
नेहरू और इंदिरा के जमाने से कांग्रेस के सिपाही रहे रमेश द्त्ता को कांग्रेस ने इस बार टिकट नहीं दिया
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रमेश दत्ता 1971 से लगातार निगम चुनाव जीतते रहे हैं
दिल्ली गेट के वार्ड नंबर 88 से इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं
उनके पास न तो मोबाइल फोन है, न ही बैंक खाता
यह पूछे जाने पर कि घर में पड़ी कांग्रेस से जुड़ी इन सामग्रियों का आप क्या करेंगे, दत्ता ने जवाब दिया कि जैसे लोग बाप-दादा की संपत्ति को संभालकर रखते हैं. इसी तरह इन्हें मेरी अलबम समझ लीजिए. जैसे भगवान की पूजा करते हैं, वैसे ही इसके सामने अगरबत्ती जलाऊंगा.
दिल्ली गेट के वार्ड नंबर 88 से मैदान में उतरे रमेश दत्ता इस बार निर्दलीय उम्मीदवार हैं. उनका टिकट इससे पहले भी 1997 में काट दिया गया था, लेकिन तब भी दत्ता ने जीत दर्ज की थी और फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इस बार भी जीतने पर इरादा कुछ वैसा ही है. रमेश दत्ता ने कहा कि कांग्रेस ने मुझे इतनी इज्जत दी. इंदिरा गाधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी ने सबने मुझे सम्मान दिया. मुझे नेहरू जी का भी प्यार मिला. उसके लिए मुझे धक्के भी मारेंगे, तो इंदिरा गांधी की कांग्रेस को नहीं छोड़ूंगा. वो खुद मुझे पार्टी में लेना चाहेंगे, अगर नहीं भी लेना चाहेंगे, तो मैं बाहर से ही पूजा करूंगा.
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