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बिहार संपर्क क्रांति ट्रेन में एनडीटीवी के सहयोगी सौरभ शुक्ला ने वोट डालने जा रहे यात्रियों से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कई यात्रियों से लोकसभा चुनाव में उनके मुद्दे और समस्याओं के बारे में जानने की कोशिश की. मालूम हो कि आखिर के दो चरणों में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की कई सीटों पर मतदान होने वाला है. ऐसे में दिल्ली और एनसीआर में रह कर मजदूरी कर रहे हजारों कामगार जनरल बोगी में बुरे हालात में वोट डालने अपने गांव जा रहे हैं. भीड़ इतनी है कि बोगी के शौचालय में लोग बैठकर वोट डालने जा रहे हैं. हमने भी कामगारों के साथ जनरल बोगी का सफर किया और उनकी स्थिति आप तक पहुंचाने का प्रयास किया. चुनाव आयोग हर रोज लोगों को मतदान के लिए अखबारों से लेकर टीवी चैनलों पर लाखों रूपए खर्च कर रहा है लेकिन जनरल बोगी में हजारों कामगार बिना किसी प्रचार के बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश 45 डिग्री तापमान में वोट डालने जा रहे हैं.
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किसी तरह जनरल बोगी में घुसने की बाद हमने शुरूआत बोगी के टॉयलट से की जहां पर जगह न होने के कारण सिवान के दो युवक राहुल और नंद कुमार टॉयलट में बैठकर वोट डालने जा रहे थे. 21 साल के राहुल का कहना है कि वो अपने वोट की कीमत समझते हैं और लगभग 20 घंटे टॉयलट में खड़े होकर सिर्फ इसलिए चाहते हैं कि अगले पांच साल में भारतीय रेल कुछ जनरल बोगी बढ़ा दे, ताकि त्योहारों से लेकर वोट डालने के लिए उन्हें अगली बार टॉयलेट में खड़े होकर अपने गांव न जाना पड़े.
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नोएडा में रोजनदारी करने वाले मुहम्मद लालबाबू जो कि किसी तरह एक बर्थ में अपने पांच साथियों के साथ ठस कर बैठे हुए थे, हमने जब उनसे पूछा तो वो काफी भावुक हो गए मोहम्मद लालबाबू ने हमें बताया कि वो इस बार अपने शहर गोपालगंज में भेदभाव के खिलाफ वोट डालने जा रहे हैं उन्होंने कहा कि दिल्ली एनसीआर में लोग बिहारियों को हीन भावना से देखते हैं और उन्हें अक्सर बिहारी कहकर बेइज्जत करते हैं.
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42 साल के मजदूर शिवराम कहते हैं कि वो मोदी जी को वोट डालने जा रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि मोदी जी बिहार में भी फैक्ट्रियां लगवाएंगे जिससे उन्हें बिहार में ही रोजगार मिलेगा. 40 साल की विधवा उर्मिला का कहना कि वो रोजगार के लिए अहमदाबाद गईं थीं, लेकिन उन्हें बहुत भटकने के बाद काम नहीं मिला अब उधार लिए पैसे भी खत्म हो गए हैं इसलिए वापस अपने गांव जा रही हैं वो चाहती हैं कि उनके वोट से शिक्षा के क्षेत्र में काम हो ताकि उनके बेटे को मुफ्त में पढ़ा सकें.
Video: वोट डालने का जज्बा, मतदाताओं की जनरल बोगी
हमनें अपने 12 घंटे के सफर में न जाने कितने लोगों से बात की सबसे बात करने पर यही समझ आया कि गरीबों को अपने वोट की कीमत पता है. यही वजह कि वो कष्ट झेलकर वोट डालने जा रहे हैं लेकिन अपर मिडिल क्लॉस और अपर क्लॉस वोटिंग वाले दिन अपने घरों में नेटफ्लिक्स पर कोई सीरीज देखकर बिता देता है. शायद वजह है कि इन लोगों को उम्मीदवारों के नाम तक नहीं पता.
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अगर ये कहानी चुनाव आयोग टीवी पर देखे या Ndtv.in पर पढ़े तो जरूर आगे होने वाले चुनावों में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशेष ट्रेन जरूर चलवा दें ताकि ये गरीब जागरूक मतदाता आराम से वोट डालने जा सके.
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