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This Article is From Jan 16, 2017

बुक फेयर नोटबंदी से नहीं हुआ प्रभावित, अंतिम दिन भी उमड़ी भीड़

बुक फेयर नोटबंदी से नहीं हुआ प्रभावित, अंतिम दिन भी उमड़ी भीड़
नई दिल्‍ली: पुस्तक मेले के अंतिम दिन रविवार यानी छुट्टी का दिन होने के कारण भारी भीड़ उमड़ी. मेले में सुबह से ही पुस्तक प्रेमियों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई. अभिभावक अपने बच्चों के साथ पूरे उत्साह एवं जोश से भरे नजर आए. प्रकाशक भी नोटबंदी के बावजूद अच्छी बिक्री से खुश नजर आए. इस बार मेले की थीम 'मानुषी' तथा एनबीटी के 60 वर्षो की यात्रा को प्रस्तुत करती विशेष प्रदर्शनी 'यह मात्र सिंहावलोकन नहीं' दर्शकों के विशेष आकर्षण का केंद्र रही. थीम मंडप में प्रतिदिन थीम आधारित संगोष्ठियों, चर्चाओं-परिचर्चाओं एवं फिल्मों के प्रदर्शन के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों ने पुस्तक मेले को पुस्तकमय बनाए रखा.

अंतिम दिन हुए अनेक सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यक्रम
इन नौ दिनों में बच्चों एवं उनके अभिभावकों ने बाल मंडप पर आयोजित रचनात्मक एवं सृजनात्मक गतिविधियों का भरपूर लाभ उठाया. सभी आयु-वर्गो के पुस्तक प्रेमियों ने इन कार्यक्रमों में उत्साहपूर्व क भाग लिया. बाल मंडप में प्रतिदिन बड़ी संख्या में बच्चे अपने अभिभावकों एवं शिक्षकों के साथ आते रहे.

इस वर्ष नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के दौरान विभिन्न क्षेत्रों जैसे साहित्यिक, राजनीतिक, फिल्मी आदि अनेक प्रसिद्ध हस्तियों ने शिरकत की, जिनमें शामिल हैं- केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय तथा उपेंद्र कुशवाहा, गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, रेलमंत्री सुरेश प्रभु, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, लोकसभा सांसद रमेश पोखरियाल 'निशंक', दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, प्रख्यात ओड़िया लेखिका प्रतिभा राय, प्रख्यात लेखक सुभाष काश्यप और प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री आशा पारेख.

इनके अलावा प्रमुख लेखिकाओं में मृदुला गर्ग, दिल्ली हिंदी आकदमी की उपाध्यक्ष मैत्रेयी पुष्पा, जानीमानी उपन्यासकार कृष्णा सोबती की मौजूदगी से मेले की महत्ता बढ़ी. मेले को अधिक मनोरंजक और आकर्षक बनाने के लिए प्रतिदिन शाम हंसध्वनि थिएटर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इन कार्यक्रमों को दर्शकों ने खूब सराहा.

बुक फेयर नोटबंदी से नहीं हुआ प्रभावित
इस बार पुस्तक मेले की खास बात यह रही कि यह पुस्तक मेला नोटबंदी के किसी भी प्रभाव से न केवल बेअसर रहा, बल्कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पुस्तक मेले में आने वाले पुस्तक प्रेमियों की संख्या में 15 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ोतरी हुई. इससे साबित हो गया कि टीवी और सोशल मीडिया के इस युग में भी लोग किताब पढ़ना चाहते हैं, वैसी किताबें जो इंसान को इंसान बनाए रखें, व्यापार-पशु या सियासी दंगेबाज न बनाएं.

44 साल से हो रहा है बुक फेयर का आयोजन
किताबों से प्यार करने वालें लोगो को 44 साल से आयोजित हो रहे बुक फेयर का इंतजार बेसब्री से रहता है. हर साल विश्व पुस्तक मेले में आने वालें लोगों की तादाद पिछलें साल से ज्‍यादा होती जाती है, जो इस साल भी जारी रहा. मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय द्वारा बनाए गये स्वायत संस्था 'राष्ट्रीय पुस्तक ट्रस्ट' इस मेले का आयोजन करती है.

(एजेंसियों से इनपुट)

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