ठाणे:
दिवा, मुम्ब्रा या कलवा लोकल रेलवे स्टेशन पर हाथ में पानी के मर्तबान लिए लोग बाहर वालों को तो हैरान करते हैं, लेकिन बाक़ी सभी जानते हैं कि सर पर, बगल में और हाथ में, जैसे तैसे हो सके पानी ढोते हुए ये शरीर पानी की हर एक बूंद पर नाचने वाली कठपुतलियों से ज़्यादा कुछ नहीं हैं। ये लोग अपने घर से पानी की तलाश में निकलते हैं, ट्रेन पकड़ते हैं और कोई मंदिर, बावड़ी या ऐसी कोई जगह जहां पानी मिल जाए वहां पहुंच जाते हैं।
गर्मियां शुरू होते ही मुम्बई से सटे ठाणे और नवी मुम्बई के इलाकों में पानी की कटौती शुरू हो गयी है। ठाणे, मुम्ब्रा, कलवा, दीवा और नवी मुम्बई में पिछले महीने से 40 फ़ीसदी पानी की कटौती शुरू कर दी गयी थी। नगरपालिका का कहना है कि पानी की उपलब्धता बेहद कम है और इस बचे हुए पानी को बरसात होने तक चलाने के लिए यह कटौती ज़रूरी है। पानी कटौती की यह स्थिति और भयावह होने वाली है क्योंकि बुधवार से ही 60 घंटों के लिए इन इलाकों में पानी की सप्लाई पूरी तरह बंद रहेगी।
लोग पानी के लिए बेहाल हैं। अलग अलग तरह से पानी का प्रबन्ध करने में लगे रहते हैं। पीने के पानी के लिये घंटों कतारों में खड़ा रहना पड़ता है। जहां एक ओर बड़े घर बाहर के काम काज निपटा कर सीधे पानी के नल के पास पहुंच जाते हैं वहीं बच्चे भी स्कूल से आने के बाद पानी की फ़िक्र में लग जाते हैं।
सबसे ज़्यादा तकलीफ़ दिवा, मुम्ब्रा और कलवा जैसे इलाकों में है। इन जगहों पर वैसे भी पानी की कमी की समस्या थी लेकिन इस बार शुरू हुई कटौती ने लोगों की कमर तोड़ दी है।
पानी के लिए लोगों को तरह तरह के जतन करने पड़ते हैं। हाऊसिंग सोसायटी में रहने वाले लोग पानी के टैंकर खरीद के काम चला लेते हैं। लेकिन झुग्गियों में रहने वाले लोगों के 24 में से 3-5 घंटे पानी भरने की कोशिश की बलि चढ़ जाते हैं।
ठाणे और उसके आस पास के इलाकों में यह नज़ारा आम हो गया है। पिछले महीने शुरू हुई 40 फ़ीसदी पानी कटौती ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है। ऐसे में सरकार और नगरपलिका का रवैया और निराश करने वाला है। नगरपलिका दावा कर रही है कि टैंकर और बोरवेल के ज़रिये लोगों को राहत देने की कोशिश जारी है। लेकिन लोगों का एक बहुत बड़ा तबका अब भी उस सरकारी मदद के इंतज़ार में है।
पानी की कटौती शुरू होते ही पानी कई गुना महंगा हो गया है। पानी के टैंकरों की कीमतें बढ़ गयी हैं। लोग इसकी शिकायत कर सकें इसके लिए नगरपलिका ने टोल फ्री नम्बर उपलब्ध कराया, लेकिन उस नम्बर पर शिकायत सुनने वाला कोई नहीं मिलता। ठाणे के कलेक्टर अश्विनी जोशी का कहना है कि कुछ तकनीकि खराबी की वजह से हेल्पलाइन नंबर काम नहीं कर रहा।
पानी की इस मरामारी के बीच ठाणे नगरपलिका आग लगने पर कुंआ खोदने का रवैया अपनाती हुई नज़र आ रही है। पानी की किल्लत झेल रहे ठाणे को झीलों का शहर कहा जाता है जहां करीब 30 झीलें और 500 बोरवेल मौजूद हैं। लेकिन इन झीलों का रख रखाव कभी इस तरह से किया ही नहीं गया कि ऐसी स्थिति में इस पानी का इस्तेमाल हो सके। और अब जब बात हाथ से निकलती हुई नज़र आ रही है तो नगरपलिका शुरुआत से शुरू करना चाह रही है। इस पानी को लोगों के लिए उपलब्ध करवाने पर नगरपलिका अब विचार कर रही है। बरसात आने में लगभग दो महीने बाकी हैं और तब तक लोगों को इस समस्या का क्या समाधान हो इसका नगरपलिका के पास कोई जवाब नहीं है।
