फिडे वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप 2024 में चीन के डिंग लिरेन को हराकर विश्व के सबसे कम उम्र के वर्ल्ड चेस चैंपियन बने डी गुकेश ने चैंपियशिप जीतने के बाद पहली बार किसी टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया है. डी गुकेश ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा है कि उन्होंने 6 साल की उम्र से चेस खेलना शुरू किया था और विश्वनाथन आनंद उनके आदर्श हैं. इस दौरान उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए. डी गुकेश ने इस दौरान कहा कि उन्हें इसकी उम्मीद नहीं थी कि वो इस चैंपियनशिप को जीतेंगे. गुकेश का चैंपियन बनने के बाद जोरदार स्वागत हुआ था और इसको लेकर भी उन्होंने जवाब दिया है.
कैसे थे आखिरी मोमेंट
यह बहुत रोमांचक और भावनात्मक था. मैंने उस गेम को जीतने की उम्मीद नहीं की थी. लेकिन जब यह हुआ तो मैं इमोशनल हो गया.
सबसे मुश्किल राउंड कौन सा था?
मैंने उम्मीद नहीं की थी कि मैं आखिरी गेम जीतूंगा, क्योंकि जो पोजिशन थी वो ड्रॉ की तरफ जा रही थी. मैं लगातार पुश कर रहा था, मैं जीत की कोशिश कर रहा था. लेकिन जैसे मैंने कहा, उद्देश्य यही था कि यह ड्रॉ पर समाप्त होना चाहिए. लेकिन जब उन्होंने गलती की तो वह एक अच्छा पल था. मेरे लिए सबसे मुश्किल गेम पहले और 12 गेम के बाद की बाजियां रही, जिनमें मुझे हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन तीनों जीत काफी अच्छी रहीं.
कंट्रोल में रहने के लिए वो लम्हा कितना अहम था और आपने कैसे मैनेज किया
यह आसान काम नहीं होता है कि आप पूरे गेम के दौरान अपने इमोशन को कंट्रोल रखे. मैं आपना बेस्ट करता हूं. मैं योगा और मेडिटेशन करता हूं, जिसने मेरी काफी सहायता की है. मुझे लगता है कि कुछ अनुभव है और मानसिक दृढ़ता के चलते मैं इन इमोशन को कंट्रोल कर पाता हूं. यह आसान नहीं है लेकिन कुछ अनुभव और कुछ अच्छी आदतों काफी अहम हो जाती हैं.
कैसे माइंड गेम चलता है और विरोधी पर किस तरह का दवाब बनता है उससे
मेरा प्रतिद्वंद्वी शुरुआत में लंबी चीजें ले रहा था, मैंने अपनी आंखें बंद करने की कोशिश की क्योंकि मुझे पता था कि उसकी चालों पर मेरा जवाब क्या होगा. मैंने बस अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की और बस पल में रहने की कोशिश की और बहुत अधिक ऊर्जा नहीं लगाई क्योंकि मुझे खेल के बाद के हिस्सों में इसकी आवश्यकता थी. इसलिए हां, वहां कुछ सरल चीजें थीं जिन्हें मैंने करने की कोशिश की थी और वहां हमेशा होती है, आप जानते हैं कि प्रत्येक खिलाड़ी का अपना तरीका होता है, अलग तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए. और हां, यह खेल के मानसिक पक्ष का हिस्सा है, यह निश्चित रूप से खेल का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है.
क्या कोई गलती हुई, जब लगा हो कि यह तो गलत हो गया?
शतरंज में हमेशा गलतियां होती रहती हैं. शतरंज एक बहुत ही सुंदर और जटिल खेल है, चाहे आप कितने भी अनुभवी हों और चाहे आप कितने भी मजबूत हों, आप लंबे खेलों में गलतियां करते हैं और निश्चित रूप से मेरी ओर से बहुत सारी गलतियां हुईं लेकिन दिन के अंत में आपका काम अपने विरोधी से बेहतर खेलना है और मुझे लगता है कि लंबे मैच की अवधि में मैं ऐसा करने में कामयाब रहा.
