तेज बहादुर यादव के कार्यालय की भोर उनके साथियों के लिये अलसाई भरी थी. पर्चा खारिज होने से पहले तक तेज बहादुर ने देश के सबसे ताकतवर इंसान के खिलाफ ताल ठोंक रखी थी. लिहाजा भोर से ही युद्ध स्तर पर रणनीति बनाने का काम शुरू हो जाता था. लेकिन पर्चा खारिज होने के बाद उस मकसद में थोड़ी कमी आई है. हालांकि भले ही भोर अलसाई हुई थी लेकिन जैसे ही सूरज निकला और दिन चढने लगा वैसे ही हलचल शुरू हो गई. रोज़मर्रा की तरह किचेन में सुबह का नाश्ता बन कर अभी तैयार ही हुआ था कि समाजवादी पार्टी की दूसरी प्रत्याशी शालिनी यादव तेज बहादुर से मिलने आ गईं. औपचारिक मुलाकात के बाद अंदर बंद कमरे में तेज बहादुर और शालिनी के बीच गुप्त वार्ता होने लगी. हालांकि बाहर के कमरे में जहां आम दिनों में बेतरतीब बिछी दरी पर बड़ी लड़ाई के दांव पेंच की तैयारी होती थी, वहां सन्नाटा पसरा था.
तेज बहादुर यादव बोले, मुझे चुनाव लड़ने से रोकने के लिए BJP अपना रही तानाशाही रवैैया, लेकिन...
जिस दान पात्र को लेकर तेज बहादुर यादव और उनके साथी प्रचार के लिए निकलते थे वो भी एक कोने में पड़ा नज़र आया. प्रचार के लिए हर रोज़ अपने घर का काम ख़त्म कर कार्यालय पहुंचने वालीं महिलाएं भी नज़र नहीं आईं, पर एक कोने में बीते पंद्रह दिनों से हरियाणा के चरखी दादरी से आये तस्वीर फोगाट निढाल पड़े शून्य में ताकते नज़र आये. ये वही तस्वीर फोगाट हैं जो पर्चा खारिज होने से पहले बड़े जोश के साथ हर दिन अकेले ही साइकिल से तेज बहादुर यादव के प्रचार के लिये निकल पड़ते थे. तस्वीर फोगाट की तरह ही तेज बहादुर के प्रचार के लिए हरिद्वार से आये योगेश राठी भी कुर्सी पर बैठे कार्यालय में जारी हलचल पर निगाह रखे हुए नज़र आये. इस बीच शालिनी यादव और तेज बहादुर की मीटिंग ख़त्म हो गई.
पर्चा खारिज होने की पहली सुबह शालिनी यादव ने फौजी तेज बहादुर को बांधी राखी तेज बहादुर ने भी भाई का फर्ज निभाने का किया वादा । बनारस में रहकर मोदी के खिलाफ करेंगे डोर टू डोर प्रचार pic.twitter.com/i5jV9oDvWq
— Ajay Singh (@AjayNDTV) May 2, 2019
पीएम मोदी के खिलाफ ताल ठोंकने वाले तेज बहादुर यादव का नामांकन क्यों खारिज हुआ?
जब शालिनी और तेज बहादुर यादव बाहर निकले तो मीडिया के लोगों ने उन्हें घेर लिया और सवाल करने लगे, लेकिन सवालों का जवाब देने से पहले ही शालिनी ने अपने बैग से राखी निकली और मीडिया के सामने ही तेज बहादुर को बांधा. शालिनी यादव ने कहा कि आज हम तेज बहादुर जी से मिलने आए हैं. तेजबहादुर जी पांच भाई हैं, लेकिन कोई बहन नहीं है. मैंने उन्हें राखी बांधी है और भाई के तौर पर स्वीकार किया है. वहीं, तेज बहादुर ने कहा कि अब मैं शालिनी की लड़ाई को आगे बढ़ाने और मोदी जी को हारने के लिये बनारस में ही रह कर डोर टू डोर प्रचार करूंगा. शालिनी यादव की मुलाकात और तेज बहादुर के बनारस में ही रह कर पीएम मोदी को घेरने की बात से उनके साथियों को भी एक मकसद मिल गया है और अब वे नए तरीके से रणनीति बनाने में जुट गये.
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