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This Article is From May 29, 2016

उत्तरप्रदेश : आरएलडी प्रमुख अजित सिंह और मुलायम सिंह की मुलाकात का मतलब

उत्तरप्रदेश : आरएलडी प्रमुख अजित सिंह और मुलायम सिंह की मुलाकात का मतलब
आरएलडी प्रमुख अजित सिंह
नई दिल्ली: यूपी विधानसभा चुनाव में अभी छह-आठ महीने का वक़्त है लेकिन आरएलडी नेता अजित सिंह सियासी तिकड़म भिड़ाने में जुट गए हैं। रविवार को अजित सिंह दिल्ली में सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के घर नज़र आए। यादव को भी लग रहा है कि बेटे अखिलेश को अगर दोबारा सत्ता की चाबी सौंपनी है तो अजित सिंह जैसे नेताओं का साथ लेना ही पड़ेगा । इस पर सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने सीधे तो कुछ नही कहा पर वह इतना जरूर बोले कि कई सारें बातें है जिसको लेकर यह मुलाकात हुई है। हालांकि अजित सिंह बिना मीडिया से बात किये निकल गए।

बीजेपी और जेडीयू भी लिस्ट में
इससे पहले सिंह की बात जेडीयू से भी हुई लेकिन राज्यसभा सीट और पार्टी अध्यक्ष जैसी शर्तों की वजह से बात नहीं बन पाई। सूत्रों के मुताबिक अजित सिंह बीजेपी के भी संपर्क में हैं और कैबिनेट मंत्री जैसे किसी ओहदे के बदले उसके साथ भी जा सकते हैं। हालांकि बीजेपी को यकीन तभी होगा जब अजित सिंह पार्टी के विलय के लिए तैयार हो जाएंगे। ऐसे में जानकार यह भी मान रहे हैं कि मुलायम से मुलाक़ात अजित सिंह की बीजेपी पर दबाव बनाने की रणनीति भी हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक वह सपा से राज्यसभा सीट का भी वादा चाहते हैं, वहीं जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि 'वह दोनों पुराने साथी है, उनके पार्टी में समझौते को लेकर मैं क्या बोलूं।'

फिलहाल पश्चिमी उत्तरप्रदेश में अजित सिंह के पार्टी के नौ विधायक हैं और सपा को लगता है कि अगर अजित सिंह उसके साथ आ जाए तो पश्चिमी उत्तरप्रदेश में उसे जाट वोट मिल जायेंगे। पश्चिमी यूपी में क़रीब सौ विधानसभा सीटें हैं और सपा के पास अभी इनमें से चालीस सीटे हैं। सपा को लगता है कि इस इलाके में साइकिल चलाए रखने के लिए उसे मुस्लिम और जाट वोटों की ज़रूरत होगी। लेकिन अजित सिंह को समझने वाले जानते हैं कि जब तक वह किसी का हाथ औपचारिक तौर पर ना थाम लें तब तक उनके बारे में कुछ भी दावा से कहना जोखिम भरा ही होगा।

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