कब से शुरू हुआ चेस खेलने का सफर
मैंने बहुत छोटी उम्र में लगभग साढ़े छह या सात साल की उम्र में शुरुआत की थी, मैं विश्वनाथन आनंद से प्रेरित हुआ और जब मैं शामिल हुआ, जब मैंने शतरंज का अभ्यास शुरू किया तो मुझे धीरे-धीरे खेल से प्यार होने लगा और हां यह एक खूबसूरत खेल रहा है.
शतरंज के दीवाने कैसे बने?
वह चीज़ जिसने मुझे शुरू में शतरंज की ओर आकर्षित किया था और अभी भी वह चीज़ जो मुझे आकर्षित करती है, वह है कि यह खेल कितना पेचिदा है, आप इसमें सब कुछ कैसे सीख सकते हैं, मेरा मतलब है कि हर दिन कुछ न कुछ सीख सखते हैं, क्योंकि शतरंज असीमित संभावनाओं का खेल है और मुझे लगता है कि यह जिज्ञासा मेरे लिए शुरू से ही बहुत महत्वपूर्ण रही है. मेरी प्रेरणा और रोल मॉडल शुरुआत से ही विश्वनाथन आनंद सर रहे. मैंने उनका अनुसरण किया, मैंने उनके बताए रास्ते पर चलने की कोशिश की.वह सालों से मेरे मेंटॉर हैं और हां, उनकी भूमिका अमूल्य रही है.
आपको माता-पिता का अहम रोल रहा, आपके सोर्स ऑफ स्ट्रेंथ कौन हैं?
हां, मेरे माता-पिता दोनों ही मेरे लिए शक्ति और समर्थन का सबसे बड़ा स्रोत हैं. मेरे माता-पिता दोनों ने शुरू से ही मेरे लिए यहां तक पहुंचने के लिए बहुत त्याग किए हैं. मेरे पिता ने मेरे करियर के लिए, मेरे साथ टूर्नामेंट में जाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी. मेरी मां घर पर मेरा समर्थन करती हैं, जब मैं टूर्नामेंट में होता हूं तो वह हमेशा मुझसे बात करती हैं. हर गेम से पहले मुझे प्रेरित करने की कोशिश करती हैं और हां, वह हमेशा भावनात्मक समर्थन के लिए मौजूद रहती हैं. मेरा मतलब है कि मेरे माता-पिता ने मेरे करियर में मेरे लिए जो कुछ भी किया है उसके लिए मैं उनका पर्याप्त धन्यवाद नहीं कर सकता.
आखिरी गेम को लेकर कितना विश्वास था कि जीत मिलेगी
पूरे मैच के दौरान हालांकि तनाव और संदेह हमेशा बना रहा क्योंकि दांव बहुत ऊंचे थे और हमेशा कुछ अनिश्चितता रहती है. लेकिन गहराई से मुझे लगता है कि मैंने हमेशा यह विश्वास किया कि किसी न किसी तरह मैं इससे बाहर निकलने में सक्षम हो जाऊंगा और मुझे लगता है कि मेरे विश्वास और भगवान ने भी मेरी बहुत मदद की है, कुछ गेमों में कई स्थितियों में मुझे बहुत मदद मिली, मुझे ऐसा लगा कि मैं बस वहां जाऊंगा और अपना काम करूंगा, भगवान इसका ध्यान रखेंगे, इसलिए मुझे लगता है कि ये क्षण ऐसे थे.
रोड शो को लेकर कैसा लगा
यह बहुत अच्छा था, मेरा मतलब है कि तमिलनाडु सरकार और भारत सरकार का समर्थन, मेरे करियर में मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है, सभी प्रशंसकों और अधिकारियों को शो में शामिल होते देखना अच्छा लगा और सब कुछ बहुत अच्छा था.