गर्मियां शुरू होते ही मुम्बई से सटे ठाणे और नवी मुम्बई के इलाकों में पानी की कटौती शुरू हो गयी है। ठाणे, मुम्ब्रा, कलवा, दीवा और नवी मुम्बई में पिछले महीने से 40 फ़ीसदी पानी की कटौती शुरू कर दी गयी थी। नगरपालिका का कहना है कि पानी की उपलब्धता बेहद कम है और इस बचे हुए पानी को बरसात होने तक चलाने के लिए यह कटौती ज़रूरी है। पानी कटौती की यह स्थिति और भयावह होने वाली है क्योंकि बुधवार से ही 60 घंटों के लिए इन इलाकों में पानी की सप्लाई पूरी तरह बंद रहेगी।
लोग पानी के लिए बेहाल हैं। अलग अलग तरह से पानी का प्रबन्ध करने में लगे रहते हैं। पीने के पानी के लिये घंटों कतारों में खड़ा रहना पड़ता है। जहां एक ओर बड़े घर बाहर के काम काज निपटा कर सीधे पानी के नल के पास पहुंच जाते हैं वहीं बच्चे भी स्कूल से आने के बाद पानी की फ़िक्र में लग जाते हैं।
सबसे ज़्यादा तकलीफ़ दिवा, मुम्ब्रा और कलवा जैसे इलाकों में है। इन जगहों पर वैसे भी पानी की कमी की समस्या थी लेकिन इस बार शुरू हुई कटौती ने लोगों की कमर तोड़ दी है।
पानी के लिए लोगों को तरह तरह के जतन करने पड़ते हैं। हाऊसिंग सोसायटी में रहने वाले लोग पानी के टैंकर खरीद के काम चला लेते हैं। लेकिन झुग्गियों में रहने वाले लोगों के 24 में से 3-5 घंटे पानी भरने की कोशिश की बलि चढ़ जाते हैं।
ठाणे और उसके आस पास के इलाकों में यह नज़ारा आम हो गया है। पिछले महीने शुरू हुई 40 फ़ीसदी पानी कटौती ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है। ऐसे में सरकार और नगरपलिका का रवैया और निराश करने वाला है। नगरपलिका दावा कर रही है कि टैंकर और बोरवेल के ज़रिये लोगों को राहत देने की कोशिश जारी है। लेकिन लोगों का एक बहुत बड़ा तबका अब भी उस सरकारी मदद के इंतज़ार में है।
पानी की कटौती शुरू होते ही पानी कई गुना महंगा हो गया है। पानी के टैंकरों की कीमतें बढ़ गयी हैं। लोग इसकी शिकायत कर सकें इसके लिए नगरपलिका ने टोल फ्री नम्बर उपलब्ध कराया, लेकिन उस नम्बर पर शिकायत सुनने वाला कोई नहीं मिलता। ठाणे के कलेक्टर अश्विनी जोशी का कहना है कि कुछ तकनीकि खराबी की वजह से हेल्पलाइन नंबर काम नहीं कर रहा।
पानी की इस मरामारी के बीच ठाणे नगरपलिका आग लगने पर कुंआ खोदने का रवैया अपनाती हुई नज़र आ रही है। पानी की किल्लत झेल रहे ठाणे को झीलों का शहर कहा जाता है जहां करीब 30 झीलें और 500 बोरवेल मौजूद हैं। लेकिन इन झीलों का रख रखाव कभी इस तरह से किया ही नहीं गया कि ऐसी स्थिति में इस पानी का इस्तेमाल हो सके। और अब जब बात हाथ से निकलती हुई नज़र आ रही है तो नगरपलिका शुरुआत से शुरू करना चाह रही है। इस पानी को लोगों के लिए उपलब्ध करवाने पर नगरपलिका अब विचार कर रही है। बरसात आने में लगभग दो महीने बाकी हैं और तब तक लोगों को इस समस्या का क्या समाधान हो इसका नगरपलिका के पास कोई जवाब नहीं है।
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