भारत में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. नेता भी टिकट के जुगाड़ में लगे हैं. लेकिन एक शख्स ऐसा है जो 1957 से चुनाव लड़ रहा है और हर चुनाव में उसकी हार होती है. 84 साल के श्याम बाबू सुबुधी (Shyam Babu Subudhi) अब तक सभी चुनाव हार चुके हैं. लेकिन उनको उम्मीद है एक न एक दिन उन्हें जरूर चुना जाएगा. इसी उम्मीद के साथ वह इस बार भी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) लड़ने जा रहे हैं. उन्होंने इस बार ओडिशा की गंजम जिले की दो सीट- अस्का और बरहामपुर से निर्दलीय लड़ने का फैसला लिया है.
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आपको बता दें कि उन्होंने 1957 में तत्कालीन मंत्री वृंदावन नायक के खिलाफ पहला चुनाव लड़ा था. बरहमपुर में स्कूल को लेकर उनका झगड़ा हो गया था. जिसके बाद उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला लिया. BBC से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं हिंजिली विधानसभा क्षेत्र से लड़ा था और हार गया था.' श्याम बाबू भले ही हार गए लेकिन उनका स्टाइल लोगों के बीच काफी पॉपुलर हो गया था. वो हमेशा कैप, काले बैग और सूट में नजर आते हैं. चाहे सर्दी हो या गर्मी वो सूट में ही रहते हैं.
इसके बाद 1962 में उन्होंने पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था. उनका कहना है कि वह हार या जीत के लिए चुनाव नहीं लड़ते. चुनाव लड़ना उनका जुनून है. उन्हें विश्वास है कि लोग नेता के तौर पर जरूर चुनेंगे. श्याम बाबू पेशे से होमियोपैथी के डॉक्टर हैं. वो जितना कमाते हैं चुनाव के दौरान प्रचार-प्रसार में पूरा खर्च कर देते हैं. चुनाव के वक्त वो पर्चे बनवाते हैं और खुद ही जगह-जगह बांटते हैं और प्रचार करते हैं.
1996 में उन्होंने अपने जीवन का सबसे अहम चुनाव लड़ा था. इस बार उनके सामने बरहमपुर सीट से पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव थे. जााहिर है उनको हार का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं वह ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक और जे.बी. पटनायक के खिलाफ भी मैदान में उतर चुके हैं. श्याम बाबू से जब पूछा गया कि चुनाव लड़ने की वजह क्या है? तो उन्होंने कहा- 'मैं राजनीति में उतरकर भ्रष्टाचार को पूरी तरह से खत्म कर दूंगा.' श्याम बाबू के 4 बच्चे हैं. सभी की शादी हो चुकी है. पिछले साल उनकी पत्नी का निधन हो गया है. जीवन के 84 बसंत देख चुके इस बार वह मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. उनका जब्जा बरकरार है और लोकतंत्र में उनको पूरी आस्था है.
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