नेहरू और इंदिरा के जमाने से कांग्रेस के सिपाही रहे रमेश द्त्ता को कांग्रेस ने इस बार टिकट नहीं दिया
नई दिल्ली:
दिल्ली में लगातार 9 बार पार्षद का चुनाव जीतने वाले रमेश दत्ता के पास खुद का मकान भी नहीं है. 76 साल के दत्ता 1971 से लगातार जीत रहे हैं, लेकिन खंडहरनुमा मकान में रहते हैं. यह मकान भी उनके किसी दूर के रिश्तेदार का है. उनके पास न तो मोबाइल फोन है और न ही किसी बैंक में उनका खुद का खाता है. नेहरू और इंदिरा के जमाने से कांग्रेस के सिपाही रहे इस बुजुर्ग नेता का टिकट इस बार कट गया. फिर भी घर में जगह-जगह कांग्रेस से जुड़े दस्तावेज रखे हुए हैं. ये दस्तावेज उनके लिए किसी अनमोल धरोहर से कम नहीं हैं.
यह पूछे जाने पर कि घर में पड़ी कांग्रेस से जुड़ी इन सामग्रियों का आप क्या करेंगे, दत्ता ने जवाब दिया कि जैसे लोग बाप-दादा की संपत्ति को संभालकर रखते हैं. इसी तरह इन्हें मेरी अलबम समझ लीजिए. जैसे भगवान की पूजा करते हैं, वैसे ही इसके सामने अगरबत्ती जलाऊंगा.
दिल्ली गेट के वार्ड नंबर 88 से मैदान में उतरे रमेश दत्ता इस बार निर्दलीय उम्मीदवार हैं. उनका टिकट इससे पहले भी 1997 में काट दिया गया था, लेकिन तब भी दत्ता ने जीत दर्ज की थी और फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इस बार भी जीतने पर इरादा कुछ वैसा ही है. रमेश दत्ता ने कहा कि कांग्रेस ने मुझे इतनी इज्जत दी. इंदिरा गाधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी ने सबने मुझे सम्मान दिया. मुझे नेहरू जी का भी प्यार मिला. उसके लिए मुझे धक्के भी मारेंगे, तो इंदिरा गांधी की कांग्रेस को नहीं छोड़ूंगा. वो खुद मुझे पार्टी में लेना चाहेंगे, अगर नहीं भी लेना चाहेंगे, तो मैं बाहर से ही पूजा करूंगा.
यह पूछे जाने पर कि घर में पड़ी कांग्रेस से जुड़ी इन सामग्रियों का आप क्या करेंगे, दत्ता ने जवाब दिया कि जैसे लोग बाप-दादा की संपत्ति को संभालकर रखते हैं. इसी तरह इन्हें मेरी अलबम समझ लीजिए. जैसे भगवान की पूजा करते हैं, वैसे ही इसके सामने अगरबत्ती जलाऊंगा.
दिल्ली गेट के वार्ड नंबर 88 से मैदान में उतरे रमेश दत्ता इस बार निर्दलीय उम्मीदवार हैं. उनका टिकट इससे पहले भी 1997 में काट दिया गया था, लेकिन तब भी दत्ता ने जीत दर्ज की थी और फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इस बार भी जीतने पर इरादा कुछ वैसा ही है. रमेश दत्ता ने कहा कि कांग्रेस ने मुझे इतनी इज्जत दी. इंदिरा गाधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी ने सबने मुझे सम्मान दिया. मुझे नेहरू जी का भी प्यार मिला. उसके लिए मुझे धक्के भी मारेंगे, तो इंदिरा गांधी की कांग्रेस को नहीं छोड़ूंगा. वो खुद मुझे पार्टी में लेना चाहेंगे, अगर नहीं भी लेना चाहेंगे, तो मैं बाहर से ही पूजा करूंगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं