शिमला:
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में इन दिनों पानी की जबरदस्त किल्लत है। ज़्यादातर इलाकों में नल सूखे पड़े हैं और जनता को पानी के टैंकरों का आसरा है जो 4 से पांच दिन में एक बार नसीब होता है।
शहर के टोटू, मेहली, केल्टी, न्यू शिमला, विकास नगर, छोटा शिमला, जुटोघ इलाकों में चार से पांच दिन बाद पनी का टैंकर आ रहा है। टैंकर पहुंचा तो पानी भरने के लिए मारा मारी शुरू हो जाती है।
अंग्रेज़ों के बनाए रिज के टैंक में अमूमन 8 से 10 फुट पानी रहता था। लेकिन इन दिनों सिर्फ एक फुट पानी बचा है। पीलिया फैलने के बाद शहर को पानी सप्लाई का सबसे बड़ा स्रोत अश्वनी खुद्द जनवरी से बंद पड़ा है। शिमला को रोज़ाना 40 एमएलडी पानी की ज़रूरत है लेकिन अभी तक मुश्किल से 30 एमएलडी का जुगाड़ हो पा रहा है।
लोगों की शिकायत है कि पानी के लिए लड़ाई झगड़े तक हो रहे हैं। ऊपर से पानी मटमैला भी आ रहा है। महिलाओं का कहना है कि बच्चों के यूनिफॉर्म धोने तक के लिए पानी नहीं मिल रहा। बच्चे स्कूल जाने से मना कर रहे हैं।
पानी की किल्लत से निबटने के लिए बीन और ब्रांडी नालों से सप्लाई का प्रस्ताव है लेकिन अमल में देरी हो रही है। डिप्टी मेयर टीकेंदर पनवर बताते हैं, 'हमारी कोशिश है कि बेहतर प्रबंधन के ज़रिये समस्या को हल किया जाय। सप्लाई व्यवथा को दुरुस्त कर रहे हैं, लीकेज की वजह से 60 फीसदी पानी बर्बाद हो रहा है। हमारे लिए ये बड़ी चुनौती है। अंग्रेज़ों के ज़माने की पाइपलाइन को बदलने के लिए हमने केंद्र सरकार को 300 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट भेजा है, उसके बाद हमें कोई दिक्कत नहीं होगी।'
सिंचाई एवं जन स्वस्थ्य मंत्री विद्या स्टोक्स कहती है, 'हम पब्बर नदी से पानी लाने की योजना पर काम कर रहे हैं। हमारी कोशिश ये है कि भारत सरकार और वर्ल्ड बैंक से एक हज़ार करोड़ रुपये से ये प्रोजेक्ट जल्द से जल्द तैयार हो जाएं।'
इन सरकारी योजनाओं पर अमल में महीनों लगेंगे, ये हाल तब है जब गर्मियों की शुरुआत हुई है। मई-जून के टूरिस्ट सीजन में क्या हालात होंगे इसका अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है।
शहर के टोटू, मेहली, केल्टी, न्यू शिमला, विकास नगर, छोटा शिमला, जुटोघ इलाकों में चार से पांच दिन बाद पनी का टैंकर आ रहा है। टैंकर पहुंचा तो पानी भरने के लिए मारा मारी शुरू हो जाती है।
अंग्रेज़ों के बनाए रिज के टैंक में अमूमन 8 से 10 फुट पानी रहता था। लेकिन इन दिनों सिर्फ एक फुट पानी बचा है। पीलिया फैलने के बाद शहर को पानी सप्लाई का सबसे बड़ा स्रोत अश्वनी खुद्द जनवरी से बंद पड़ा है। शिमला को रोज़ाना 40 एमएलडी पानी की ज़रूरत है लेकिन अभी तक मुश्किल से 30 एमएलडी का जुगाड़ हो पा रहा है।
लोगों की शिकायत है कि पानी के लिए लड़ाई झगड़े तक हो रहे हैं। ऊपर से पानी मटमैला भी आ रहा है। महिलाओं का कहना है कि बच्चों के यूनिफॉर्म धोने तक के लिए पानी नहीं मिल रहा। बच्चे स्कूल जाने से मना कर रहे हैं।
पानी की किल्लत से निबटने के लिए बीन और ब्रांडी नालों से सप्लाई का प्रस्ताव है लेकिन अमल में देरी हो रही है। डिप्टी मेयर टीकेंदर पनवर बताते हैं, 'हमारी कोशिश है कि बेहतर प्रबंधन के ज़रिये समस्या को हल किया जाय। सप्लाई व्यवथा को दुरुस्त कर रहे हैं, लीकेज की वजह से 60 फीसदी पानी बर्बाद हो रहा है। हमारे लिए ये बड़ी चुनौती है। अंग्रेज़ों के ज़माने की पाइपलाइन को बदलने के लिए हमने केंद्र सरकार को 300 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट भेजा है, उसके बाद हमें कोई दिक्कत नहीं होगी।'
सिंचाई एवं जन स्वस्थ्य मंत्री विद्या स्टोक्स कहती है, 'हम पब्बर नदी से पानी लाने की योजना पर काम कर रहे हैं। हमारी कोशिश ये है कि भारत सरकार और वर्ल्ड बैंक से एक हज़ार करोड़ रुपये से ये प्रोजेक्ट जल्द से जल्द तैयार हो जाएं।'
इन सरकारी योजनाओं पर अमल में महीनों लगेंगे, ये हाल तब है जब गर्मियों की शुरुआत हुई है। मई-जून के टूरिस्ट सीजन में क्या हालात होंगे इसका अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
शिमला, पानी की किल्लत, टैकरों से सप्लाई, हिमाचल प्रदेश, Shimla, Water Crisis In Shimla, Himachal Pradesh, Water Supply Through Tankers