प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और मंत्रियों के शपथ ग्रहण से पहले गहमागहमी तेज़ है. राष्ट्रपति भवन में नई सरकार के भव्य शपथ ग्रहण समारोह से ठीक एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह ने करीब 3 घंटे मुलाकात की. मंत्रिमंडल के सदस्यों पर चर्चा करने के लिए पिछले दो दिनों में पीएम और भाजपा अध्यक्ष के बीच यह दूसरी लंबी बैठक है. दोनों ने मंगलवार को पांच घंटे तक चर्चा की थी कि पीएम मोदी के साथ किस-किसको शपथ दिलाई जाएगी. सूत्रों ने NDTV को बताया कि पीएम मोदी कल सुबह अपने निवास स्थान पर उन सांसदों से चाय पर चर्चा करेंगे जिन्हें मंत्री बनाया जा सकता है.
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BJP में एक तबके का मानना है कि अभूतपूर्व बहुमत से सत्ता में पार्टी की वापसी कराने में अहम भूमिका निभाने के बाद शाह सरकार में मंत्री पद संभाल सकते हैं. हालांकि, शाह ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है. मोदी और शाह की मुलाकात में किन मुद्दों पर बात हुई, इस बारे में आधिकारिक तौर पर तो कुछ नहीं कहा गया, लेकिन माना जाता है कि दोनों नेताओं ने दूसरी बार मोदी सरकार के गठन की बारीकियों पर चर्चा की होगी. इस बात पर भी चर्चा हुई होगी कि किन नेताओं को मंत्री बनाना है और किन्हें किस मंत्रालय का प्रभार सौंपना है.
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सूत्रों ने बताया कि नई मंत्रिपरिषद में पश्चिम बंगाल एवं तेलंगाना जैसे राज्यों में भाजपा के अच्छे प्रदर्शन की झलक मिल सकती है और इन राज्यों से चुने गए सांसदों को मंत्री पद दिया जा सकता है. कई नेताओं का मानना है कि पिछली सरकार के सबसे प्रमुख सदस्यों को मंत्री पद पर बरकरार रखा जा सकता है.
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बता दें कि गुरुवार शाम 7 बजे प्रधानमंत्री मोदी अपने मंत्रिमंडल के साथ शपथ लेंगे. इस मौक़े पर भव्य समारोह की तैयारी है. सारे मुख्यमंत्रियों-राज्यपालों सहित 7000 लोगों को न्योता दिया गया है. देश के सभी मुख्यमंत्रियों को तो आमंत्रित किया ही गया है कई विदेशी मेहमान भी इस बैठक में आएंगे. जिन विदेशी मेहमानों ने अभी तक अपने आने की पुष्टि की है उनमें, बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुल हमीद, श्रीलंका के राष्ट्रपति एम सिरीसेना, किर्गिस्तान के राष्ट्रपति एस जीनबेकोव, म्यांमार के राष्ट्रपति यू विन मिंट, मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, भूटान के प्रधानमंत्री डॉ. एल शेरिंग और थाइलैंड के विशेष प्रतिनिधि जी बूनरैक शामिल हैं.
वित्त मंत्री अरुण जेटली के स्वास्थ्य आधार पर मंत्री नहीं बनने के फैसले के बाद अटकलें लगायी जा रही हैं कि जेटली के स्थान पर किन्हें यह महत्वपूर्ण विभाग मिलेगा. इस पद के लिए रेल मंत्री पीयूष गोयल को प्रमुख दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसी चर्चा भी है कि शाह जो गांधीनगर से लोकसभा के लिए चुने गए हैं, सरकार में शामिल हो सकते हैं. अगर वह मोदी कैबिनेट में शामिल होते हैं, तो उन्हें चार प्रमुख विभागों वित्त, गृह, रक्षा या विदेश में से कोई एक मिल सकता है. भाजपा ने सरकार के संभावित सदस्यों के बारे में कोई भी आधिकारिक बयान देने से परहेज किया है और पार्टी नेताओं ने जोर दिया कि यह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है. अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रकाश जावड़ेकर, रविशंकर प्रसाद, धर्मेंद्र प्रधान जैसे वरिष्ठ नेताओं के दूसरी मोदी सरकार में शामिल होने की संभावना है.
उधर, राजनाथ सिंह ने भी बुधवार को मोदी से मुलाकात की. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के कुछ अधिकारियों ने भी बुधवार को शाह से उनके आवास पर मुलाकात की. प्रधानमंत्री ने शाह के साथ मंगलवार को भी लंबी बैठक की थी. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्वास्थ्य आधार पर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन पार्टी के भीतर एक राय है कि वह भी नए मंत्रिमंडल का हिस्सा होंगी. संभावना है कि करीब 60 मंत्री शपथ ले सकते हैं. पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि संगठन के कुछ नेताओं को भी मंत्री बनाया जा सकता है. अगर शाह सरकार में शामिल होते हैं, तो जेपी नड्डा और भूपेंद्र यादव को पार्टी अध्यक्ष के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. भाजपा के सहयोगी दलों जैसे शिवसेना, जनता दल (यू), अन्नाद्रमुक, लोजपा, अकाली दल और अपना दल का भी सरकार में प्रतिनिधित्व होना तय है.
शिवसेना और जद (यू) जैसी पार्टियों को दो स्थान मिल सकते हैं क्योंकि वे भाजपा के बाद सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में सबसे बड़े घटक हैं. अन्य दलों को एक-एक पद मिल सकता है. भाजपा के एक नेता ने कहा कि मोदी कुछ चेहरों के साथ लोगों को चौंका भी सकते हैं. मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में आर के सिंह और हरदीप पुरी जैसे कई पूर्व नौकरशाहों को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था. पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी, मनोज सिन्हा जैसे नेताओं को भी शामिल कर सकते हैं, जो लोकसभा चुनाव हार गए. हालांकि पिछली सरकार में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा.
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