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This Article is From Apr 19, 2019

लोकसभा चुनाव : क्या गढ़वाघाट आश्रम बीजेपी की नई 'प्रयोगशाला' है?

इसका कितना असर यादव वोटों पर पड़ेगा यह तो नहीं कह सकते लेकिन योगी से मुलाकात के बाद गढ़वाघाट आश्रम के संत शरणानंद ने राष्ट्रवाद पर जोर देते हुवे अपनी बात जरूर कही.

लोकसभा चुनाव : क्या गढ़वाघाट आश्रम बीजेपी की नई 'प्रयोगशाला' है?
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

गढ़वाघाट आश्रम वाराणसी में है. इस आश्रम के अनुयायियों की संख्या करोड़ों में है, जिनमें ज्यादातर दलित और पिछड़े समाज, खासकर यादवों की हैं. इसकी बड़ी वजह ये है कि इस आश्रम को भगवान कृष्ण के वंशजों का माना जाता है. लिहाजा यहां पर समय-समय पर लगभग सभी पार्टियों के नेताओं का आना जाना लगा रहा. यही नहीं इस पीठ से कई बड़े राजनेताओं की आस्था भी जुड़ी हुई है. राहुल गांधी से लेकर राजनाथ सिंह जैसे नेता यहां आ चुके हैं.  सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव  अक्सर यहां आते रहे हैं तो 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी पहली बार गढ़वाघाट आश्रम पहुंचे थे और यहीं से अपने चुनाव प्रचार के अभियान की शुरुआत भी की थी. 

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और अब एक बार फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ यहां पर अपनी दस्तक दे रहे हैं. प्रदेश में 2014 के चुनाव के रिजल्ट को दोहराने के लिए संघर्ष कर रही बीजेपी ने बहुत सोच समझ कर ये रास्ता चुना है. यादवों की सबसे बड़ी गद्दी पर बीजेपी के शीर्ष नेताओं का आना महज इत्तेफक नहीं है. इसके जरिए बीजेपी यादव समाज को एक संदेश देना चाहती है. बीजेपी चाहती है कि ओबीसी वर्ग में सबसे बड़ी हैसियत रखने वाले उन यादवों को अपनी ओर जोड़ा जाए जो अब तक समाजवादी पार्टी के वोटर माने जाते हैं.  चूंकि 2014 में सपा और बसपा अलग- अलग लड़ रही थी और बीजेपी आसानी से दलितों को अपने तरफ करने में कामयाब हो गई थी लेकिन इस बार परिस्थिति अलग है सपा-बसपा न सिर्फ एक साथ हैं बल्कि यादव वोट गोलबंद भी नज़र आ रहा है ऐसे में बीजेपी  दलितों के साथ यादव वोटों को भी साधने की कोशिश कर रही है जिससे सपा-बसपा के गठबंधन पर असर डाला जा सके.  

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इसका कितना असर यादव वोटों पर पड़ेगा यह तो नहीं कह सकते लेकिन योगी से मुलाकात के बाद गढ़वाघाट आश्रम के संत शरणानंद ने राष्ट्रवाद पर जोर देते हुवे अपनी बात जरूर कही. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि हर देशवासी के लिए देश पहले जरूरी है. हिंदुस्तान हिंदूवादी राष्ट्र है और इसकी अस्मिता की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है. स्वामी शरणानंद की ये बात बीजेपी को उत्साहित कर सकती है क्योंकि माना जाता है कि आश्रम की एक आवाज़ पर यादव समाज उठ खड़ा होता है.   ऐसे में स्वामी शरणानन्द के राष्ट्रवाद की बात बीजेपी के लिये मुफीद बैठती है. योगी वाराणसी के अपने इस दौरे में सिर्फ आश्रम ही नहीं गए बल्कि वाराणसी के पूर्व मेयर रहे कन्हैया लाल यादव के घर भी उनका हाल-चाल लेने पहुंचे थे. वहां पहुंचकर भी उन्होंने यादव समाज को एक संदेश देने की कोशिश की है.  

लेकिन क्या यह इतना आसान है केंद्र की मोदी सरकार हो या फिर राज्य की योगी सरकार, यादव हाशिए पर हैं. योगी मंत्रिमंडल में सिर्फ गिरीश यादव को राज्यमंत्री का ओहदा हासिल हुआ है. इसके अलावा एक भी महत्वपूर्ण पद पर यादव समाज के नेता पास नहीं है. यही नहीं ट्रांसफर, पोस्टिंग को लेकर भी यादव समाज के लोग योगी सरकार से खफा हैं. उन्हें लगता है कि सपा से नजदीकियों की वजह से उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है.  ऐसे में क्या यादव बिरादरी बीजेपी को गले लगाएगी ये बड़ा सवाल है बावजूद इसके बीजेपी यादव मतों को अपनी तरफ करने के लिए पूर्वांचल की राजनीति में गढ़वाघाट आश्रम को एक नई प्रयोगशाला के तौर पर देख रही है. सूत्र ये भी कह रहे हैं कि बीजेपी की कोशिश है कि पीएम मोदी के प्रस्तावक के रूप में आश्रम के ही दिशा निर्देश पर कोई यादव समाज का व्यक्ति बन जाये. 

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