देने के लिए पंजाब लौट रहे हैं. मालवा हिस्से में आम आदमी पार्टी आगे है. अगर मालवा में आम आदमी पार्टी ज्यादा सीटें हासिल कर लेती है, तो उसका सरकार बनाने का अधिक चांस है. पंजाब में ड्रग्स की समस्या काफी गंभीर है. शहरों से लेकर गांवों तक युवा ड्रग्स के शिकार हो रहे हैं और राज्य में निराशा का माहौल है. ऐसे में हो सकता है कि अकाली के साथ-साथ कांग्रेस भी साफ हो जाए.

(पढ़ें : 'कैप्टन' अमरिंदर की टीम में नवजोत सिंह सिद्धू, लेकिन सुनेंगे सिर्फ सेलेक्टर राहुल की?)

कांग्रेस भी ड्रग्स की समस्या से निजात पाने के लिए कुछ खास नहीं कर पाई थी. 2002 से लेकर 2007 के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह भी बहुत उल्लेखनीय काम नहीं कर पाए थे. इसका प्रभाव इस चुनाव में जरूर पड़ेगा. एक ईमानदार नेता के रूप में केजरीवाल के नाम पर वोट मिल सकता है. लोग उम्मीद कर रहे हैं कि आम आदमी पार्टी के आने से पंजाब में बदलाव होगा.

कांग्रेस बनाएगी सरकार : टीआर रामचंद्रन
वरिष्ठ पत्रकार और पंजाब में 'ट्रिब्यून' के संपादक रहे टीआर रामचंद्रन का कहना है कि अगर अभी की स्थिति की बात किया जाए तो कांग्रेस फायदे में है. सिद्धू का कांग्रेस में जाना पार्टी के लिए फायदेमंद होगा. कांग्रेस राज्य में जीत हासिल करेगी, अगर पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो गठबंधन सरकार बना सकती है. रामचंद्रन का कहना है कि पंजाब में अकाली और बीजेपी का नाम बहुत खराब हो चुका है. बीजेपी के नाम पर थोड़ा बहुत वोट पड़ सकता है, लेकिन बहुमत नहीं मिलेगा.

'आप' के बारे में रामचंद्रन की राय
टीआर रामचंद्रन के मुताबिक पंजाब चुनावों में आम आदमी पार्टी को कुछ खास फायदा नहीं होने वाला है. छह महीने पहले तक आम आदमी पार्टी का चांस ज्यादा था और लोग सिर्फ आम आदमी की बात कर रहे थे. अगर उस वक्त चुनाव हो जाते तो आम आदमी पार्टी को 80 के करीब सीट जरूर मिलतीं, लेकिन अब 25 से ज्यादा सीटें मुश्किल है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है आम आदमी पार्टी के पंजाब नेताओं के बीच आपसी झगड़ा और केजरीवाल के बेमतलब के बयान. रामचंद्रन का कहना है कि दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी की वह पॉपुलैरिटी नहीं रही जैसी पहले थी. आम आदमी पार्टी के पास पंजाब में कोई मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं है, यह बहुत बड़ी समस्या है.

क्या कहना है वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी का
नीरजा चौधरी कहती हैं कि सिद्धू के कांग्रेस से जुड़ने से कांग्रेस को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है. हाल के दिनों में सिद्धू के अपने रेपुटेशन में कुछ गिरावट आई है. अगर सिद्धू शुरुआत से ही किसी भी पार्टी का दामन थाम लेते तो उस पार्टी को ज्यादा फायदा होता. अब ऐसा लग रहा है कि सिद्धू अपने फायदे के लिए बोली लगा रहे थे. नीरजा चौधरी के मुताबिक मौजूदा समय में कौन सरकार बनाएगा, यह कहना मुश्किल है. कुछ इलाकों में आम आदमी पार्टी आगे है, तो कुछ में कांग्रेस. अगर सिद्धू आम आदमी पार्टी में पहले चले जाते तो आम आदमी पार्टी को फायदा होता. आम आदमी पार्टी के पास कोई मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं है. भगवंत मान को लोग एक गंभीर राजनेता के रूप में नहीं लेते हैं. सिद्धू और भगवंत मान अच्छे प्रचारक साबित हो सकते है, लेकिन दोनों गंभीर राजनेता नहीं हैं.

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