तमिलनाडु से ही ग्रैंड मास्टर हो रहे हैं, ऐसा क्या खास है
मुझे लगता है कि यह महज संयोग नहीं है, क्योंकि विश्वनाथन आनंद सर तमिलनाडु चेन्नई से हैं और उन्होंने भारत और खासकर चेन्नई में चेस को लेकर रुचि पैदा की है. तमिलनाडु और चेन्नई में सरकार, ट्रेनर और समुदाय ने काफी सहयोग दिया है. तमिलनाडु चेन्नई में कुछ तो है.
दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने से वर्ल्ड चैंपियन बनने के कितना फर्क आया है
मुझे लगता है कि 19 साल की उम्र में मैं दिल्ली में था और मैं काफी युवा था और मैंने अपने बारे में बहुत सारी चीजें सुधारी हैं. मुझे लगता है कि यह यात्रा काफी अच्छी रही है.
पैडी अप्टन ने आपको क्या करने के लिए कहा था
पैडी के साथ काम करना मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है. उन्होंने मैच के लिए मेरी भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक तैयारी में बहुत मदद की. हां, वहाँ बहुत सारे सुझाव थे, बहुत सारी बातचीत हुई, जिनसे मुझे बहुत कुछ हासिल हुआ और मैंने निश्चित रूप से एक बड़ी भूमिका में मदद की.
क्या चेस को लेकर मौजूदा जेनरेशन के माइंडसेट में बदलाव आया है
मुझे लगता है कि भारत में शतरंज बहुत लोकप्रिय हो गया है और मैं हाल के सालों में इस बात से बहुत खुश हूं और मैं देख सकता हूं कि बहुत सारे बच्चे इस खेल में रुचि ले रहे हैं. बहुत सारे माता-पिता और कोच बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. और मैं भारत और शतरंज में इस क्रांति का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूं. मुझे उम्मीद है कि यह बढ़ेगा और हम दिन-ब-दिन मजबूत होते जाएंगे.
धोनी और आपके बीच में क्या समानताएं हैं
मैं धोनी सर का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं और उनके साथ तुलना किया जाना मेरे और धोनी के लिए बहुत सम्मान की बात है. मुझे लगता है कि धोनी सर में दबाव में शांत रहने की क्षमता है और मैं भी इसमें काफी अच्छा हूं, इसलिए मैं यह जानकर बहुत खुश हूं कि हम दोनों में समानताएं हैं.
आप अपनी जीत के बाद भारत में चेस के भविष्य को कैसे देखते हैं
मैं बहुत खुश हूं कि इस विश्व चैम्पियनशिप ने शतरंज में उछाल पैदा किया है, मेरा मतलब है कि इसने शतरंज में उछाल में मदद की है और मुझे लगता है कि भारत में शतरंज का भविष्य काफी उज्ज्वल है. बहुत सारे खिलाड़ी हैं. सरकार से बहुत समर्थन मिल रहा है. बहुत सारे खेल उत्साही और प्रायोजक आ रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि यह खेल जितना संभव हो उतना बढ़ेगा.
चेस के अलावा क्या पंसद है
बहुत सारी चीजें, मुख्य रूप से कुछ खेल संबंधी किताबें और इस तरह की चीजें, लेकिन हां, बहुत मज़ा आया.
आगे आने वाले समय के लिए क्या योजनाएं हैं
बहुत सारे टूर्नामेंट आने वाले हैं और मैं इसके लिए काफी उत्साहित हूं. मैं कड़ी मेहनत करने की कोशिश करूंगा और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करूंगा. यात्रा अभी शुरू हुई है और मुझे लगता है कि यह एक बहुत लंबी और आनंददायक छलांग होगी. और हां, मेरा लक्ष्य हमेशा दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनना है और मैं इसके लिए अपना पूरा प्रयास करूंगा.
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