
नई दिल्ली:
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही इस बार के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पथरदेवा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हैं. सूर्य प्रताप शाही पिछले दो दशकों में प्रदेश की भाजपा सरकार में न केवल कैबिनेट मंत्री रहे, बल्कि इनके पास गृह मंत्रालय, आबकारी व स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण महकमे भी रहे. सूर्य प्रताप शाही 1985 में पहली बार विधायक चुने गये थे. यह विधानसभा सीट परिसीमन के बाद कुशीनगर के नाम पर हो गयी है.
कहा जाता है कि सूर्य प्रताप शाही वर्ष 1991 और 1996 में कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में रसूखदार कैबिनेट मंत्रियों में शामिल थे. पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने नई बनी सीट पथरदेवा विधानसभा सीट से लड़ा, जहां उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.
शाही ने देवरिया के इंटर कॉलेज से सन 1969 में 12वीं की थी. इसके बाद 1971 में B.R.D.P.G. कॉलेज, देवरिया से ग्रेजुएशन और 1974 से बीएचयू से एलएलबी किया. शाही बीएचयू में छात्र संघ का हिस्सा भी रहे थे. और काफी लोकप्रिय नेता माने जाते थे. शाही को उनके दिवंगत पिता राजेंद्र किशोर शाही ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल किया था.
इस बार के चुनाव में पथरदेवा सीट से सूर्य प्रताप शाही का सामना पूर्व मंत्री व सपा के उम्मीदवार शाकिर अली और बसपा प्रत्याशी नीरज वर्मा से होना है. सूर्य प्रताप शाही के सामने पिछले तीन चुनावों से मिल रही हार को जीत में बदलने की चुनौती है. ऐसे में यह चुनाव जीतना उनके लिए काफी अहम हो जाता है.
कहा जाता है कि सूर्य प्रताप शाही वर्ष 1991 और 1996 में कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में रसूखदार कैबिनेट मंत्रियों में शामिल थे. पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने नई बनी सीट पथरदेवा विधानसभा सीट से लड़ा, जहां उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.
शाही ने देवरिया के इंटर कॉलेज से सन 1969 में 12वीं की थी. इसके बाद 1971 में B.R.D.P.G. कॉलेज, देवरिया से ग्रेजुएशन और 1974 से बीएचयू से एलएलबी किया. शाही बीएचयू में छात्र संघ का हिस्सा भी रहे थे. और काफी लोकप्रिय नेता माने जाते थे. शाही को उनके दिवंगत पिता राजेंद्र किशोर शाही ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल किया था.
इस बार के चुनाव में पथरदेवा सीट से सूर्य प्रताप शाही का सामना पूर्व मंत्री व सपा के उम्मीदवार शाकिर अली और बसपा प्रत्याशी नीरज वर्मा से होना है. सूर्य प्रताप शाही के सामने पिछले तीन चुनावों से मिल रही हार को जीत में बदलने की चुनौती है. ऐसे में यह चुनाव जीतना उनके लिए काफी अहम हो जाता है.
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